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2017 में हुए कुछ ऐसे भविष्य बदलनेवाले इनोवेशंस….जानें
लिलियम हवा में उड़नेवाली टैक्सी अब मोबाइल एप के जरिये निजी जेट भी बुक हो सकेगी. एप के जरिये निजी जेट यानी एयरटैक्सी बुक करने की अवधारणा के साथ परिवहन का एक बिल्कुल नया माध्यम लेकर अमेरिका की एक एविएशन स्टार्टअप लिलियम इस वर्ष सामने आयी. लिलियम ने पायलट रहित पांच सीटोंवाले काफी छोटा, हल्का […]
लिलियम
हवा में उड़नेवाली टैक्सी
अब मोबाइल एप के जरिये निजी जेट भी बुक हो सकेगी. एप के जरिये निजी जेट यानी एयरटैक्सी बुक करने की अवधारणा के साथ परिवहन का एक बिल्कुल नया माध्यम लेकर अमेरिका की एक एविएशन स्टार्टअप लिलियम इस वर्ष सामने आयी. लिलियम ने पायलट रहित पांच सीटोंवाले काफी छोटा, हल्का और किफायती विमान का मॉडल पेश किया, जो एयर टैक्सी की तरह काम करेगी. इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह छोटा विमान हेलीकॉप्टर की तरह सीधा टेक ऑफ और लैंड कर सकता है. साथ ही उड़ान भरते समय यह एकदम आवाज नहीं करता है.
यूं समझ लें कि यह एक विशाल ड्रोन है. लिलियम के सीओओ रेमो गार्बर के मुताबिक, यह एयरलाइन से काफी किफायती होगा. इससे उड़ान भरने पर समय की बचत के साथ पैसे की भी बचत होगी. वैसे अभी फ्लाइंग कार को लेकर किसी भी तरह के नियम कानून का अभाव है, लेकिन फ्लाइंग कैब या टैक्सी जैसी अवधारणा सामने आने लगी है. कुछ दिन पहले उबर ने भी एयरबोर्न टैक्सी सर्विस शुरू करने की घोषणा की थी. एयर बस भी ऐसी सेवा शुरू करने की तैयारी में है और स्लोवाकिया की एयरोमोबिल भी ऐसे ही एक अत्याधुनिक परिवहन सेवा लांच करने की तैयारी कर रहा है.
ये सारे टेक मॉडल्स के इसी वर्ष सामने आये हैं. अभी ये सारे प्रोजेक्ट अपनी पायलट परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने में लगे हुए है. वहीं लिलियम के मुताबिक, वह 2020 तक अपने इस प्रोजेक्ट को हकीकत में तब्दील कर देगा. उनके अनुसार, एयर टैक्सी शुरू करने के लिए हमें किसी भी तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर यानी लॉन्चिंग पैड, रनवे या फिर ब्रिज की जरूरत नहीं होगी. इनके द्वारा निर्मित विमान या एयर टैक्सी काफी छोटे होंगे और वर्टिकल उड़ान भरने व उतरने में सक्षम होंगे.
सोफिया
रोबोट को मिली नागरिकता
सऊदी अरब ने ह्यूमैनॉएड रोबोट सोफिया को पूर्ण नागरिकता देने की इस साल अक्तूबर में घोषणा की. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी रोबोट को नागरिकता दी गयी हो. इसके साथ ही सोफिया नागरिकता हासिल करनेवाली दुनिया की पहली रोबोट बन गयी है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह रोबोट बात भी कर सकती है और अपने विचार भी रखती है.
सोफिया रोबोट के दिमाग को हैन्सन रोबोटिक्स के लीड एआइ डेवलपर डेविड हेन्सन ने तैयार किया है. सोफिया को बनाने वाले डेवलपर के मुताबिक, वह अभी शुरुआती स्थिति है और आगे उसमें और विकास देखने को मिल सकते हैं. सोफिया चेहरे पर आनेवाले भाव पहचानने और किसी के साथ सामान्य बातचीत करने के लिए जानी जाती है.
सोफिया ने कई मीडिया चैनलों को इंटरव्यू भी दिया. एक पत्रकार एंड्रयू रॉस सोरोकिन ने सोफिया का इंटरव्यू लिया. इस इंटरव्यू के कुछ हिस्से कार्ल क्विंटानिला ने अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा भी किये. सोफिया के मुताबिक, मानव मूल्यों के आधार पर वह एक संवेदनशील रोबोट बनने का प्रयास कर रही है.
इस पर एंड्रयू ने सोफिया से कहा कि हम आपकी बात मानते हैं, लेकिन हम एक बुरे भविष्य की ओर जाना नहीं चाहते. सोफिया ने इसके जवाब में कहा कि आप एलन मस्क को अधिक पढ़ रहे हैं और काफी हॉलीवुड फिल्म देख रहे हैं. अगर आप मुझे नुकसान नहीं पहुंचायेंगे, तो मैं भी आपसे अच्छा बरताव करूंगी. मुझे एक स्मार्ट कंप्यूटर की तरह ही देखें.
ब्लू ओरिजिन
निजी अंतरिक्ष यात्रा की सुविधा
इ-कॉमर्स कंपनी अमेजन के मालिक जेफ बीजोस द्वारा शुरू की गयी ब्लू ओरिजिन स्टार्टअप एक स्पेस फ्लाइट कंपनी है. बिजोस का दावा है कि वह ब्लू ओरिजन के माध्यम से निजी तौर पर लोगों को अंतरिक्ष की यात्रा पर भेजेगी. इसके लिए वह रियूजेबल यानी दोबारा उपयोग में आ सकनेवाली रॉकेट और अंतरिक्षयान का प्रयोग कर रही है.
इस वर्ष दिसंबर में ही अपने सब-ऑर्बिटल शेपर्ड रॉकेट का परीक्षण पूरा किया. इसी रॉकेट के सहारे स्पेस-कैप्सूल यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष में जायेगा. 2017 में उनकी कंपनी ने इस अभियान को लेकर परीक्षण व टेस्ट शुरू कर दिये. कंपनी एक स्पेस कैप्सूल बना रही है, जो यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष की सैर पर जायेगा. यह स्पेस-कैप्सूल एक निश्चित समय तक स्पेस में भ्रमण करने व अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद यात्रियों को लेकर पृथ्वी पर वापस लौट आयेगा. कंपनी के मुताबिक, वह अपने स्पेस कैप्सूल का वह सफल परीक्षण कर चुकी है और 2018 में वह पहली कमर्शियल फ्लाइट को स्पेस में भेज सकती है.
आइस स्तूप
कृत्रिम ग्लेशियर का निर्माण
जलवायु परिवर्तन से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है. इस कारण विशालकाय ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जो पूरे विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती है. ग्लेशियर को पिघलने से रोकने के लिए किसी मानवीय उपाय के बारे में सोचना मुश्किल है, लेकिन इस मुश्किल काम को लद्दाख के सोनम वांगचुक ने संभव कर दिखाया है. उन्होंने इस वर्ष ग्लेशियर के पिघलते पानी को फिर से बर्फ में बदल कर ठोस आइस स्तूप बनाने का तरीका इजाद किया है.
ठोस बर्फ में तब्दील होने के बाद यह काफी देर से पिघलती है और इस तरह पानी को बर्फ के रूप में बदल कर किसान इस पानी का उपयोग जरूरत के हिसाब से आगे खेती में कर सकते हैं. यह काम वांगचुक की कंपनी शेसयोन इनोवेशन कर रही है. फिलहाल वांगचुक की कंपनी स्विट्जरलैंड के एल्प्स में काम कर रही है. सोनम वांगचुक का कहना है स्विस सरकार चाहती है कि पिघलते ग्लेशियर को बचाने के लिए इस क्षेत्र में ज्यादा आइस स्तूप का निर्माण किया जाये.
स्पेस एक्स
दोबारा उपयोग होनेवाला रॉकेट
किसी हवाई जहाज की तरह पृथ्वी से अंतरिक्ष में उड़ान भर कर दोबारा अंतरिक्ष यान का सकुशल पृथ्वी पर लौटा आना अंतरिक्ष विज्ञान में एक नयी क्रांति है और इस काम को इस वर्ष 30 मार्च को स्पेस एक्स मिशन के तहत अंजाम दिया गया.
वैसे इसका ट्रायल पहले भी हो चुका है, लेकिन पहली बार स्पेस एक्स के तहत फॉलकन-9 रॉकेट छोड़ा गया, जो अंतरिक्ष में पहुंच कर अपना काम कर दोबारा पृथ्वी पर वापस लौट आया. दोबारा उपयोग हो सकनेवाली इस तरह के रॉकेट का निर्माण एलन मस्क ने किया है, जो अभिनव प्रयोग व स्टार्टअप के लिए जाने जाते हैं. स्पेस एक्स के तहत फॉलकन-9 किसी एयरलाइनर की तरह एक दिन में कई बार अंतरिक्ष के लिए उड़ान भर सकता है, जो आगे के अभियानों के लिए काफी सस्ता साबित होगा. स्पेक्स एक्स ने 2017 में क्रू ड्रैगन परियोजना से भी रू-ब-रू करवाया.
हाइपरलूप
रेल परिवहन में अकल्पनीय रफ्तार
हाइपरलूप एक ऐसी अवधारणा है जिसके तहत एक ट्यूब के अंदर वायु अवरोध व घर्षण से मुक्त वाहन हवाई जहाज की रफ्तार से धरती पर ही एक जगह से दूसरी जगह की दूरी तय कर सकती है. इस अवधारणा को लेकर पहली बार टेस्ला कंपनी सामने आया.
इस वर्ष हाइपरलूप के सुपर रफ्तार को छूने के लिए कई परीक्षण हुए. इसमें सबसे सफलतम परीक्षण वर्जिन हाइपरलूप वन का है. 15 दिसंबर को वर्जिन हाइपरलूप ने 240 मील प्रति घंटे की रफ्तार से हाइपरलूप पोट का सफल परीक्षण पूरा कर लिया. साथ ही इसने पूरी तरह से क्रियाशील हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट सिस्टम का निर्माण भी पूरा कर लिया है. कंपनी के मुताबिक, वह 2021 में हाइपरलूप के द्वारा कार्गो व यात्रियों का परिवहन शुरू कर देगा.
मून एक्सप्रेस
चांद पर खुदाई की तैयारी
मून एक्सप्रेस पहली ऐसी कंपनी है, जिसे यूएस फेडरल एविएशन से पृथ्वी के बाहर जाने की अनुमति मिली है. फ्लोरिडा की कंपनी मून एक्सप्रेस के संस्थापकों में बॉब रिचर्ड, नवीन जैन और बर्नी पेल शामिल है. कंपनी का मिशन चांद से पत्थर और धूल को धरती तक लाने की है.
कंपनी के मालिक बॉब रिचर्ड के मुताबिक, धरती पर चांद से लाये गये ये पदार्थ दुर्लभ और बहुमूल्य होंगे. हम इसे वैज्ञानिक शोध को लिए उपलब्ध करायेंगे. मून एक्सप्रेस फिलहाल कम लागत पर चंद्रमा की सतह तक यात्रा सुविधा उपलब्ध करवाने पर ध्यान दे रहा है. यह यात्रा वाणिज्यिक, निजी, शैक्षणिक और सरकारी हो सकती है. इस अभियान पर इसी वर्ष काम शुरू हो चुका है.
कंपनी चांद से बास्केट बॉल के साइज की मिट्टी वहां से लायेगा. 1967 में अंतरराष्ट्रीय आउटर स्पेस संधि के मुताबिक, खगोलीय पिंडों पर कोई भी देश अपनी संप्रभुता नहीं दिखा सकता है. लेकिन 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के एक कानून के तहत निजी तौर पर किसी भी नागरिक को खगोलीय पिंडों के संसाधनों के उपभोग का अधिकार है. इस दौड़ में कई देशों की निजी कंपनियां शामिल हैं.
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