आजकल सोशल मीडिया पर बिना सोचे समझे अपनी उपस्थिति दर्ज कराना एक ट्रेंड बन गया है. यह अभिव्यक्ति के अधिकार का गलत इस्तेमाल है. किसी के ट्वीट को रिट्वीट करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश काफी महत्वपूर्ण है. इसके मुताबिक, किसी के अपमानजनक ट्वीट को रिट्वीट करने पर भी मुकदमा चलेगा. रिट्वीट करने के बाद आप यह कहकर बच नहीं सकते कि आपने उसे पढ़ा नहीं, बल्कि सिर्फ रिट्वीट किया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली के मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता राघव चढ्ढा की याचिका खारिज कर दी है. राघव की ओर से याचिका दी गयी थी कि उनके खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में इस मामले में चल रहे मानहानि का मुकदमा रद्द किया जाये. सुप्रीम कोर्ट में राघव ने तर्क दिया कि उन्होंने सिर्फ अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को रिट्वीट किया था और यह आपराधिक मानहानि का केस नहीं है. अगर यह अपराध है तो आइटी एक्ट के तहत उन पर मामला चलाया जाये न कि आइपीसी के तहत.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने चड्ढा की दलील को खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अगर किसी ने बेहद अपमानजनक ट्वीट किया है और किसी ने उसे पढ़कर रिट्वीट किया है तो क्या वो कह सकता है कि उसने सिर्फ रिट्वीट किया था.’
25 सितंबर को दिल्ली हाइकोर्ट ने चड्ढा की याचिका को खारिज कर दिया था और रिट्वीट करने को अपराध माना था. साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राघव चड्ढा और अन्य पर आपराधिक मानहानि के खिलाफ मुकदमा जारी रखने का निर्देश दिया था.