नागपंचमी से जुड़ी एक औऱ मान्यता है. कथा के मुताबिक, पांडवों के वशंज परीक्षित को श्राप था कि उनकी मृत्यु सर्पदंश से होगी. लाख जतन करने के बाद भी, श्राप फलीभूत हुआ और राजा परीक्षित को नागों के राजा तक्षक ने डंस लिया. परीक्षित की मृत्यु हो गयी. परीक्षित के पुत्र जनमेयजय ने इसका प्रतिशोध लेने का निश्चय किया. उन्होंने नागों के सर्वनाश के लिये एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया.
तय तिथि को यज्ञ आरंभ हुआ और एक-एक कर सांप यज्ञ वेदी में गिरने लगे. बड़ी संख्या में नाग जलकर मरने लगे. तब नागराज तक्षक ने ब्रह्मा जी से उनकी जान बहाने की गुहार लगाई. ब्रह्मा जी ने कहा कि उचित समय आने पर आस्तिक मुनि नागों की रक्षा करेंगे. तय समय आने पर तक्षक मुनि ने नागों की रक्षा की. ये सावन महीने के पंचमी का दिन था. इसी दिन से नागपंचमी मनाने की शुरूआत हो गयी.
Posted By- Suraj Thakur