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…तो अमेरिका से युद्ध होने पर उत्तर कोरिया की आग में झुलस जायेगा चीन!

नयी दिल्ली : अमेरिका की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तर कोरिया बैलिस्टिक और परमाणु मिसाइलों का ताबड़तोड़ परीक्षण करता जा रहा है. उसकी इस कार्रवाई और अमेरिका के साथ बढ़ रही तल्खियत की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एशिया महाद्वीप में दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के देशों में युद्ध का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है. इसका […]

नयी दिल्ली : अमेरिका की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तर कोरिया बैलिस्टिक और परमाणु मिसाइलों का ताबड़तोड़ परीक्षण करता जा रहा है. उसकी इस कार्रवाई और अमेरिका के साथ बढ़ रही तल्खियत की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एशिया महाद्वीप में दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के देशों में युद्ध का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है. इसका अहम कारण रविवार को उत्तर कोरिया की ओर से अब तक किये गये मिसाइल परीक्षणों में से सबसे अधिक मारक क्षमता वाले मिसाइल का परीक्षण करना माना जा रहा है. इस बीच, आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि यदि उत्तर कोरिया का अमेरिका के साथ युद्ध होता है, तो दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन इस आग में झुलस सकता है.

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भौगोलिक दृष्टिकोण से देखा जाये, तो उत्तर कोरिया ने अभी तक जितने भी मिसाइलों का परीक्षण किया है, उनमें सबसे अधिक दूरी मार करने की क्षमता रविवार को परीक्षण किये गये मिसाइल में बतायी जा रही है. इस मिसाइल की मारक क्षमता 700 किलोमीटर है, जबकि उत्तर कोरिया से अमेरिका की दूरी करीब 10,000 किलोमीटर से अधिक है. यदि उत्तर कोरिया अपने मिसाइल परीक्षण स्थल से इस मिसाइल से वार करता है, तो अमेरिका के आसपास तक फटकना भी मुश्किल ही दिखाई देता है.

ऐसे में, आशंका यह है कि कहीं उत्तर कोरिया दक्षिण-पूर्व एशिया में अपने दुश्मन देशों पर निशाना साधने के लिए इन मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है. इस समय उत्‍तर कोरिया की मंशा अधिक दूरी या फिर इंटरकोंटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल बनाना है, जिसकी दूरी कम से कम 7,000 किमी के आसपास होनी चाहिए. इसको हासिल कर पाना फिलहाल उत्‍तर कोरिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.

उत्तर कोरिया के साथ दोस्ती का दंभ भरता है चीन

बहरहाल, इस तनाव के बीच अमेरिका समेत सभी देशों को चीन से काफी सारी उम्मीदें हैं. ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि चीन उत्‍तर कोरिया को खुलेआम अपना दोस्‍त बताता रहा है. उत्‍तर कोरिया के साथ चीन के 50 के दशक से ही व्‍यापारिक और राजनयिक संबंध हैं. इसके अलावा, हाल के कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्‍यापार भी काफी बढ़ा है. यही वजह है कि चीन को लेकर अमेरिका भी शायद कुछ हद तक आश्‍वस्‍त है कि वह उत्‍तर कोरिया के साथ वार्ता कराने में कामयाबी हासिल करेगा. बातचीत के संकेत अमेरिका की ओर से मिले हैं, लेकिन ताजा मिसाइल परीक्षण की वजह से फिर संशय के बाद मंडरा रहे हैं.

उत्तर कोरिया से अमेरिका और उसके सहयोगियों को बना है खतरा

उधर, व्हाइट हाउस ने कहा है कि उत्तर कोरिया अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए लगातार खतरा बना हुआ है. व्हाइट हाउस ने इस स्थिति के समाधान में मदद करने के लिए चीन और रूस जैसे देशों से प्रतिबंध को लेकर वह सभी कुछ करने की अपील की है, जो वे कर सकते हैं. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने अपने दैनिक समाचार सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि उत्तर कोरिया अमेरिका और हमारे सहयोगियों जापान, दक्षिण कोरिया और अपने पड़ोसियों चीन और रूस के लिए लगातार खतरा बना हुआ है. स्पाइसर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम उस क्षेत्र के सभी देशों खासकर चीन और रूस से यह मांग कर रहे हैं कि वह स्थिति के समाधान और प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबंधों के संबंध में जो कुछ भी कर सकते हैं, करें.

दक्षिण कोरिया के नये राष्ट्रपति से बात करना चाहते हैं ट्रंप

स्पाइसर ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दक्षिण कोरिया के नये राष्ट्रपति के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए उत्सुक हैं. बीते रविवार को उत्तर कोरिया ने एक और मिसाइल का परीक्षण किया. पेंटागन प्रवक्ता कैप्टन जेफ डेविस ने वाशिंगटन फॉरेन प्रेस सेंटर के समाचार सम्मेलन में बताया कि रक्षा मंत्रालय अभी भी मिसाइल परीक्षण की प्रकृति की जांच कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह मिसाइल कुसुंग स्थान से प्रक्षेपित की गयी थी और यह जापान सागर में गिरी. मिसाइल की किस्म का मूल्यांकन अभी भी किया जा रहा है.

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