इसलामाबादः चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ पर पेइचिंग में चल रहे शिखर सम्मेलन के बीच पाक अधिकृत कश्मीर में इस परियोजना का विरोध शुरू हो गया है. पीअोके में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीइसी) के निर्माण के विरोध में गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग सड़क पर उतर आये हैं. इस परियोजना का लोगों ने जबरदस्त विरोध किया है.
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विरोध प्रदर्शन की अगुवाई विभिन्न छात्र संगठन कर रहे हैं. इसमें गिलगित, हुंजा, स्कार्दू और गीजर में कोराकोरम स्टूडेंट्स आॅर्गेनाइजेशन, बलावरिस्तान नेशनल स्टूडेंट्स आॅर्गेनाइजेशन, गिलगित बाल्टिस्तान यूनाइटेड मूवमेंट और बलवारिस्तान नेशनल फ्रंट जैसे छात्र संगठनों के साथ-साथ कई राजनीतिक दल भी शामिल हैं.
प्रदर्शनकारियों का मानना है कि सीपीइसी प्रोजेक्ट गिलगित पर अवैध कब्जे की कोशिश है. चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना का हिस्सा सीपीइसी को यहां के लोग गिलगित-बाल्टिस्तान की ‘गुलामी की सड़क’ बता रहे हैं. राजनीतिक और मानवाधिकार संगठन गिलगित-बाल्टिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता जाहिर कर चुके हैं.
पीअोके में चीन के खिलाफ प्रदर्शन का वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें
गिलगित के लोग मानते हैं कि सीपीइसी और ‘वन बेल्ट वन रोड’ चीन की साम्राज्यवादी नीति का हिस्सा है, जिसका निर्माण वह इस क्षेत्र पर कब्जे के लिए कर रहा है. लोगों ने विश्व समुदाय से अपील की है कि वह गिलगित में चीन के अतिक्रमण को रोके. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थी, जिस पर लिखा था, ‘चीनी साम्राज्यवाद बंद हो’.
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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि गिलगित 1948-49 से ही विवादित क्षेत्र रहा है. चीन ने पाकिस्तान की मदद से यहां अवैध रूप से घुसपैठ की है. सीपीइसी के बहाने पाकिस्तान में चीन अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है.
गिलगित बाल्टिस्तान थिंकर्स फोरम के संस्थापक वजाहत खान कहते हैं कि चीन गिलगित-बाल्टिस्तान में अपना सैन्य बेस बना रहा है. चीन और पाकिस्तान दोनों ने सीपीइसी के उद्देश्य को हासिल करने के लिए क्षेत्र के लोगों का दमन किया है और उनकी वाजिब चिंताओं का ध्यान नहीं रखा.