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मदर ऑफ ऑल बॉम्बस : सोख लिया ऑक्सीजन, आतंकियों की दर्दनाक मौत

‘मैं गुरुवार की रात खाना खा रहा था, जब मैंने जोरदार धमाका सुना. कमरे से बाहर निकला, तो आग का एक बड़ा पहाड़ दिखा. पूरा इलाका बम की आग की रौशनी से भरा था.’ यह आइएस विरोधी समूह के सदस्य अहमद का बयान है, जो अफगानिस्तान के उस इलाके में मौजूद थे, जहां अमेरिका ने […]

‘मैं गुरुवार की रात खाना खा रहा था, जब मैंने जोरदार धमाका सुना. कमरे से बाहर निकला, तो आग का एक बड़ा पहाड़ दिखा. पूरा इलाका बम की आग की रौशनी से भरा था.’ यह आइएस विरोधी समूह के सदस्य अहमद का बयान है, जो अफगानिस्तान के उस इलाके में मौजूद थे, जहां अमेरिका ने अब तक सबसे शक्तिशाली बम आइएस के ठिकानों पर गिराया था. अहमद के मुताबिक, अमेरिका के ऑपरेशन के साथ ही सभी नागरिकों ने इलाके को खाली कर दिया है. अनुमान के मुताबिक, करीब दस हजार नागरिक पलायन कर गये हैं. मदर ऑफ ऑल बॉम्बस (एमओएबी) के नाम से मशहूर हुए जेबीयू-43 बम ने नानगरहर सूबे के अछिल जिले में आइएस के ठिकाने को तबाह कर दिया है. प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक तीन दर्ज आइएस लड़ाके मारे गये हैं. इस बम की मारक क्षमता के आधार पर विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इसने आतंकियों को दर्दनाक मौत दिया होगा. जो बमबारी में बच गये, उन्हें पूरी जिंदगी ट्रामा में काटनी होगी.

दरअसल नॉन न्यूकलियर यह बम विस्फोट होने के स्थान से तीस फुट नीचे तक की चीजों को भस्म कर देती है. यानी अफगानिस्तान में इस बम ने विस्फोट के साथ ही सेकेंड से भी कम समय में सैकड़ों फीट में फैले सुरंग के ऑक्सीजन को बाहर खींच लिया और इसके साथ ही सुरंग में छिपे आइएस आतंकियों के फेफड़ों में भरी ऑक्सीजन भी बाहर आ गयी. उन्हें दर्दनाक मौत मिली. इसके बाद विस्फोट ने जबरदस्त थर्राहट और आवाज के साथ जमीन को छुआ. इसकी भयानक आवाज और थर्राहट ने मीलों तक जमीन को हिला कर रख दिया. इस तीव्रगति के भयंकर कंपन के रास्ते में आदमी, माकान, पेड़ पौधे जो भी आये, सब ध्वस्त हो गये. ऐसी आशंका है कि विस्फोट के प्रभाव से दूर मीलों दूर बैठे लोगों के कानों से भी खून का रिसाव होने लगा होगा और कईयों के शरीर के अंदरुनी अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गये होंगे. दो चरणों के विस्फोट से बड़े इलाके में लोगों के नाक, कान, फेफड़ा आदि अंग अधिक प्रभावित होने की आशंका है. इस बम के विस्फोट में इतनी क्षमता है कि वह दो मील के दायरे में लोगों के सुनने की शक्ति को खत्म कर देगा.
खुशकिस्मती से इस विस्फोट की चपेट में आने से जो लोग बच गये वे जिंदगी भर के लिए मनौवैज्ञानिक रूप से सदमे में रहेंगे. अमेरिका की मानें तो उनका अनुमान था कि इस इलाके में करीब 800 आइएस के आतंकवादी हैं. इसलिए अमेरिका ने गुरुवार को पहली बार इस शक्तिशाली बम का प्रयोग आतंकी कैंप को निशाना बनाते हुए किया. अमेरिकी सेना की ओर से जारी बयान के मुताबिक यह हमला इस तरह से किया गया, जिससे नागरिकों को कम से कम नुकसान हो और आतंकियों से सख्ती से निपटा जा सके.
जानें कुछ खास
1. बंकर-बस्टर : अमेरिकी सेना में. वजन 14000 किलो. लंबाई 20.5 फुट. 60 फुट कंक्रीट तोड़ सकता है.
2. फादर ऑफ ऑल बॉम्ब : रूस ने बनाया. वजन 7100 किलो. 40 टन टीएनटी का इस्तेमाल.
3. स्पाइस बम: इस्राइल में बना भारतीय वायुसेना में शामिल. वजन करीब 900 किलो.
यदि यह किसी शहर में बम गिरता तो…
1. यह परमाणु बम की तरह हजार फीट नहीं, बल्कि एयरब्रस्ट हथियार के रूप में जमीन से छह फीट ऊपर ही फटता. चूंकि इससे बने फायर बॉल का दायरा 30 फीट तक होता है, इसलिए दूर-दूर तक लोग जिंदा जल जाते.

2. विस्फोट से निकलने वाली जलती हुई एल्युमिनियम की धूल और जबरदस्त कंपन से ऊंची इमारतें भी धराशायी हो जातीं.

3. ग्राउंड जीरो से 300 फीट दूर तक के भवन धराशायी हो जाते.

4. इसकी चपेट में आने वाले शायद ही जिंदा बचते.

5. ग्राउंड जीरो से 430 फीट दूर रहने वाले वाले लोगों के हाथ पांव भी विस्फोट से क्षतिग्रस्त हो जाते.

Prabhat Khabar Digital Desk
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