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अमेरिका: पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक को आतंकवाद के आरोपों में 20 साल की सजा

वाशिंगटन : अपनी तरह के अनूठे कदम के तहत अमेरिका ने कश्मीर में आतंकवादी गतिविधि में शामिल रहे एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक की नागरिकता वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और साथ ही आतंकवाद के आरोपों पर उसे 20 वर्ष जेल की सजा भी सुनायी है. ऐमन फारिस नामक पाकिस्तानी अमेरिकी नागरिक ने वर्ष […]

वाशिंगटन : अपनी तरह के अनूठे कदम के तहत अमेरिका ने कश्मीर में आतंकवादी गतिविधि में शामिल रहे एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक की नागरिकता वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और साथ ही आतंकवाद के आरोपों पर उसे 20 वर्ष जेल की सजा भी सुनायी है.

ऐमन फारिस नामक पाकिस्तानी अमेरिकी नागरिक ने वर्ष 1999 में अमेरिका की नागरिकता ली थी और वर्ष 2003 में उसे अलकायदा के समर्थन एवं सामग्री उपलब्ध कराने की साजिश रचने का दोषी ठहराया गया था तथा 20 साल कैद की सजा सुनायी गयी थी. संघीय वकील ने बताया कि अपने आवेदन में उसने खुलासा किया था कि वर्ष 1980 के दशक में वह कश्मीर में आतंकवादी गतिविधि में शामिल रहा था और हरकत-उल-जिहादी अल-इस्लामी से जुडा था.

कल न्याय विभाग ने फारिस के खिलाफ शिकागो की संघीय अदालत में दीवानी कार्रवाई दायर करते हुए न्यायाधीश से उसकी नागरिकता खत्म का अनुरोध किया था. गिरफ्तारी से पहले तक फारिस (47) शिकागो का निवासी था. ट्रम्प प्रशासन में यह पहला ऐसा ज्ञात मामला है जिसमें न्याय विभाग ने अमेरिकी नागरिकता प्राप्त व्यक्ति की नागरिकता रद्द करने की पहल शुरु की है.

दीवानी शिकायत में आरोप है कि फारिस ने अन्य का पासपोर्ट इस्तेमाल कर धोखाधडी की. कार्यकारी सहायक अटॉर्नी जनरल सी ए रीडलर ने कहा, ‘‘विभाग का ऑफिस ऑफ इमिग्रेशन लिटिगेशन फर्जी तरीके से अमेरिका की नागरिकता हासिल करने वाले ज्ञात एवं संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ नागरिकता प्रक्रिया पर नजर रखना जारी रखेगा.” अमेरिकी अटॉर्नी एस बॉयस ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वैधानिक नागरिकता का मार्ग सुरक्षित एवं फर्जीवाडे से रहित बना रहे.

न्याय विभाग ने बताया कि इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि अगर किसी व्यक्ति ने गैरकानूनी तरीके या जानबूझकर गलत जानकारी देकर अमेरिकी नागरिकता हासिल की है तो उसकी नागरिकता वापस ली जा सकती है और नागरिकता प्रमाणपत्र भी रद्द किया जा सकता है. फारिस की नागरिकता खत्म होने पर सजा समाप्ति के बाद उसे पाकिस्तान वापस भेज दिया जायेगा.

अदालत के दस्तावेजों के अनुसार फारिस का जन्म वर्ष 1969 में कराची में हुआ था. मार्च 1994 में वह ऐमन अल-इब्राहीम अल-अली नामक एक अन्य व्यक्ति के पासपोर्ट और वीजा का इस्तेमाल कर अमेरिका के न्यूयार्क आया था. उस व्यक्ति से वह बोस्निया में मिला था. चार महीना बाद उसने अमेरिकी शरण के लिये आवेदन किया जिसमें उसने संघीय अभियोजकों के समक्ष झूठ भी बोला. संघीय वकील ने कहा कि वर्ष 1999 में अमेरिका का नागरिक बनने के बाद फारिस वर्ष 2000 में ओसामा बिन लादेन तथा अलकायदा के अन्य वरिष्ठ नेताओं से मिलने के लिये पाकिस्तान और अफगानिस्तान गया था और अलकायदा के वरिष्ठ नेता के अनुरोध पर उसने अल्ट्रा-लाइट विमान के बारे में सूचना जुटाई और अलकायदा को यह जानकारी सौंपी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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