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दुनिया के सबसे खतरनाक केमिकल से हुई थी तानाशाह किम जोंग उन के भाई की हत्या

कुआलालंपुर : मलेशियाई पुलिस ने उत्तर कोरिया के तानाशाही शासक किम जोंग उन के भाई की हत्या का खुलासा करते हुए कहा है कि किम जोंग उन के सौतेले भाई किम जोंग नाम की हत्या दुनिया के सबसे अधिक खतरनाक रसायनिक युद्ध के लिए तैयार किये गये घातक नर्व एजेंट से की गयी है. कुआलालंपुर […]

कुआलालंपुर : मलेशियाई पुलिस ने उत्तर कोरिया के तानाशाही शासक किम जोंग उन के भाई की हत्या का खुलासा करते हुए कहा है कि किम जोंग उन के सौतेले भाई किम जोंग नाम की हत्या दुनिया के सबसे अधिक खतरनाक रसायनिक युद्ध के लिए तैयार किये गये घातक नर्व एजेंट से की गयी है. कुआलालंपुर हवाईअड्डे पर किम जोंग नाम की हत्या के मामले में ‘टॉक्सिकोलॉजी’ की प्राथमिक रिपोर्ट जारी करते हुए पुलिस ने कहा कि हत्यारों ने जिस जहर का उपयोग किया था, वह गंधरहित, स्वादरहित तथा अत्यंत घातक नर्व एजेंट वीएक्स था. किम जोंग नाम के चेहरे और आंखों में वीएक्स के अंश पाये गये थे.

किम पर 13 फरवरी को किये विष हमले की लीक हुई सीसीटीवी फुटेज के अंश में दो महिलाएं उनके पास आती हैं, जो उनके चेहरे पर कुछ लगा देती हैं. इसके तत्काल बाद किम हवाईअड्डा के कर्मचारियों से मदद मांगते नजर आते हैं जो उन्हें एक क्लीनिक ले जाते हैं.

मलेशियाई पुलिस ने कहा कि किम जोंग नाम बेहोश हो गये थे और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गयी थी. पोस्टमार्टम में दिल की धड़कन रुकने या हृदय संबंधी किसी समस्या से इनकार किया गया है. जांचकर्ताओं की जांच मुख्यत: इस बात पर केंद्रित रही कि किम जोंग नाम के चेहरे पर जहर मला गया था. उधर, दक्षिण कोरिया का कहना है कि यह एक लक्षित हत्या थी.

तीन लोगों को मलेशियाईपुलिस ने किया है गिरफ्तार

मलेशिया की पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें इंडोनेशिया और वियतनाम की एक-एक महिला और उत्तर कोरिया का एक व्यक्ति शामिल हैं, लेकिन पुलिस सात अन्य लोगों से भी पूछताछ करना चाहती है. ऐसा माना जा रहा है कि उनमें से चार प्योंगयांग भाग गए हैं.

हत्या के 10 दिन बाद उत्तर कोरिया ने तोड़ी चुप्पी

उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने किम जोंग नम की हत्या के मामले में 10 दिन की चुप्पी तोड़ी और बृहस्पतिवार को मलेशिया पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि कुआलालंपुर इस मामले को अनैतिक तरीके से हल कर रहा है और पार्थिव शरीर के साथ राजनीति कर रहा है.

नम की हत्या की जिम्मेदारी मलेशिया पर थोप रहा उत्तर कोरिया

प्योंगयांग की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए ने आरोप लगाया कि हत्या की प्राथमिक जिम्मेदारी मलेशिया की है और वह दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर साजिश कर रहा है. उत्तर कोरिया ने किम जोंग नाम का पार्थिव शरीर न देने के लिए भी मलेशिया की आलोचना की. उसने कहा कि इस मूर्खतापूर्ण बहाने के चलते पार्थिव शरीर नहीं दिया जा रहा है कि मृतक के परिवार का डीएनए नमूना चाहिए.

उत्तर कोरिया ने मृतक किम जाेंग नम पर अभी तक नहीं की है चर्चा

मृतक का उत्तर कोरिया ने कभी भी किम जोग उन के सौतेले भाई के तौर पर जिक्र नहीं किया और केसीएनए के लंबे ब्योरे में भी मृतक की पहचान नहीं बतायी गयी है. इसमें किम जोंग नाम को उत्तर कोरिया का राजनयिक पासपोर्ट धारक एक नागरिक बताया गया है.

उत्तर कोरिया के पास है रासायनिक हथियारों का जखीरा

उधर, दक्षिण कोरिया के विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया के पास 5,000 टन से ज्यादा रासायनिक हथियारों का जखीरा है. उसमें से वह रसायन भी शामिल है, जिसका उपयोग उत्तर कोरिया के नेता के सौतेले भाई की हत्या में किया गया है. मलेशिया की पुलिस ने बताया कि किम जोंग नम के चेहरे और आंख से वीएक्स नर्व एजेंट रसायन मिला है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सामूहिक विनाश के हथियार की सूची में शामिल किया हुआ है. नाम को कुआलालंपुर के हवाई अड्डे पर पिछले सप्ताह जहर दिया गया था.

दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने जारी किया श्वेत पत्र

दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने 2014 के अपने श्वेत पत्र में कहा है कि उत्तर कोरिया ने 1980 से ही रासायनिक हथियार बनाना शुरू कर दिया था. ऐसा अनुमान है कि इसने 2,500 से लेकर 5,000 टन तक का भंडार जमा कर लिया है. निजी कोरिया रक्षा नेटवर्क के रक्षा विशेषज्ञ ली वु ने एएफपी को बताया कि ऐसा माना जाता है कि उत्तर कोरिया के पास वीएक्स का भंडार है. इसका उत्पादन कम खर्चे पर आसानी से किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इसका विकास 100 साल पहले किया गया था.

उत्तर कोरिया नहीं किया हैवैश्विक रासायनिक हथियार करार पर हस्ताक्षर

वीएक्स का उत्पादन किसी भी छोटी प्रयोगशाला और कीटनाशक के उत्पादन की सुविधा वाले स्थान पर हो सकता है. उत्तर कोरिया ने वैश्विक रासायनिक हथियार करार पर हस्ताक्षर नहीं किया है. इसके तहत रासायनिक हथियारों के उत्पादन, भंडारण और उपयोग पर प्रतिबंध है. इस संधि पर 160 से ज्यादा देशों ने हस्ताक्षर किया है, जो कि 1997 से अस्तित्व में है.

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