कोलंबो : श्रीलंका सरकार ने ‘‘बौद्ध भिक्षुओं” के विरोध के बीच आज कहा कि वह समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं करेगी क्योंकि वह देश में ‘‘सामाजिक समस्याएं” पैदा नहीं करना चाहती. स्वास्थ्य मंत्री आर सेनारत्ने ने कहा, ‘‘हम इसे अपराध की श्रेणी से बाहर करने के अनुरोध के खिलाफ हैं. यहां तक कि यूरोपीय संघ के कुछ देशों में भी कैथोलिक गिरजाघरों ने इस कदम का विरोध किया है. इसी तरह हमारे यहां बौद्ध भिक्षु हैं.”
हालांकि सेनारत्ने ने कहा कि समलैंगिक होने के लिए किसी के भी खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार समलैंगिकता के खिलाफ है, लेकिन इसके लिए हम किसी के भी खिलाफ मुकदमा नहीं चलायेंगे.” मंत्री ने साथ ही कहा कि सरकार समलैंगिकता को गैरकानूनी बनाने वाले और इसके लिए 12 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान करने वाले कानून में बदलाव कर ‘‘सामाजिक समस्याएं” पैदा नहीं करना चाहती.
समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में डालने वाला कानून श्रीलंका के 1883, दंड संहिता पर आधारित है जो देश को ब्रिटिश उपनिवेशवाद की विरासत में मिली है.

