गुलजार की ‘माचिस’ से अपने कैरियर की शुरुआत करनेवाले जिम्मी शेरगिल ने पिछले दो-तीन सालों में साहब बीवी गैंगस्टर, माइ नेम इज खान और बुलेट राजा जैसी फिल्मों से इंडस्ट्री में अपनी मजबूत जगह बनाने की कोशिश की है. वे जल्द ही फिल्म ‘डर एट द मॉल’ में दिखेंगे. यह उनकी पहली हॉरर फिल्म होगी. उनकी इस फिल्म और कैरियर पर उर्मिला से हुई खास बातचीत.
डर एट द मॉल आपकी पहली हॉरर फिल्म है. ऐसी फिल्म को करने की क्या वजह रही?
डर एट द मॉल नाम के अनुरूप एक हॉरर फिल्म है. यह कुछ ऐसे लोगों की कहानी है, जो भूत-प्रेत में विश्वास नहीं करते, लेकिन दिखाया गया है कि वाकई जब उनका सामना ऐसी परिस्थितियों से होता है, तो क्या होता है. फिल्म को निर्देशक पवन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की कोशिश की है. वैसे भी कौटिल्य प्रोडक्शन द्वारा बनाये गये हॉरर टेलीविजन ड्रामा भी काफी सफल रहे हैं. आई थिंक इसका क्रेडिट अभिमन्यु सिंह को जाता है. मुझे लगता है कि उनकी कोशिश पूरी तरह कामयाब हुई है. कहानी और उसके इंटरनेशनल ट्रीटमेंट की वजह से मैंने इस फिल्म को ‘हां’ कहा.
आपको नहीं लगता कि ऐसी फिल्में समाज में अंधविश्वास को बढ़ावा देती हैं?
पर्सनली न मैंने कभी भूत को देखा है और न उससे जुड़े किसी वाकये का अनुभव किया है. हां, ऐसी कहानियां काफी सुनी हैं. मैं समझता हूं हॉरर फिल्मों का अपना एक अलग दर्शक वर्ग होता है. मुझे भी हॉरर फिल्में बहुत पसंद हैं. रही बात बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों के निर्माण की, तो मैं समझता हूं यहां एक या दो लोग ही ऐसे हैं जिन्होंने इस जॉनर को जस्टीफाई किया है. मैं नहीं मानता कि हॉरर फिल्मों से अंधविश्वास को बढ़ावा मिलता है.
ऐसी खबरें आयीं कि आप इस फिल्म की शूटिंग के वक्त काफी परेशान हो गये थे?
आम तौर पर रात को शूटिंग करना मुझे पसंद नहीं है. इससे पहले भी मेरे पास कई ऐसे लोग आये हैं जिन्होंने एक रात की कहानी के लिए मेरी अनेक रातें शूटिंग के नाम करने को कहा, लेकिन मैंने उन्हें विनम्रता से मना कर दिया. लेकिन जब इस कहानी के साथ पवन मेरे पास आये और मैंने कहानी पढ़ी, तो मेरा पहला सवाल उनसे यही था कि आप लोगों ने इसे लिखा तो बहुत अच्छा है, लेकिन क्या आप ऐसा बना लेंगे? दरअसल, इस फिल्म में एक्शन के साथ इतना सारा ताम-झाम था जिसके लिए अच्छे-खासे बजट की दरकार थी. मेरी बात सुन कर उन्होंने मुझे फिल्म की सारी प्रेजेंटेशन मुझे दिखाई और यह विश्वास दिलाया कि जैसा मैं सोच रहा हूं फिल्म ठीक उसी तरह बनेगी. किरदार भी बहुत अच्छा था लगा कि हां कर लेते हैं. थोड़े दिनों की बात है, झेल लेंगे.
माचिस से लेकर अब तक खुद को एक बेहतरीन एक्टर साबित करने के बावजूद आपको वह स्टारडम क्यों नहीं मिल पाया?
मुझे लगता है यह किस्मत की बात है, क्योंकि हर चीज आपको किस्मत के अनुसार ही मिलती है. भले ही लोग उसे वक्त का नाम दें, लेकिन मैं उसे किस्मत कहता हूं. जब मैंने अपनी पहली पंजाबी फिल्म की थी तो वह फिल्म मैंने मनमोहन जी और पंजाबी सिनेमा के लिए यूं ही कर दी थी. लेकिन मैं नहीं जानता था कि इससे इतना बवाल हो जायेगा और मैं रातों-रात वहां का सुपरस्टार बन जाऊंगा. अगर मेरे दिमाग में कहीं भी पैसा बनाना होता, तो वहीं जाकर खूब फिल्में करता और पैसे बनाता, लेकिन मेरा टार्गेट वहां एक-डेढ़ साल में एक फिल्म करनी थी और आज भी वही है. मैं खुश हूं कि आज पंजाबी सिनेमा की भी एक अलग पहचान है.
हिंदी फिल्मों में वो कामयाबी क्यों नहीं मिल पायी?
दरअसल, यहां पर एक्टर बहुत जल्दी इमेज में बंध जाते हैं. जब मैंने ‘मेरे यार की शादी है’ और ‘मोहब्बतें’ की, तो लोगों ने मुझे चॉकलेटी हीरो का नाम दे दिया. हालांकि मैं विभिन्न जॉनर की फिल्में करना चाहता था, लेकिन उस दौरान ऐसा नहीं हुआ. मुझे अपनी चॉकलेटी हीरोवाली इमेज का खामियाजा भुगतना पड़ा है. हां, मुझे लगता है कि पिछले तीन-चार सालों में मैं अच्छा कर रहा हूं. अलग-अलग तरह की फिल्मों में अलग-अलग किरदार जी रहा हूं. लीड न सही सह-कलाकार के तौर पर ही मेरा अभिनय सभी को पसंद आ रहा है.
तिंग्माशु धूलिया ने हमेशा आपको परदे पर खास तरीके से पेश किया. पिछली रिलीज फिल्म बुलेट राजा में भी आपकी वाहवाही हुई, लेकिन फिल्म असफल रही. क्या वजह मानते हैं?
तिग्मांशु जीनियस हैं. वह किसी भी कलाकार की इमेज को देखते हुए नहीं, बल्कि प्रतिभा के अनुरूप काम देते हैं. जहां तक मुझे लगता है पहली वजह तो यह है कि यह फिल्म तिग्मांशु की लिखी कहानी नहीं थी. बीवी और गैंगस्टर’ तथा पान सिंह तोमर की कहानी जहां तिग्मांशु ने लिखी थी, वहीं इस फिल्म की कहानी कमलेश मिश्र की थी. वह कहानी सैफ को पसंद आयी और उन्होंने तिग्मांशु से कहा. मुझे लगता है अगर इस फिल्म की कहानी तिग्मांशु लिखते तो यह फिल्म भी उनकी अन्य फिल्मों की तरह सुपरहिट होती.
आपकी आनेवाली फिल्में कौन-सी हैं?
फिलहाल फॉक्स और एंडेमॉल की ट्रैफिक है. फिल्म ट्रैफिक साउथ के निर्देशक राजेश पिल्लै की सुपरहिट साउथ फिल्म ट्रैफिक का रिमेक है. साउथ में बनी इस फिल्म को तीन नेशनल अवार्ड मिल चुके हैं. इसमें मेरे साथ मनोज वाजपेयी भी हैं. इसके अलावा निर्देशक कबीर सदानंद की फगली है. इसके निर्माता एक्टर अक्षय कुमार हैं. तिग्मांशु धुलिया के असिस्टेंट करन की एक फिल्म है, जो लव स्टोरी बेस्ड है. अभी मैं निशिकांत कामथ की एक अनटाइटल फिल्म की शूटिंग कर रहा हूं. इसमें मेरे साथ इरफान खान हैं.