।। दक्षा वैदकर।।
वक्त बदल रहा है. साथ में सोचने-विचारने का ढंग भी. और बदल रहा है काम करने का तौर-तरीका. वह इसलिए कि कंपीटिशन बढ़ा है. ऐसे में जीत उसी की होगी, जो औरों से अलग दिखे. खुद को अलग दिखाना ही बेहतर प्रबंधन कहा जाता है, जिसके लिए आमतौर पर ‘मैनेजमेंट’ शब्द का प्रयोग किया जाता है.
इस मैनेजमेंट में आपके बात करने का तौर-तरीका, अपने विचारों को दूसरों के सामने प्रकट करने का तरीका और दूसरों को अपने विचारों से सहमत कराने का कौशल भी शामिल होता है. ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो अपनी कम्यूनिकेशन स्किल और बेहतर मैनेजमेंट की वजह से कैरियर में रोज नये मुकाम हासिल कर रहे हैं, लेकिन इनमें कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस चक्कर में इतने दिखावटी बन जाते हैं कि उनके आसपास के लोग इससे असहज महसूस करने लगते हैं.
उन्हें लगता है कि वे शेखी बघार कर और अंगरेजी के कुछ शब्दों और वाक्यों का प्रयोग करके दूसरों को प्रभावित कर देंगे, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं, क्योंकि बात-चीत करने का तरीका भी समय, स्थान और सामनेवाले को देखकर ही निर्धारित करना होता है. बेवजह किसी को इंप्रेस करने के लिए इसका इस्तेमाल करने से खुद की ही किरकिरी हो सकती है.
इस संदर्भ में मुङो हाल ही में घटी एक छोटी-सी घटना याद आती है. कहीं जाने के लिए एक दिन मैं जल्दबाजी में ऑटोरिक्शा में बैठ गयी. बगल में बैठे एक व्यक्ति ने कहीं फोन मिलाया. फोन पर वह कुछ इस तरह से बात कर रहा था, ‘सॉरी यार. मैं आ नहीं पाया. यू नो, आइ वाज सो बिजी.. अरे पांच लाख की डील साइन की है मैंने. उसकी तो हवा निकाल दी.. डोंट आस्क यार, लड़कियों की तो मेरे लिए लाइन लगी है..’ बात करने के दौरान अचानक से उसका फोन बज उठा. पता चला कि वह कहीं फोन पर बात नहीं कर रहा था. फोन पर बात करने का नाटक करके मुङो और ऑटो में बैठी एक और लड़की को इंप्रेस करने की कोशिश में लगा था. फोन आने के बाद जब हमने उसकी ओर देखा, तो शर्मिदगी से उसका चेहरा झुका जा रहा था. आखिर उसकी चोरी जो पकड़ी गयी थी.
बात पते की..
समाज में आप की छवि आप के काम और व्यवहार से बनती है, न कि आपके द्वारा किसी भी तरह से इसे बनाने की कोशिशों से.
दिखावे से कभी किसी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है. जीवन में सफलता हासिल करनी है, तो ओरिजनल बने रह कर प्रयास कीजिए.