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अगले महीने चीन में होगी G-20 की बैठक, जानें भारत का क्या है एजेंडा ?

बीजिंग:चीन में अगले महीने होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत का जोर रोजगार सृजन के लिए सदस्य देशों में बुनियादी सुधार, समावेशी वृद्धि को प्रोत्साहन और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकसित देशों द्वारा की गयी 100 अरब डॉलर की सहायता की प्रतिबद्धता के क्रियान्वयन पर होगा. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास […]

बीजिंग:चीन में अगले महीने होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत का जोर रोजगार सृजन के लिए सदस्य देशों में बुनियादी सुधार, समावेशी वृद्धि को प्रोत्साहन और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकसित देशों द्वारा की गयी 100 अरब डॉलर की सहायता की प्रतिबद्धता के क्रियान्वयन पर होगा. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने आज यह बात कही. दास ने कहा कि गोवा में अक्तूबर में होने वाले ब्रिक्स (ब्राजील, रुस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका0 शिखर सम्मेलन मों पांच सदस्यीय समूह के लिए एक केडिट रेटिंग एजेंसी शुरु करने के प्रस्ताव पर भी विचार होगा.

प्रस्ताव है कि यह अमेरिकी रेटिंग एजेंसियों की तर्ज पर वित्तीय साख का वर्गीकरण करेगी. दास यहां आठवें भारत-चीन वित्तीय एवं आर्थिक वार्ता में भाग लेने आए हैं.दास ने कहा कि पूर्वी चीन के हांगझाउ शहर में 4-5 सितंबर को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत का मुख्य जोर सदस्य देशों द्वारा रोजगार वृद्धि के लिए वैश्वक स्तर पर बुनियादी सुधारों के क्रियान्वयन पर होगा. दास ने यहां पीटीआई भाषा से कहा कि इस सम्मेलन का अन्य महत्वपूर्ण पहलू इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जी-20 शिखर सम्मेलन में आने वाले नेताओं के साथ सम्मेलन के इतर अलग अगल बैठकें होंगी.
उन्होंने कहा कि मोदी का यात्रा कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है. जी-20 देशों में अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रुस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं. दास ने कहा कि इस सम्मेलन मेंहम दुनिया को बुनियादी सुधारों की जरूरत के बारे में बताना चाहेंगे. उन्हांेने कहा कि कई देश बुनियादी सुधारों को आगे बढा रहे हैं और भारत का जोर दुनिया से यह अपील करने पर है कि सुधारं को जारी रखना जरुरी है, क्योंकि सिर्फ यही एक तरीका है जिससे वैश्विक वृद्धि को पुनर्जीवित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमारी पृष्ठभूमि काफी मजबूत है.‘‘हमने एफडीआई नीति के उदारीकरण के लिए काफी काम किया है. एफडीआई के मामले में हम दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्था हैं

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