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कंपीटीशन की जरूरत ही क्या है?

।। दक्षा वैदकर।। ऋतिक रोशन की पत्नी सुजैन खान का एक वीडियो मैंने देखा, जिसमें वे अपनी कंपनी ‘द चारकोल प्रोजेक्ट’ के बारे में बताती हैं. उसमें एक सवाल ‘आपके मुताबिक कंपीटीशन क्या है?’ के जवाब में वे बहुत सुंदर बात कहती हैं. वे कहती हैं ‘कंपीटीशन जैसी कोई चीज नहीं होती. अगर कोई व्यक्ति […]

।। दक्षा वैदकर।।

ऋतिक रोशन की पत्नी सुजैन खान का एक वीडियो मैंने देखा, जिसमें वे अपनी कंपनी ‘द चारकोल प्रोजेक्ट’ के बारे में बताती हैं. उसमें एक सवाल ‘आपके मुताबिक कंपीटीशन क्या है?’ के जवाब में वे बहुत सुंदर बात कहती हैं. वे कहती हैं ‘कंपीटीशन जैसी कोई चीज नहीं होती. अगर कोई व्यक्ति आपकी ही फील्ड में बेहतरीन काम कर रहा है, तो उससे कंपीट करने की बजाय उसे अपना दोस्त बना लेना चाहिए. इस तरह आप दोनों एक-दूसरे के गुणों को सीख सकते हैं और खुद को विकसित कर सकते हैं. हमें यह समझना होगा कि दुनिया बहुत बड़ी है. इसमें इतना स्कोप तो है ही कि आप दोनों ही बेहतर तरीके से ग्रो कर सकें, तो फिर कंपीटीशन किस बात का? बेहतर तो यह होगा कि आप उस व्यक्ति के साथ मिलकर बिजनेस शुरू करें और साथ-साथ आगे बढें.

मैं इंटीरियर डिजाइनिंग, फर्नीचर का बिजनेस करती हूं. मैं इस फील्ड के लोगों से कंपीटीशन करने के बजाय उनके गुणों को सीखने की कोशिश करती हूं. दुनिया के बेस्ट डिजाइनर एंड्रू मार्टिन मेरी प्रेरणा हैं. मैंने उनका काम देखा है और बहुत सी चीजें सीखी हैं. मैंने दूसरी इंटीरियर डिजाइनिंग कंपनी के साथ गठजोड़ किया है. मेरी कंपनी का पेरिस की एक कंपनी के साथ गठजोड़ है. कई लोगों ने मुङो ऐसा करने से रोका था, लेकिन मेरा मानना है कि वहां की कंपनी को जोड़ने का मतलब है कि एक नयी संस्कृति, डिजाइन का टच अपने इंटीरियर में लाना.

मेरा मानना है कि क्रिएटिव काम के लिए हमें अपना दिमाग बच्चे की तरह बना लेना चाहिए, क्योंकि बच्चे का दिमाग स्पंज की तरह होता है. वह हर चीज सोख लेता है. हम भी पहले ऐसे ही थे, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होने लगे, हमारा स्पंज कड़ा होने लगा. हमारी चीजें सोखने, सीखने की क्षमता कम होने लगी. हम अब किसी के मुंह से बुराई नहीं सुन सकते. लेकिन अगर आप बिजनेस करते हैं, तो आपको अपने दिमाग के दरवाजे खोल कर रखने होंगे. ज्ञान जहां भी, जिस भी रूप में मिले, उसे ले लें. फिर वह कंपीटीटर ही क्यों न हो.

बात पते की..

लोगों से जलन करने या उनसे स्पर्धा करने की बजाय उन्हें अपना दोस्त बनाएं और नयी चीजों को सीखने की कोशिश करें.

दुनिया बहुत बड़ी है. यहां एक ही फील्ड में बेहतरीन काम करनेवाले हजारों लोग हैं. फिर स्पर्धा की जरूरत क्या है. बेहतर काम करें, बस.

Prabhat Khabar Digital Desk
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