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शोधकर्ता ने मापा भारत में रात की रोशनी का प्रसार

वाशिंगटन : अमेरिका के एक शोधकर्ता ने पिछले 20 साल से उपग्रहों द्वारा हर रात ली गई तस्वीरों का अध्ययन करके भारत में बिजली से रोशनी के प्रसार के इतिहास को बयां किया है. मीडिया के लिए जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि इसके लिए मिशिगन विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर ब्रियान मिन ने […]

वाशिंगटन : अमेरिका के एक शोधकर्ता ने पिछले 20 साल से उपग्रहों द्वारा हर रात ली गई तस्वीरों का अध्ययन करके भारत में बिजली से रोशनी के प्रसार के इतिहास को बयां किया है. मीडिया के लिए जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि इसके लिए मिशिगन विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर ब्रियान मिन ने लगभग 8000 रातों में छह लाख से ज्यादा गांवों से आने वाली रोशनी की उपग्रहों से ली गई तस्वीरों और 4.4 अरब डाटा बिंदुओं को जुटाया है.

मिन ने कहा, ‘‘यह परियोजना भारत के गांवों की रोशनी में नाटकीय ढंग से आए बदलावों को दिखाती है.” मिन ने कहा, ‘‘पंजाब और हरियाणा जैसे ग्रामीण इलाकों में रोशनी जहां ज्यादा बढी है, वहीं झारखंड, उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों की रोशनी में इन दशकों में थोडा ही सुधार आया है.” शोधकर्ता का कहना है कि गांवों में रोशनी करने के लिए गोबर के उपलों और केरोसीन लैंपों का इस्तेमाल वर्ष 1993 से 2013 तक कम हुआ है लेकिन अब भी एक बडा इलाका अंधेरे में ही रहता है.

इस अध्ययन से जुडे परिणामों को विश्व बैंक, यूएस नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड डेवलपमेंट सीड की साझेदारी से बनाई गई वेबसाइट नाइटलाइट्स.आईओ पर डाला गया है. विश्वविद्यालय ने कहा कि यह बिजली से रोशन करने वाली परियोजनाओं के असर से जुडे अदभुत पहलू को दिखाता है. इसके जरिए प्रयोगकर्ता राज्य और जिला स्तर पर जूम करके देख सकते हैं और इससे उन्हें पिछले दो दशकों में आए बदलाव दिखेंगे. मिन ने कहा, ‘‘यहां तक कि एक ग्रामीण व्यक्ति भी इन नक्शों को देख कर जान सकता है कि बिजली से होने वाली रोशनी ने उसके गांव पर किस तरह से असर डाला है.” मिन ने कहा, ‘‘भारत में, विद्युतीकरण जैसे मुद्दे राजनीतिक महत्व के आधार पर चलते हैं.”

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