काठमांडो : नेपाल में ताजा हिंसा में भारत की सीमा से सटे वहां के एक शहर में आंदोलनकारी मधेसियों और सत्तारुढ़ सीपीएन-यूएमएल की युवा शाखा के कार्यकर्ताओं को तितर बितर करने के लिए पुलिस द्वारा की गयी गोलीबारी में एक महिल समेत तीन व्यक्तियों की मौत हो गयी. इस घटना के बाद प्रधानमंत्री ओ पी कोली ने वहां का अपना दौरा रद्द कर दिया.
3 Madhesi protesters killed in clashes with Nepal police pic.twitter.com/rliUTlJYV8
— ANI (@ANI) January 21, 2016
मोरंग जिले की रंगेली नगरपालिका में जब संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चा (एसएलएमएम) के कार्यकर्ताओं ने यूथ एसोसिएशन ऑफ नेपाल (वाईएएन) द्वारा प्रधानमंत्री के लिए आयोजित अभिनंदन समारोह में विघ्न पैदा करने की कोशिश की तब वहां तनाव पैदा हो गया. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस ने लाठीचार्ज कर, आंसू गैस के गोले दागकर और हवाई फायरिंग कर झड़प रोकने की कोशिश की लेकिन जब वह हिंसक हो गयी तब उसे गोलियां चलानी पड़ी.
मोरंग के मुख्य जिलाधिकारी स्वयं राया ने बताया कि तीन व्यक्तियों की मौत हो गयी जबकि आठ अन्य घायल हो गए. मारे गए व्यक्तियों की पहचान द्रौपदी देवी चौधरी (60), शिवू माझी और महादेव रिषि के रुप में हुई है. पुलिस उपमहानिरीक्षक माधव जोशी ने बताया कि घायलों को एक स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया.
प्रधानमंत्री ओली ने इलाके में तनाव फैलने के बाद वहां का अपना दौरा रद्द कर दिया. सीपीएन -यूएमएल महासचिव इश्वर पोखारेल तथा अन्य वरिष्ठ नेता सभा को संबोधित करने सभास्थल पर गए. मधेसी फ्रंट ने पहले वाईएएन को कार्यक्रम नहीं आयोजित करने की चेतावनी दी थी और कहा था कि वह प्रधानमंत्री को सम्मानित करने की किसी भी कोशिश को विफल कर देगा.
दक्षिणी जिलों में भारतीय मूल के मधेसी नये संविधान का पिछले पांच महीनों से विरोध कर रहे हैं. उनका दावा है कि नये संविधान का संघीय ढांचा उनकी मांगों पर खरा नहीं उतरा. संविधान में देश को छह प्रांतों में विभाजित करने का प्रावधान है. इसी बीच आंदोलनकारी मधेसी संगठनों और सरकार के बीच आज भी वार्ता जारी रही. आंदोलनकारी नेताओं और प्रधानमंत्री के बीच यहां बैठक हुई लेकिन बैठक में कोई सहमति नहीं बन पायी.
यूनाईटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट के एक शीर्ष नेता ने कहा कि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर कायम हैं और कोई प्रगति नहीं हुई है. भारतीयों के साथ अपना दृढ सांस्कृतिक और पारिवारिक नाता रखने वाले मधेसियों की मांग है कि प्रांतों का सीमांकन और निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन जनसंख्या एवं आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर हो. आंदोलन में अबतक 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.