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नेपाल में विरोध का असर भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर

काठमांडो : नेपाल में भारतीय मूल के मधेसियों के आंदोलन के बीच भारत के साथ लगे प्रमुख सीमा व्यापार बिंदुओं के बंद रहने देश में प्रमुख भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने उत्पादों का निर्यात करने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. काठमांडो पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, मधेसियों का आंदोलन लंबा खिंचने […]

काठमांडो : नेपाल में भारतीय मूल के मधेसियों के आंदोलन के बीच भारत के साथ लगे प्रमुख सीमा व्यापार बिंदुओं के बंद रहने देश में प्रमुख भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने उत्पादों का निर्यात करने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. काठमांडो पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, मधेसियों का आंदोलन लंबा खिंचने से प्रमुख भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे डाबर, युनिलीवर और आईटीसी इंडिया की अनुषंगियां अपनी क्षमता से नीचे परिचालन कर रही हैं, इनका स्टाक घट रहा है और इन्हें अपने उत्पादों का निर्यात करने में मुश्किलें आ रही हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी पठार विशेषकर मोरंग-सुनसारी और बारा-परसा औद्योगिक गलियारों में स्थित ज्यादातर उद्योग इस आंदोलन से प्रभावित हुए हैं.डाबर ने बृहस्पतिवार को बंबई शेयर बाजार को बताया कि नेपाल में उसके संयंत्र से आपूर्ति बाधित होने के चलते जूस की बिक्री अक्तूबर-नवंबर में 10-15 प्रतिशत कम रहने की संभावना है. जब से तराई में अशांति शुरु हुई है, डाबर नेपाल का बीरगंज स्थित संयंत्र केवल घरेलू बाजार की जरुरतें पूरी कर रहा है. डाबर नेपाल के विपणन प्रमुख अभय गोरखली ने कहा, ‘‘ हमारी कंपनी में स्थिति अन्य उद्योगों से कोई भिन्न नहीं है.” युनिलीवर नेपाल की भी कमोबेश यही कहानी है. इसी तरह, आईटीसी इंडिया की अनुषंगी सूर्या नेपाल ने भी बताया कि वह अपनी स्थापित क्षमता का महज 30 प्रतिशत परिचालन कर रही है.

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