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पासवान के दामाद के टिकट का मामला पहुंचेगा हाईकोर्ट, बेबी लड़ेंगी निर्दलीय

पटना : लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने हां-ना के बीच अपने दोनों दामाद को टिकट दे दिया है. लोजपा प्रमुख ने अपने बड़े दामाद धनंजय कुमार उर्फ मृणाल को दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान से उम्मीदवार बनाया है. जबकि छोटे दामाद अनिल कुमार साधु को मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां सीट से टिकट दिया है. हालांकि […]

पटना : लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने हां-ना के बीच अपने दोनों दामाद को टिकट दे दिया है. लोजपा प्रमुख ने अपने बड़े दामाद धनंजय कुमार उर्फ मृणाल को दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान से उम्मीदवार बनाया है. जबकि छोटे दामाद अनिल कुमार साधु को मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां सीट से टिकट दिया है. हालांकि कुशेश्वर स्थान से तो उम्मीदवार का ऐलान नहीं हुआ था लेकिन पार्टी ने बोचहां से बेबी कुमारी को टिकट दे रखा था और बेबी कुमारी अपना नामांकन भी दाखिल कर चुकी हैं. बोचहां सीट से अनिल कुमार साधु को लोजपा प्रत्याशी बनाये जाने की सूचना मिलने के साथ ही मंगलवार को वे फूट-फूटकर रोने लगी. जानकारी के मुताबिक गुरुवार को बेबी के वकील ने कहा है कि वह इस मामले को लेकर हाईकार्ट में जायेंगे. फिलहाल चुनाव आयोग ने उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्देश दिया है.

उधर, पूर्व सांसद कैप्टन जयनारायण निषाद ने बेबी कुमारी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने की बात कही है. बोचहां सीट पर अब लोजपा के दो-दो उम्मीदवार हैं. अनिल कुमार साधु वही शख्स हैं जिन्होंने टिकट नहीं मिलने पर रोना धोना करने के साथ ही रामविलास पासवान के खिलाफ मोरचा खोलने की बात कही थी. रामविलास ने दोनों दामाद के अलावे अपने रिश्ते में एक बहू सरिता पासवान को सोनबरसा सीट से टिकट दे रखा है. सरिता पासवान रामविलास की बहन की बहू हैं. पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस खुद अलौली से लड़ रहे हैं. दूसरे भाई रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज कल्याणपुर से उम्मीदवार है. साफ है लोजपा की सूची में परिवार के सदस्यों का नाम भरा हुआ है.

बेबी कुमारी का मामला
मुजफ्फरपुर के बोचहां से नामांकन परचा दाखिल कर चुकी लोजपा प्रत्याशी बेबी कुमारी का टिकट कटने के मामले को लेकर क्षेत्र की जनता के साथ ही गंठबंधन के स्थानीय नेता व कार्यकर्ता भी असमंजस की स्थिति में है. वैसे चर्चा यह भी है कि जिस समय बेबी को सिंबल दिया गया, उस समय ए और बी दोनों फॉर्म उन्हें उपलब्ब्ध करा दिया गया. नामांकन के क्र म में बेबी कुमारी ने दोनों फॉर्म निर्वाचन अधिकारी के यहां जमा करा दिया है. लोजपा में सिंबल देकर फिर दूसरे लोगों को उम्मीदवार बनाने की यह नयी परंपरा नहीं है. वर्ष 2005 में भी गायघाट विधान सभा से अजय सिंह को लोजपा का सिंबल दे दिया गया था, उन्हें भी एक और बी दोनों फार्म दे दिया गया था. फिर अचानक वकील सहनी को लोजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया और उन्हें भी सिंबल दिया, लेकिन कुछ कानूनी पेंच में मामला उलझ गया और अजय सिंह को ही पार्टी का चुनाव चिह्न् आवंटित हुआ. पार्टी वकील सहनी को अपना उम्मीदवार मानते हुए उन्हीं के पक्ष में प्रचार-प्रसार की. बेबी कुमारी के मामले में भी कमोबेश लोग उसी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है.

टिकट ना मिलने से दुखी साधु ने पूछा था, मैं क्यों नहीं
बीते दिनों एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान अनिल साधु बगैर अपने आंसू रोके कहे जा रहे थे मैं क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि मैं और राम विलास पासवान एक परिवार हैं. जानता हूं कि वह मुझसे नफरत नहीं करते लेकिन यह मेरे हक की लड़ाई है और मैं इसे जारी रखूंगा. गौर हो कि साधु का पासवान की सबसे छोटी बेटी आशा से शादी हुई है और 1988 से राज्य राजनीति में सक्रिय हैं. साधु ने आरोप लगाते हुए कहा था कि इस मामले में पक्षपात किया जा रहा है क्योंकि पासवान के भाई और भतीजे ने बाजी मार ली है. साधु उस दलित सेना के प्रमुख है जो पिछड़ी जाति को संघिटत करने का काम करते हैं. उन्होंने कहा है कि पार्टी की यह शाखा पासवान के खिलाफ सक्रि य रूप से अभियान चलाएगी. बाद में अनिल साधु ने यू टर्न ले लिया और रामविलास पासवान और चिराग पासवान को अपना आदर्श बताया. साथ ही अपने ससुर और साले से पुरानी गलतियों की माफी भी मांगी.

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