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भारत में संस्‍कृत में श्‍लोक पढ़ने पर धर्मनिरपेक्षता पर उठता है सवाल : नरेंद्र मोदी

न्‍यूयार्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो आयरलैंड और अमेरिका दौरे के क्रम में पहले आयरलैंड के डबलीन पहुंचे. यहां भारतीयों ने उनका जोरदार स्‍वागत किया. डबलीन में प्रधानमंत्री का स्‍वागत बच्‍चों ने संस्‍कृत में स्‍वागत गान गाया. प्रधानमंत्री इससे भाव विभोर हो गये. 60 साल के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री आयरलैंड गये हैं. नरेंद्र […]

न्‍यूयार्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो आयरलैंड और अमेरिका दौरे के क्रम में पहले आयरलैंड के डबलीन पहुंचे. यहां भारतीयों ने उनका जोरदार स्‍वागत किया. डबलीन में प्रधानमंत्री का स्‍वागत बच्‍चों ने संस्‍कृत में स्‍वागत गान गाया. प्रधानमंत्री इससे भाव विभोर हो गये. 60 साल के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री आयरलैंड गये हैं. नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘ अब आइरिस बच्‍चे संस्‍कृत में मंत्रोच्‍चार कर रहे हैं, स्‍वागत गान गा रहे हैं. और वे रटे-रटाए शब्‍द बोल रहे थे, ऐसा मुझे नहीं लगा. किस शब्‍द में उनका क्‍या भाव था, वो भी अभिव्‍यक्‍त हो रहा था, मतलब उन्होंने इस बात को आत्‍मसात कर लिया था. उनके जो भी शिक्षक इस काम को करते होंगे, मैं उनको बधाई देता हूं.’

उन्‍होंने कहा कि लेकिन ये खुशी की बात है आयरलैंड में तो हम ये कर सकते हैं, लेकिन हिंदुस्तान में कुछ ऐसा करते तो पता नहीं, धर्मनिरपेक्षता पर सवालिया निशान खड़ा हो जाता. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ लेकिन इन दिनों बदलाव आ रहा है. आप देखिए योग, दुनिया उसको योगा कहती है. सारी दुनिया नाक पकड़ने लग गई है. विश्व के सभी देशों ने अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस मनाया. भारत के ये हजारों साल पुराना विज्ञान, आज समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए, निवारक स्वास्थ्य देखभाल के लिए, एक बहुत बड़ी स्वीकार्य, स्वीकृत पद्धति के रूप में पूरे विश्व में फैल चुका है. और पहले हमारे यहां कल्पना क्या थी, अगर इलनेस नहीं है, तो आप स्वस्थ हैं, अब ये विचार भारतीय चिंतन का नहीं है. इलनेस नहीं, मतलब स्‍वस्‍थ! ये हमारी सोच नहीं है. हम उससे दो कदम आगे वेलनेस की चर्चा करते हैं. हमारी कल्‍पना वेलनेस थी और यही योगा उस वेलनेस से जुड़ा हुआ है. सिर्फ रोग से मुक्‍त है, इसलिए आप स्‍वस्‍थ है ऐसा नहीं है. तो भारत की मूल बातें विश्‍व स्‍वीकार करने लगा है, लेकिन दुनिया तब स्‍वीकारती है जब भारत में दम हो. अगर भारत में दम नहीं हो, तो दुनिया क्‍यों पूछेगी भाई.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज मेरी यहां के प्रधानमंत्री के साथ बड़ी विस्‍तार से बातें हुई है. अब बहुत समय कम था, लेकिन बातचीत बहुत बढि़या रही, इतने विषयों पर चर्चा हुई है. कितनी बातों पर सहमति का माहौल है. मैं समझता हूं कि आयरलैंड के साथ भारत के संबंध और अधिक गहरे होने चाहिए. अनेक विषयों के साथ जुड़े हुए होने चाहिए. पीएम ने भारत और आयरलैंड की सोंच को एक बताया. उन्‍होंने कहा कि 2016 में आयरलैंड अपनी आजादी की शताब्‍दी मना रहा है, आजादी के संघर्ष की शताब्‍दी मना रहा है. भारत भी उसी समय आजादी का संघर्ष कर रहा था और एक प्रकार से भारत भी आजादी की लड़ाई लड़ता था, आयरलैंड भी आजादी की लड़ाई लड़ता था और सच में यह हमारी सांझी विरासत है. हम सोच रहे है कि यह 2016 का, आयरलैंड का आजादी का जो संग्राम है, इस शताब्‍दी में भारत भी भागीदार बने, भारत भी आयरलैंड हो. आयरलैंड और भारत की जो विशेषताएं हैं कुछ मूल्‍य बहुत किसी न किसी कारण से, एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. जैसे भारत में सत्‍य के लिए जीना-मरना. यह सदियों से हम सुनते आए हैं. एक आदर्श के लिए, विचार के लिए बलि चढ़ जाना. उन्‍होंने कहा कि 1920 में आयरलैंड में भूख हड़ताल हुआ था और यहां के नागरिक ने अपना जीवन समर्पित कर दिया था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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