वाशिंगटन : अमेरिका ने एक मिशाल पेश करते हुए पहली बार एक ट्रांसजेंडर महिला को व्हाइट हाउस का कर्मचारी नियुक्त किया है. व्हाइट हाउस में मंगलवार को ट्रांसजेंडर ऐक्टिविस्ट राफी फ्रीडमन गुरस्पैन की नियुक्ति की गयी है.ओबामा के सीनियर अडवाइजर वालेरे जारेट ने बताया कि राफी अपने प्रदर्श के बल पर प्रशासनिक चैंपियन के तौर पर उभरी हैं. अमेरिका में रह रहे ट्रांसजेंडर के प्रति उनका सकारात्मक संघर्षपूर्ण रवैया खासा चर्चित है. ट्रांसजेंडर के रंग-रूप आदि के खिलाफ उनकी कोशिशें दिखाती हैं कि उनमें प्रशासनिक क्षमता है.
राफी की नियुक्ति हाउस पर्सनल ऑफिस में हुई है. वह अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए काम करने वाली नियुक्ति करने वाली टीम का हिस्सा बनीं हैं. राफी की नियुक्ति उस घटना के करीब दो महीने बाद हुई जब बिना वैध दस्तावेजों के अमेरिका में रह रही जेनसेट गुतिरेज ने व्हाइट हाउस में एलजीबीटी समुदाय के समारोह में प्रेजिडेंट बराक ओबामा को अपने प्रश्नों से परेशानी में डाल दिया था. इससे ट्रांसजेंडर समुदाय तक पहुंच बनाने को लेकर ओबामा प्रशासन को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी.
भारत में भी एक ट्रांसजेंडर बनीं है प्रिंसिपल
भारत ने ट्रांसजेंडरों की उनका हक देने के मामले में तत्परता दिखाते हुए पहली महिला ट्रांसजेंडर मानबी बंदोपाध्याय ने 10 जून को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के कृष्णानगर वूमेन कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया है. मानबी ने इस दौरान कहा था कि यहां तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं रहा. उन्होंने बताया कि कॉलेज सर्विस कमिशन के इंटरव्यू में उनकी योग्यता को पूरी तरह परखा गया. मानबी बंदोपाध्याय ने यह स्पष्ट किया कि उनकी नियुक्ति से उनके लिंग का कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि इंटरव्यू में इस बात से फर्क नहीं पडता कि आप महिला हैं या पुरुष हैं या फिर कोई और जेंडर.
उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर लोग भी शानदार काम करते हैं. कॉलेज में उनका स्वागत कुछ इस शब्द से हुआ : हमें मां चाहिए. दरअसल कॉलेज की छात्राएं उनमें अपनी मां का अक्श देख रही हैं और पिछले तीन साल से यहां किसी प्रिंसिपल की तैनाती की नहीं की गयी, इसलिए भी उनकी नियुक्ति खास है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह ट्रांसजेंडर शब्द से अपनी पहचान नहीं स्थापित करना चाहती हैं. मालूम हो कि 24 परगना जिले के नईहाटी में जन्मी मानबी ने 2003 में ऑपरेशन करवा कर अपना लिंग परिवर्तित करवा लिया था. उन्होंने कहा कि उन्होंने बचपन में ही ट्रांसजेंडर शब्द सुना था और अब तक वह अपनी लडाई खुद लडी हैं. उन्होंने शुरुआत में अपना उपहास उडाये जाने की बात भी याद की.
भारतीय संसद भी ट्रांसजेंडरों के अधिकार को लेकर गंभीर
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने 11 जून को कहा था कि संसद के मानसून सत्र में ट्रांसजेंडरों के अधिकार से संबंधित एक विधेयक पेश किया जायेगा. हालांकि कांग्रेस के प्रदर्शनकारी रवैये के कारण मानसून सत्र पूरा बेकार चला गया और एक भी दिन सदन ढंग से नहीं चल पाया. गहलोत ने कहा था कि एक विशेष समिति ने इस विषय से संबंधित कई मामलों के बारे में चर्चा की है. विधायी विभाग से ट्रांसजेंडरों के अधिकार से संबंधित विधेयक का मसौदा तैयार करने का आग्रह किया गया है.
अपने मंत्रालय के एक साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमने ट्रांसजेंडरों के कल्याण के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव किया है. इस मामले को देखने के लिए एक विशेष समिति गठित की गयी है और इसने चार बैठकें की जिसमें इस विषय से संबंधित कई मामलों पर चर्चा की गई.’ उन्होंने कहा, ‘हम संसद के मानसून सत्र में ट्रांसजेंडरों पर एक विधेयक पेश करेंगे.’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर स्पष्टीकरण के संबंध में एक समीक्षा याचिका दायर की है ताकि ट्रांसजेंडरों के लिए तीसरी श्रेणी सृजित की जा सके.