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नेपाल के संविधान का पहला मसौदा संसद में किया जाएगा पेश

काठमांडो : नेपाल की मसौदा समिति ने एक बडी सफलता के तहत लंबे समय से लंबित संविधान के प्रथम मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसके लागू हो जाने पर नेपाल को एक ‘धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और विविध जातीय’ देश के रूप में पहली बार मान्यता मिलेगी. बाद में आज, मसौदा 601 सदस्यीय संविधान सभा में […]

काठमांडो : नेपाल की मसौदा समिति ने एक बडी सफलता के तहत लंबे समय से लंबित संविधान के प्रथम मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसके लागू हो जाने पर नेपाल को एक ‘धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और विविध जातीय’ देश के रूप में पहली बार मान्यता मिलेगी. बाद में आज, मसौदा 601 सदस्यीय संविधान सभा में पेश किया जाएगा. इस मसौदे को नेपाल की राजनीतिक पार्टियों द्वारा 16 सूत्री समझौते के आधार पर तैयार किया गया है.

संविधान सभा में चार बडी राजनीतिक पार्टियां संविधान सभा की 90 फीसदी से अधिक सीटों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. 25 अप्रैल के भूकंप के मद्देनजर यह आठ जून को एक ऐतिहासिक समझौते पर पहुंची थी. भूकंप में बडे पैमाने पर तबाही हुई थी. संविधान सभा ने समिति को नये संविधान के लिए मसौदा तैयार करने और उसे सौंपने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया था. ऐसा लगता है कि यह काम समय सीमा में ही होने वाला है.

नेपाल नये संविधान के प्रावधानों के मुताबिक एक धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और विविध जातीय देश कहा जाएगा. अभी तक यह संवैधानिक रूप से घोषित एकमात्र हिंदू राष्ट्र था. संविधान ने शासन की संसदीय प्रणाली अपनाई है जहां कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित हैं, जो बहुमत से संसद के जरिए चुने जाएंगे. राजनीतिक पार्टियां, संघीय संसद और राज्य विधानमंडलों में मिश्रित निर्वाचन प्रणाली अपनाने को राजी हुई है जिसके तहत 60 फीसदी सदस्य प्रत्यक्ष मतदान से और 40 फीसदी आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए चुने जाएंगे.

संघीय संसद में 275 सदस्य होंगे जिनमें 165 प्रत्यक्ष वोटिंग से चुने जाएंगे और शेष 110 आनुपातिक प्रतिनिधत्व मतदान प्रणाली से चुने जाएंगे. नये संविधान के तहत यह प्रावधान तय किया गया है कि देश बहुलवादी सिद्धांत पर आधारित विविध पार्टी लोकतंत्र होगा और इस प्रावधान को बदलने के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं किया जा सकेगा. संविधान के अन्य सामान्य प्रावधानों में संशोधन दो तिहाई वोट से हो सकेगा.

संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के साथ धर्मनिरपेक्षता को अपनाया गया है. नये संविधान के प्रावधान के तहत नागरिकता पिता या माता के नाम पर मिल सकेगी. जहां तक शासन के स्वरुप का सवाल है नये संविधान ने संघीय लोकतांत्रिक गणराज्यीय संसदीय प्रणाली के साथ बहुलवादी विविध पार्टी प्रतिस्पर्धी लोकतंत्र अपनाया है. राष्ट्रपति के चुनाव के निर्वाचक मंडल में संघीय संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्य होंगे. केंद्र में द्विसदनीय संसद होगी जबकि राज्य में एक ही सदन होगा.

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