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जानें! मिस्त्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी की पूरी कहानी…

मुहम्मद मुर्सी मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख राजनीतिज्ञ माने जाते हैं. मोहम्मद मोर्सी मुस्लिम ब्रदरहुड की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने थे और मिस्त्र में पहली बार हुए राष्ट्रपति चुनाव में बहुमत के साथ राष्ट्रपति बने थे. 60 वर्षीय मुर्सी ने राजनीति में आने से पहले इंजीनियरिंग की शिक्षा ली थी. उनकी […]

मुहम्मद मुर्सी मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख राजनीतिज्ञ माने जाते हैं. मोहम्मद मोर्सी मुस्लिम ब्रदरहुड की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने थे और मिस्त्र में पहली बार हुए राष्ट्रपति चुनाव में बहुमत के साथ राष्ट्रपति बने थे.

60 वर्षीय मुर्सी ने राजनीति में आने से पहले इंजीनियरिंग की शिक्षा ली थी. उनकी पढाई अमेरिका में हुई थी. 2001-2005 के बीच वे मिस्त्र में हुए आम चुनाव में वे निर्दलीय सांसद रहे थे.
मोर्सी जनवरी 2011 में मुस्लिम ब्रदरहुड के राजनीतिक दल फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष भी रहे थे. जब मुस्लिम ब्रदरहुड के राष्ट्रपति उम्मीदवार खैरात अल-शातेर को होस्नी मुबारक शासनकाल के दौरान दर्ज़ किए गए आपराधिक मामले के कारण राष्ट्रपति उम्मीवार होने के अयोग्य ठहरा दिया गया मुस्लिम ब्रदरहुड दल से उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था.
मिस्त्र के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद मोर्सी के ऊपर दिसंबर 2012 में राष्ट्रपति आवास के बाहर प्रदर्शनकारियों पर हिंसात्मक कारवाई और गिरफ़्तारी का आदेश देने का दोषी होने का आरोप था. अदालत ने आज इन आरोपों के आधार पर मोर्सी को दोषी ठहराया है. हालांकि, मिस्त्र के कानून के मद्देनजर पहले यह अंदेशा लगाया जा रहा था कि शायद अदालत इतनी बड़ी तादाद में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हिंसात्मक आदेश और लोगों की जान लेने के आरोप में मोर्सी को मौत की सजा सुनाएगी लेकिन अदालत ने हत्या के आरोपों से पूर्व राष्ट्रपति को बरी कर दिया है. फिलहाल मोर्सी को राष्ट्रपति के महल के बाहर संघर्ष में प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और यातना आदेश देने का दोषी मानते हुए सजा दी गयी है.
इसके अलावा मोर्सी पर तीन अन्य गंभीर आरोपों का भी सामना कर रहे हैं, जिनमें पड़ोसी देश क़तर को देश की खुफिया सूचनाएं देने का आरोप के अलावा अल-जजीरा समाचार चैनल को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज सौंपने के आरोपभी शामिल है.
साल 2013 की गर्मियों में तत्कालीन राष्ट्रपति मोर्सी का उनके मिलिटरी प्रमुख और रक्षा मंत्री अब्देल फतह ने तख्तापलट दिया था. इसके बाद अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी के मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थकों ने पूरे मिस्त्र में धरना-प्रदर्शनों का दौर शुरू कर दिया जिसको रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर जगह-जगह गोलीबारी और हिंसा के बूते विरोधों की इस कड़ी को दबाने की कोशिश जारी रखी.
हिंसा और दमन की इस कारवाई में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की जान जा चुकी है और कैरो के रब्बा अल अदाविया स्क्वायर में तो सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कम से कम 817 लोगों की जान चली गयी थी. ह्यूमन राइट्स वाच ने इसे मानवता के विरुद्ध अपराध कहा था.
अपने शासनकाल में मोहम्मद मोर्सी, अरब गणराज्य मिस्र के राष्ट्रपति की हैसियत से मार्च 2013 में भारत की राजकीय यात्रा पर भी आ चुके हैं. उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनकी मुलाकात हुई थी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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