भारत में एविएशन सेक्टर पिछले कुछ वर्षो से फिर से ऊंची उड़ान भर रहा है. मंदी के दौर में इसकी उड़ान कुछ थम सी गयी थी, लेकिन यात्रियों की संख्या में सुधार और नयी एयरलाइंस के आगमन के साथ यह कैरियर के लिहाज से फिर एक आकर्षक सेक्टर बन गया है. इस सेक्टर से जुड़े विभिन्न कैरियर विकल्पों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहा है अवसर.
पिछले कुछ वर्षो में भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत में एविएशन सेक्टर (विमानन क्षेत्र) सालाना 22 से 28 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. हाल में एविएशन सेक्टर में यात्रियों की संख्या में सुधार को देखते हुए जहां कई विदेशी एयरलाइंस भारत में अपना कारोबार शुरू करने की तैयारी में हैं, वहीं घरेलू एयरलाइंस भी अपने बेड़े में नये जहाज शामिल करने की योजना पर काम कर रही हैं. इसके अलावा देश के बड़े उद्योगपतियों का निजी विमान रखने की ओर रुझान भी बढ़ रहा है. जाहिर है इससे एविएशन इंडस्ट्री में रोजगार के नये-नये अवसर सामने आ रहे हैं. जानकारों का अनुमान है कि एविएशन सेक्टर में अगले मार्च तक ही कम से कम पांच हजार नयी नियुक्तियां होंगी.
नागरिक उड्डयन मंत्रलय की एक हालिया घोषणा के मुताबिक भारत 2020 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट बन जायेगा. मंत्रलय का लक्ष्य है कि तब तक देश के एयरपोर्ट सालाना 3,360 लाख घरेलू और 850 लाख विदेशी यात्रियों का भार सहने के लिए तैयार हो जायेंगे. इस समय भारतीय एविएशन इंडस्ट्री विश्व की नौंवी सबसे बड़ी एविएशन इंडस्ट्री है और यह सालाना करीब 1,210 लाख घरेलू व 410 लाख विदेशी यात्रियों का भार उठा रही है. आंकड़ों के अनुसार 2017 तक भारतीय बेड़े में 370 नये एयरक्राफ्ट शामिल किये जाने की योजना है.
इस समय कॉमर्शियल फ्लीट की साइज 400 के करीब है, जबकि 2020 तक इसके 1,000 तक पहुंचने की संभावना है. एयरलाइंस में 49 प्रतिशत तक एफडीआइ को मिली मंजूरी और हाल में टाटा-एयर एशिया तथा जेट एयरवेज की बड़ी डील्स यह संकेत करती हैं कि आनेवाले समय में भारतीय एविएशन इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ेगी और इसमें विभिन्न पदों के लिए भारी संख्या में प्रोफेशनल्स की आवश्यकता होगी. इसके अलावा देश में कई नये राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट खुल भी रहे हैं. इसका सीधा असर इस सेक्टर में रोजगार पर पड़ेगा और प्रोफेशनल्स की मांग काफी अधिक होगी. इसलिए इस क्षेत्र की ओर युवा आशान्वित रह सकते हैं और आगे कदम बढ़ा सकते हैं.
किस तरह के हैं कोर्स
इस इंडस्ट्री से संबंधित कोर्सो की भरमार है. यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपने लिए किस तरह के कोर्स का चयन करते हैं. इसमें ज्यादातर कोर्स ऐसे हैं, जिनमें दाखिला 12वीं (विज्ञान वर्ग) के आधार पर हो सकता है. जैसे कि कॉमर्शियल पायलट और एयर होस्टेस के कोर्स लिए आवश्यक योग्यता 12वीं और एयरफोर्स पायलट के लिए बीटेक या बीइ है. कई संस्थान अंकों के प्रतिशत को वरीयता देते हैं. इसके अलावा इस सेक्टर से जुड़े कुछ पाठ्यक्रमों में दाखिला स्नातक के बाद मिलता है.
संभावनाओं की असीम दुनिया
एविएशन इंडस्ट्री में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं. यह कई रूपों में छात्रों को आकर्षित करती हैं.
कॉमर्शियल पायलट
कॉमर्शियल पायलट का स्थान कॉकपिट में होता है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें पहले स्टूडेंट पायलट लाइसेंस (एसपीएल), फिर प्राइवेट पायलट लाइसेंस (पीपीएल) और इसके बाद कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) प्राप्त करना होता है. इसके लिए 12वीं के बाद आवेदन करना होता है. ये कॉमर्शियल पायलट सभी तरह के एयरक्राफ्ट उड़ाते हैं.
एयरफोर्स पायलट
भारतीय वायुसेना में पायलट बनना एक उम्दा कैरियर माना जाता है. देश की हवाई सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं पायलटों के जिम्मे होती है. इसलिए एयरफोर्स पायलट को हमेशा सजग रहना होता है. एयरफोर्स पायलट बनने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है हिम्मत और जज्बा. इसके लिए शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ होना आवश्यक है. इसमें फ्लाइंग ऑफिसर, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट, स्क्वाड्रन लीडर, विंग कमांडर, ग्रुप कमांडर, ग्रुप कैप्टन, एयर कमोडोर, एयर मार्शल, एयर चीफ आदि पद होते हैं.
एयर होस्टेस
एयर ट्रैफिक कंट्रोलर
एयर ट्रैफिक कंट्रोलर का काम एयरक्राफ्ट उड़ने से लेकर उसकी सुरक्षा तक की देखभाल करना होता है. समय-समय पर एयरपोर्ट और एयर रूट आदि की जानकारी पायलटों को उपलब्ध कराना भी इन्हीं की जिम्मेवारी होती है. इसमें तीन तरह के पद होते हैं. जैसे कंट्रोलर, एप्रोच कंट्रोलर व एयरोड्रम कंट्रोलर आदि. मौसम, रेडियो / रडार की सूचनाएं, आपातकालीन लैंडिंग आदि की जानकारी भी इन्हें रखनी पड़ती है.
एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर
इसका सीधा संबंध एविएशन डिवीजन से होता है. एयरक्राफ्ट के सफलतापूर्वक टेकऑफ की जिम्मेदारी भी इन्हीं के जिम्मे होती है. ये एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर पूरी तरह से सुरक्षा कार्यो पर फोकस करते हैं, ताकि एयरक्राफ्ट को बिना किसी अवरोध के उड़ाया जा सके. इसके साथ ही इन्हें मशीन, विभिन्न उपकरणों की रिपेयरिंग आदि का काम भी देखना होता है.
फ्लाइट व ग्राउंड इंस्ट्रक्टर
फ्लाइट इंस्ट्रक्टर का काम पायलट को जमीनी हकीकत के अलावा पुराने तथ्यों की जानकारी देना होता है, ताकि भविष्य में वह किसी भी तरह के हादसों से यात्रियों को बचा सके. सही मायने में देखा जाये तो फ्लाइट व ग्राउंड इंस्ट्रक्टर का काम किसी परिपक्व पायलट की तरह होता है, जो किसी एयरलाइंस की जिम्मेवारी उठाते हैं.
अन्य पद भी महत्वपूर्ण
फ्लाइट पसरुअर,
फ्लाइट डिस्पैचर
फैक्टर फेसिलेटर
एविएशन साइकोलॉजिस्ट
एविएशन डॉक्टर्स इत्यादि.
आवश्यक व्यक्तिगत गुण
यह ऐसी इंडस्ट्री है जो प्रोफेशनल्स से अनुशासन, धैर्य, जिम्मेदारी, सत्यनिष्ठा, प्रतिबद्धता और आत्मविश्वास का गुण मांगती है. इसमें कई ऐसे पद हैं, जिनमें कठोर, मेहनत, दिमागी सतर्कता, सहनशक्ति, मुश्किल दौर में काम करने की शक्ति और अच्छी टीम भावना की बदौलत ही आगे बढ़ा जा सकता है. कई बार इनके काम के घंटे काफी लंबे और उबाऊ होते हैं. ऐसे में उन्हें हर समय खुद को तरोताजा रखना होता है.
आकर्षण एवं चुनौतियां
एडवेंचरस एवं चुनौतीपूर्ण कैरियर
आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर
विभिन्न देशों में घूमने का मौका
कठिन परिश्रम की मांग करनेवाला कैरियर.
काम के सिलसिले में लंबी यात्र.
घर-परिवार से बनी रहती है दूरी.
दुर्घटना के खतरों से निपटने की चुनौती.
आकर्षक सैलरी पैकेज
इसमें विभिन्न प्रकार के पद होते हैं और उनकी सैलरी भी अलग-अलग होती है. वैसे सैलरी पैकेज के हिसाब से भी यह काफी आकर्षक कैरियर है. इसमें निजी व सरकारी एयरलाइंस की सैलरी में काफी अंतर देखने को मिलता है. यदि इस इंडस्ट्री के वेतनमान पर गौर किया जाये, तो शुरुआती दौर में इसमें 40 हजार रुपये प्रतिमाह तक मिल जाते हैं. अनुभव बढ़ने के साथ-साथ सैलरी पैकेज भी बढ़ता जाता है. आज बहुत से ऐसे कॉमर्शियल व एयर पायलट हैं, जो दो-तीन लाख रुपये प्रतिमाह का वेतन उठा रहे हैं. विदेशों में इस इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स को काफी मोटी रकम मिलती है.
संभावनाओं से भरा सेक्टर
एविएशन सेक्टर में ग्लैमरस जॉब के साथ-साथ पैसे भी खूब मिलते हैं. सैलरी पैकेज अन्य किसी क्षेत्र की तुलना में बेहतर होते हैं. 1990 के पहले सरकारी नियमों में बंधे होने के कारण देश में सिर्फ दो ही एयरलाइंस की सेवा मौजूद थीं. उस दौरान अधिक लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता था. लेकिन 1990 के बाद जब सरकार ने प्राइवेट एयरलाइंस के लिए दरवाजे खोले, तो कई निजी एयरलाइंस का पदार्पण हुआ. 2005-2008 तक का समय एविएशन इंडस्ट्री के लिए काफी स्वर्णिम रहा, क्योंकि इस दौरान कई प्राइवेट एयरलाइंस भारतीय बेड़े में शामिल हुईं और लोगों को पायलट, एयरहोस्टेस, केबिन क्रू आदि में जॉब मिलने लगीं. इसके बाद मंदी आने से इस इंडस्ट्री में काफी रुकावटें आयीं. आनेवाला समय इस इंडस्ट्री के लिए संभावनाओं भरा है. उम्मीद जतायी जा रही है कि भविष्य में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी. जहां तक इस प्रोफेशन में आने का सवाल है, तो यह काफी चुनौती भरा है. इसमें पैसे के साथ सुख-सुविधाएं भी काफी उच्च स्तर की मिलती हैं. प्रोफेशनल्स को मेट्रोपोलिटन सिटी में रहना होता है और उनकी सैलरी भी आकर्षक होती है.
कैप्टन मयंक गर्ग, फ्लाइट इंस्ट्रक्टर, गर्ग एविएशन लिमिटेड, कानपुर से बातचीत पर आधारित
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी रायबरेली, यूपी
वेबसाइट : www.igrua.gov.in
फ्रैंकफिन इंस्टीट्यूट ऑफ एयर होस्टेस, नयी दिल्ली
वेबसाइट : www.frankfinn.com
राजीव गांधी एविएशन एकेडमी, हैदराबाद
वेबसाइट : www.rgaviation.com
गुजरात फ्लाइंग क्लब, वड़ोदरा
वेबसाइट : www.gujratelyingclub.com
प्रभाकर चंद