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मोदी-ओबामा की मुलाकात स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने का होगा एक अवसर

न्यूयार्क : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले दो प्रमुख जलवायु विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ओबामा की मुलाकात ज्यादा स्वच्छ, निम्न-कार्बन एवं जलवायु अनुकूल (क्लाइमेट रेजिलिएंट) उपायों पर खासी प्रगति करने का एक ‘जबरदस्त मौका’ देती है. ‘वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ के प्रबंध निदेशक मनीष बापना और ‘इंटरनेशनल […]

न्यूयार्क : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले दो प्रमुख जलवायु विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ओबामा की मुलाकात ज्यादा स्वच्छ, निम्न-कार्बन एवं जलवायु अनुकूल (क्लाइमेट रेजिलिएंट) उपायों पर खासी प्रगति करने का एक ‘जबरदस्त मौका’ देती है. ‘वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ के प्रबंध निदेशक मनीष बापना और ‘इंटरनेशनल क्लाइमेट इनिशिएटिव’ के निदेशक डेविड वासकोव ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा है, ‘जहां (दोनों) नेताओं की चर्चा परमाणु उर्जा एवं कारोबार समेत अनेक मुद्दों पर होगी, जलवायु एवं स्वच्छ उर्जा कार्यसूची का केंद्रीय हिस्सा होगा. यह दोनों देशों के लिए निम्न कार्बन उपायों पर स्थानांतरण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति करने के लिए जबरदस्त अवसर है.’

दोनों जलवायु विशेषज्ञों ने कहा कि जहां भारत और अमेरिका ‘पार्टनरशिप टू ऐडवांस क्लीन एनर्जी’ (पेस) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पहले से ही काम कर रहे हैं, दोनों देश आर्थिक वृद्धि और जलवायु कार्रवाई हासिल करने के लिए आगे भी जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2015 में पेरिस में नये जलवायु समझौते पर चर्चा करने के लिए दोनों नेताओं को सरकार के उच्चतम स्तर पर सीधा संचार स्थापित करना चाहिए. बापना और वासकोव ने कहा, ‘ज्यादा स्वच्छ, निम्न-कार्बन एवं जलवायु अनुकूल (क्लाइमेट रेजिलिएंट) उपायों को आगे बढाने से भारत और अमेरिका दोनों में ज्यादा जीवंत अर्थव्यवस्था बन सकती है.’

उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए मिल कर काम करना चाहिए कि भारत के महत्वाकांक्षी अक्षय उर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश का प्रवाह हो. बापना और वासकोव ने कहा, ‘भारत में अमेरिकी निवेश में उल्लेखनीय वृद्वि के साथ देश में बने सौर पैनलों के लिए आवश्यक चीजों की आपूर्ति और अमेरिका निर्मित पैनलों तक पहुंच जैसे दिक्कततलब मुद्दों के समाधान के लिए दीर्घकालिक व्यावसायिक रणनीति विकसित करना एक परस्पर लाभकारी उपाय होगा.’ उन्होंने कहा कि इस तरह की सहमति निजी क्षेत्र के हाल के कदमों के आधार पर बनेगी जिसमें भारत में चार अरब डालर के सौर विनिर्माण संयंत्र में सनएडिसन का निवेश शामिल है.

उन्होंने कहा कि ओवरसीज प्राइवेट इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन, एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक, यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट जैसी अमेरिकी एजेंसियों की वित्तीय सहायता अक्षय उर्जा प्रणालियों में इस तरह के गठबंधन का मार्ग प्रशस्त कर सकती है. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों एक वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा गठबंधन के विकास को नेतृत्व देने पर भी सहमति जता सकते हैं. मोदी ने हालिया समूह 20 सम्मेलन में इसका प्रस्ताव किया था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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