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इबोला वायरस के साथ पांचवा अमेरिकी स्‍वदेश लौटा

दक्षिण अफ्रिका को तबाह करने वाले लाइलाज वायरस इबोला की चपेट में अब एक और अमेरिकी नागरिक आ चुका है. लिबेरिया में काम कर रहे इस फोटो जर्नलिस्‍ट को इबोला से संक्रमित पांचवें अमेरिकी के रूप में पहचाना गया. इस व्‍यक्ति के आज नेब्रास्‍का पहुंचने की उम्‍मीद है. इससे पूर्व चार और अमेरिकी नागरिक इबोला […]

दक्षिण अफ्रिका को तबाह करने वाले लाइलाज वायरस इबोला की चपेट में अब एक और अमेरिकी नागरिक आ चुका है. लिबेरिया में काम कर रहे इस फोटो जर्नलिस्‍ट को इबोला से संक्रमित पांचवें अमेरिकी के रूप में पहचाना गया. इस व्‍यक्ति के आज नेब्रास्‍का पहुंचने की उम्‍मीद है. इससे पूर्व चार और अमेरिकी नागरिक इबोला वायरस के साथ स्‍वदेश लौटे थे, जिनका इलाज चल रहा है. पांचवें व्‍यक्ति के रूप में पहचाने गये अशोका मुकपो (33 वर्ष) का इलाज नेब्रास्का मेडिकल सेंटर के विशेष इकाई में किया जायेगा.

मुकपो पिछले सप्‍ताह ही बीमार हुए हैं. मुकपो लिबेरिया में एनबीसी न्यूज के लिए एक स्वतंत्र कैमरामैन के रूप में काम करते हैं. रविवार की रात में एनबीसी न्‍यूज की ओर से बताया गया कि मुकपो लिबेरिया से नेब्रास्‍का के लिए निकल चुके हैं और सोमवार को वहां पहुंच जायेंगे. मुकपो के परिवार के लोगों ने कहा कि उनका इलाज शुक्रवार को ओमाहा में शुरू किया गया था, लेकिन हालत में सुधार नहीं दिख रही थी.

मुकपो पांचवें अमेरिकी हैं जो इबोला वायरस से संक्रमित हुए हैं. वर्ल्‍ड हेलथ ऑर्गेनाइजेशन की रपट के अनुसार अबतक करीब 3400 लोगों को इबोला वायरस ने मार डाला है. अमेरिका के नेब्रास्‍का में एक अस्‍पताल के इंचार्ज डा. फिल स्‍मीथ ने कहा कि अस्‍पताल में इस प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए विशेष बायोकांटेंटमेंट यूनिट 2005 में तैयार किया है. जहां इस प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जाता है.

डा. स्‍मीथ ने कहा कि हम इस प्रकार की चु‍नौतियों के लिए तैयार हैं. यह हमारा फर्ज है कि हम हर अमेरिकी को बेहतर से बेहतर इलाज उपलब्‍ध करायें. मुकपो के पिता डा. मिचेल लेवी ने कहा, उनका बेटा रविवार को यहां पहुंचने के लिए घडि़यां गिन रहा था. वह रविवार को काफी कमजोरी महसूस कर रहा था. विशेष इकाई के डाक्‍टरों ने कहा कि वे देखने के बाद ही इस बात का फैसला करेंगे कि मुकपो का इलाज किस ढंग से करना है.

डाक्‍टरों ने कहा कि जिस प्रकार सितंबर माह में एक अमेरिकी समाजिक कार्यकर्त्‍ता रिक साकरा का इलाज किया गया था उसी विधि को मुकपों पर भी आजमाया जा सकता है. साकरा का सफलतापूर्वक इलाज सितंबर में किया गया था. वह भी दक्षिण अफ्रिका इबोला से ग्रसित लोगों की सहायता करने गये थे. वे 25 सितंबर को अमेरिका वापस लौटे थे. आज वह स्‍वस्‍थ्‍य हैं. साकरा को एक प्रयोगात्‍मक टेकमिरा फार्मासिटिकल्‍स ड्रग TMK-Ebola दिया गया था.

इबोला वैसा वायरस है जो शरीर से निकलने वालेतरल से फैलता है. इनमें रक्‍त, पसीना, उल्‍टी, मूत्र, विर्य और लार शामिल हैं. इसके अलावे इबोला वायरस हवा के संपर्क से नहीं फैलता है. अभी भी इस वायरस से निपटने के लिए कोई ठोस दवा का इजाद नहीं हो पाया है. इसे वैश्विक चुनौती मानकर सभी देश के वैज्ञानिक इससे निपटने के उपायों को तलाशने में लगे हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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