अजित राय, फिल्म समीक्षक
Advertisement
दक्षिण कोरियाई सिनेमा का नया अवतार
अजित राय, फिल्म समीक्षक किम जी वुन की ‘दि एज ऑफ शैडोज’ को देख कर पता चलता है कि एक थ्रिलर भी सिनेमाई गुणवत्ता के उत्कर्ष पर जा सकता है. कोरिया के दो सुपर स्टार अभिनय में एक दूसरे पर बीस पड़ते है- सोंग कॉग हो और गोंग यू.ए क जमाने में दक्षिण कोरिया के […]
किम जी वुन की ‘दि एज ऑफ शैडोज’ को देख कर पता चलता है कि एक थ्रिलर भी सिनेमाई गुणवत्ता के उत्कर्ष पर जा सकता है. कोरिया के दो सुपर स्टार अभिनय में एक दूसरे पर बीस पड़ते है- सोंग कॉग हो और गोंग यू.ए क जमाने में दक्षिण कोरिया के जीनीयस फिल्मकार किम कि डुक की फिल्मों का दुनिया भर में डंका बजता था, पर हाल के वर्षों में उनकी चमक फीकी पड़ने लगी थी. लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों से कोरियाई सिनेमा ने कान फिल्म समारोह के साथ दुनियाभर के फिल्म समारोहों में अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज की है. जब पिछले साल कान फिल्म समारोह में दक्षिण कोरिया के बोंग जून हो की फिल्म ‘पारासाइट’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार ‘पाम डि ओर’ मिला, तो सभी को अचंभा हुआ.
अभी उस पुरस्कार की चमक फीकी भी नहीं पड़ी थी कि इस फिल्म ने कुछ दिन पहले एकेडमी अवार्ड्स (ऑस्कर) में उसने चार पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया. ‘पारासाइट’ को बेस्ट पिक्चर, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट ओरिजनल स्क्रीनप्ले और बेस्ट इंटरनेशनल फिल्म का पुरस्कार मिला.
किम कि डुक को फिल्म ‘स्प्रिंग समर फाल विंटर एंड स्प्रिंग’ (2003) से अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली. उनकी हालिया फिल्म ‘ह्यूमन स्पेस टाइम एंड ह्यूमन’ (2018) दिल दहलानेवाली फिल्म है, जिसमें भूख मिटाने के लिए इंसान इंसान का मांस खाता है. यह फिल्म मानव सभ्यता का दुखांत रचती है.
तीन साल पहले दक्षिण कोरिया से ऑस्कर अवार्ड के लिए नामांकित किम जी वुन की ‘दि एज ऑफ शैडोज’ को देखकर पता चलता है कि एक थ्रिलर भी सिनेमाई गुणवत्ता के उत्कर्ष पर जा सकता है. कोरिया के दो सुपर स्टार अभिनय में एक दूसरे पर बीस पड़ते है- सोंग कॉग हो और गोंग यू.
पटकथा इतनी सधी हुई कि भाषा न जानने के बावजूद दो घंटा बीस मिनट कब बीता, पता नही चलता. कला निर्देशक ने जिस कुशलता से 1920 के शंघाई और सिओल को रचा है, वह जादुई आकर्षण पैदा करता है. हम सांस रोककर देखते है कि अब क्या होगा, तभी कोई घटना तेज गति से पटकथा को घूमा देती है. शंघाई से सिओल जा रही ट्रेन में जापानी सेना का खोज अभियान काफी दिलचस्प है.
पटकथा यह है कि 1920 के दशक में कोरिया पर जापान का शासन था. जापानी सेना का एक कोरियाई कमांडर ली जूल चुल को कोरियाई क्रांतिकारियों के बीच घुसपैठ के सीक्रेट मिशन पर भेजा जाता है. वह क्रांतिकारियों के नेता किम वु जिम से मिलता है. इतिहास के उस नाजुक मोड़ पर दो विरोधी एक-दूसरे का मतलब समझते हुए भी करीब आते हैं.
सिओल के जापानी मुख्यालय को बम से उड़ाने की योजना के साथ सारे क्रांतिकारी शंघाई मे जुटते हैं, जहं जापानी सेना पहले से ही उनका इंतजार कर रही है. दोनो ओर से खुफिया सूचनाएं लीक होती है. कोई नहीं जान पाता कि यह काम कौन कर रहा है. संशय के माहौल में बम बनाने के सामान से लदा एक ट्रक सिओल की ओर जा रहा है.
जिस ट्रेन से क्रांतिकारी सिओल जा रहे हैं, उसमें भी जापानी सेना के अधिकारी उनकी खोज में हैं. जापानी सेना का कोरियाई कमांडर ट्रेन में कई बार जिम को जापानियों से बचाता है. उस पर राष्ट्रद्रोह का अभियोग लगता है. उसे एक महीने की जेल हो जाती है और नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है. उधर सिओल रेलवे स्टेशन पर जापानी सेना क्रांतिकारियों के नेता और उनके कई साथियों को पकड़ने में कामयाब होती है.
एक महीने बाद जब चुल जेल से बाहर आता है, तो उसे लगता है कि सारी उम्र जापानियों की गुलामी का सिला मिला अपमान और तिरस्कार. उसे याद आता है कि एक रात क्रांतिकारियों के नेता ने कहा था, ‘हम इसलिए तुम पर भरोसा करते हैं कि यदि हम सब जापानियों के हाथों मारे गये, तो तुम्हारे रूप मे हमारा एक आदमी बचा रहेगा, जो हमारे स्वाधीनता संग्राम को जारी रखेगा.’
वह कोरियाई वेटरों की मदद से सेना के आफिसर्स क्लब मे पहुंचता है, जहां जापानी सेना क्रांतिकारियों के खात्मे का जश्न मना रही है. वह टाइम बम से पूरे क्लब को उड़ा देता है. अंतिम दृश्य में हम उसे क्रांति की कमान एक कोरियाई युवक के हाथ में सौंपकर जंगल की ओर प्रायश्चित के संतोष के साथ जाते हुए देखते हैं. इस समय कलात्मक गुणवत्ता के साथ सस्पेंस थ्रिलर बनाने में दक्षिण कोरिया का कोई सानी नहीं है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement