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पुलवामा में मारे गए जवान के पिता मोदी सरकार से क्यों हैं नाराज़

<figure> <img alt="रतन के परिजन" src="https://c.files.bbci.co.uk/E30B/production/_110832185_f411a21e-388d-4bd7-af65-a33a8cbca363.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> </figure><p>वैलेंटाइन्स डे यानी 14 फ़रवरी को कश्मीर के पुलवामा में चरमपंथी आत्मघाती हमले को एक साल हो जाएगा. </p><p>इस हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के 40 जवान मारे गए थे. पुलवामा हमले की बरसी पर कई जगहों पर तरह-तरह के आयोजन होने […]

<figure> <img alt="रतन के परिजन" src="https://c.files.bbci.co.uk/E30B/production/_110832185_f411a21e-388d-4bd7-af65-a33a8cbca363.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> </figure><p>वैलेंटाइन्स डे यानी 14 फ़रवरी को कश्मीर के पुलवामा में चरमपंथी आत्मघाती हमले को एक साल हो जाएगा. </p><p>इस हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के 40 जवान मारे गए थे. पुलवामा हमले की बरसी पर कई जगहों पर तरह-तरह के आयोजन होने हैं. </p><p>वहाँ जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी. पुलवामा हमला लगातार चर्चा में रहा है. इसे लेकर विपक्षी दलों ने कई सवाल भी उठाए. </p><p>साल भर पहले मारे गए जवानों के परिजनों और आश्रितों से सरकारों और अन्य ने क्या-क्या वादे किए थे और वे पूरे हो पाए हैं या नहीं. इस बारे में भी सवाल उठ रहे हैं. </p><p>ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि कई जवानों के परिजनों को सरकारों की ओर से घोषित मुआवज़ा पूरी तरह से नहीं मिल सका है. </p><h1>किराये के मकान में रतन ठाकुर का परिवार</h1><p>पुलवामा हमले में मारे गए 40 जवानों में दो बिहार के भी थे. </p><p>एक पटना के सटे तारेगना के रहने वाले सीआरपीएफ़ हवलदार संजय कुमार सिन्हा और दूसरे भागलपुर के कहलगांव के रहने वाले सिपाही रतन ठाकुर.</p><p>हाल ही में ये ख़बर सुर्खियों में रही कि भागलपुर के जवान रतन ठाकुर के परिजनों को आज तक मुआवज़ा नहीं मिल सका है और न ही उनसे किए गए वादे पूरे हो पाए हैं.</p><p>इन दावों की सच्चाई जानने के लिए शनिवार को हम रतन कुमार ठाकुर के परिजनों से बात करने उनके घर पहुंचे. रतन की पत्नी, दो बच्चे, पिता, छोटा भाई और बहन. </p><p>परिवार के सभी लोग इन दिनों भागलपुर शहर के लोदीपुर रोड में एक किराए के मकान में रहते हैं.</p><p>जिस समय हम रतन के घर पहुंचे थे, उस वक्त सीआरपीएफ़ के सब इंस्पेक्टर जय कुमार भी वहीं मौजूद थे. </p><figure> <img alt="रतन के पिता निरंजन ठाकुर" src="https://c.files.bbci.co.uk/46CB/production/_110832181_c2f7fd97-060b-41be-971e-5abf1c34b689.jpg" height="749" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> <figcaption>रतन के पिता निरंजन ठाकुर</figcaption> </figure><h1>सीआरपीएफ़ और बिहार सरकार</h1><p>जय कुमार सीआरपीएफ़ की तरफ़ से कुछ कागज़ी प्रक्रिया पूरी करने के लिए आए थे. </p><p>साथ में वह एक चेक भी लाए थे जो एचडीएफ़सी बैंक की ओर से रतन के परिजनों के लिए जारी किया गया था.</p><p>सीआरपीएफ़ के सब इंस्पेक्टर की मौजूदगी में ही हम रतन के पिता निरंजन ठाकुर से बातचीत करने लगे.</p><p>मुआवज़े की बात आने पर रतन के पिता कहते हैं, &quot;सीआरपीएफ़ और बिहार सरकार ने जो घोषणाएं की थीं, वे उन्होंने पूरी कर दी हैं. मगर केंद्र सरकार की ओर से अब तक कुछ नहीं मिला है.&quot;</p><p>वह कहते हैं, &quot;मेरे बेटे ने देश के लिए जान दे दी. हमें बहुत उम्मीद थी कि केंद्र सरकार हमारे लिए कुछ करेगी. बिहार सरकार ने भी केवल मुआवज़े की रकम देकर पीछा छुड़ा लिया. लेकिन एक शहीद के लिए जो किया जाना चाहिए और जिस तरह से किया जाना चाहिए वह बिल्कुल नहीं हो रहा.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47328056?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पुलवामा हमला: वो सवाल जिनके जवाब अब तक नहीं मिले</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-47296431?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मसूद अज़हर को ‘आतंकवादी’ क्यों नहीं मानता है चीन?</a></p><figure> <img alt="रतन ठाकुर" src="https://c.files.bbci.co.uk/121EF/production/_110832247_c1b9e80c-d723-45be-899f-2d505723c480.jpg" height="749" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> </figure><h1>रतन ठाकुर के बेटे</h1><p>रतन कुमार के दो बेटे हैं. बड़े का नाम कृष्ण है जो नर्सरी में पढ़ता है. जब हमला हुआ था, तब छोटा बेटा मां के गर्भ में था. </p><p>अब वह नौ महीने का हो चुका है. नाम है रामरचित. जब हम रतन के पिता से बात कर रहे थे तभी बड़ा बेटा कृष्ण वहां आ गया. </p><p>कुछ भी पूछने पर तपाक से जवाब देता. दादा कहते हैं &quot;बहुत बोलता है.&quot;</p><p>निरंजन ठाकुर हमें रतन की तस्वीरें दिखा रहे थे. कृष्ण को अपने पिता के बारे में ज्यादा नहीं मालूम. उसे सिर्फ इतना पता है कि तस्वीरों में उसके पिता की भी तस्वीरें हैं. </p><p>तस्वीरें दिखाकर पूछने पर केवल यही बता पाता है कि &quot;ये पापा हैं&quot;</p><figure> <img alt="कृष्ण" src="https://c.files.bbci.co.uk/94EB/production/_110832183_bedf67eb-a622-48b4-8c28-c6c5261c4352.jpg" height="849" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> <figcaption>कृष्ण</figcaption> </figure><h1>फ़ौज का अफ़सर</h1><p>रतन के पिता कहते हैं, &quot;जिस दिन रामरचित का जन्म हुआ था उसी दिन मैंने तय कर लिया था कि अपने पोते को फ़ौज का अफ़सर बनाऊंगा. इसका जन्म रामनवमी के दिन हुआ था इसलिए नाम रखाया रामरचित.&quot;</p><p>जब हम निरंजन ठाकुर से बात कर रहे थे तब उनकी बहू यानी रतन की पत्नी राजनंदिनी किचन में थीं. </p><p>उनसे बात कराने के आग्रह पर पिता कहते हैं, &quot;वो किसी से बात नहीं कर रही है. पता नहीं क्यों. कहती है कि क्या बात करना है, उससे क्या हो जाएगा! दरअसल वह अंदर से बहुत टूट गई है.&quot;</p><p>निरंजन ठाकुर के आवाज़ देने पर राजनंदिनी हमारे पास अपने छोटे बेटे को गोद में लिए आईं. बहुत कहने पर कैमरे के सामने बोलने के लिए राजी भी हो गईं.</p><p>लेकिन हम जो भी पूछ रहे थे, उसपर उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा. आहिस्ता-आहिस्ता उनका चेहरा उदास पड़ने लगा, आंखों से आंसू निकलने को आ गए और तब बस इतना कहकर कि, &quot;हम कुछ नहीं बोल पाएंगे&quot;, अपने कमरे में चली गईं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51292085?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: जहां दिहाड़ी मज़दूरी करने के लिए मजबूर है पत्रकार</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51410793?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर पर मुस्लिम देश इमरान का साथ क्यों नहीं दे रहे?</a></li> </ul><figure> <img alt="जवान की पत्नी" src="https://c.files.bbci.co.uk/15453/production/_110832178_b0ff3ef3-62ee-4202-9e2e-2211592b99af.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> <figcaption>जवान की पत्नी</figcaption> </figure><h1>नेताओं से नाराज़गी</h1><p>रतन के पिता से हमने विस्तार से बातचीत की. वे केंद्र सरकार के मंत्रियों और नेताओं से ख़ासे नाराज़ थे.</p><p>वे कहते हैं, &quot;रतन के श्राद्ध तक हमारे यहां हर रोज़ बहुत से लोग आते थे. नेता, मंत्री, अधिकारी. मीडिया वालों का तो जमावड़ा लगा रहता था. लेकिन उसके बाद से अब एक साल हो चले हैं, हमारे घर सरकार की तरफ से कोई मुंह दिखाने भी नहीं आया. हमें इस बात की बेहद तक़लीफ़ है कि जब मंत्रियों और नेताओं को हमारे बेटे की ज़रूरत थी, उन्होंने उसका खूब नाम लिया. लेकिन जब हमें उनकी जरूरत है तो वे साथ खड़े भी नहीं नज़र आते.&quot;</p><p>बिहार सरकार ने रतन के मारे जाने पर यह भी घोषणा की थी कि वह उनके आश्रितों में से किसी एक को नौकरी देगी और परिजनों के रहने के लिए एक पक्का फ्लैट भी देगी.</p><p>निरंजन ठाकुर कहते हैं, &quot;बहुत दबाव बनाने पर बिहार सरकार की ओर से नौकरी देने की पेशकश की गई. राजनंदिनी ने उसी वक्त लिखकर दे दिया कि उनकी जगह रतन के छोटे भाई मिलन को नौकरी दे दी जाए. राज्य सरकार ने ये वादा पूरा कर दिया है. अब मिलन पंचायत विकास विभाग में सरकारी कर्मचारी हैं. लेकिन फ्लैट आज तक नहीं दिया जबकि वादा पहले ही कर दिया था.&quot;</p><figure> <img alt="घर पर लगी तस्वीरें" src="https://c.files.bbci.co.uk/1700F/production/_110832249_fba8cd10-e185-4eac-945b-9820a0437976.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> </figure><h1>केंद्र सरकार की भूमिका</h1><p>रतन के पिता को सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि बरसी के मौक़े पर भी सरकार और प्रशासन की तरफ से उनका हाल जानने कोई नहीं आ रहा है.</p><p>कहते हैं, &quot;यह वादा किया गया था कि रतन के नाम से गांव में शहीद स्मारक बनाया जाएगा. उसके नाम से सड़क बनेगी. ये होगा, वो होगा. लेकिन कुछ नहीं हुआ. 14 फ़रवरी के दिन हमने अपने बूते पर बेटे को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया है. उसके लिए भी सरकार और प्रशासन की तरफ से हमारे पास कोई नहीं आया.&quot;</p><p>हमने रतन के पिता से पुलवामा हमले पर भी बात की. वे हमले की जांच को लेकर केंद्र सरकार की भूमिका से काफ़ी नाखुश थे.</p><p>कहते हैं, &quot;ऐसा कहा गया था कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री ख़ुद सभी मारे गए जवानों के परिजनों से मुलाकात करेंगे. सबको दिल्ली बुलाया जाएगा. लेकिन आज तक हम इंतज़ार करते रह गए. मेरे बेटे का नाम लेकर वे लोकसभा चुनाव भी जीत गए पर हमारा ख्याल उन्हें कभी नहीं रहा.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51347387?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जम्मू कश्मीर: बंदूक के साये में कैसे हो रही है राजनीति</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51321433?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या इमरान PAK को पाक में मिलाने जा रहे हैं? </a></li> </ul><figure> <img alt="रतन का घर" src="https://c.files.bbci.co.uk/3B77/production/_110832251_f7a4e915-542d-4127-8905-b55e4fcf9ae5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> </figure><h1>’शहीद’ न होने से रुका मुआवज़ा</h1><p>जहां तक बात मुआवज़े की है तो पुलवामा हमले के बाद बिहार सरकार की तरफ़ से कुल 36 लाख रुपये के मुआवज़े का ऐलान किया गया था. रतन के पिता कहते हैं कि यह पैसा उन्हें मिल चुका है.</p><p>केंद्र सरकार की तरफ़ से मुआवज़े का तो कोई वैसा ऐलान नहीं किया गया था, मगर &quot;शहीदों&quot; के परिवारों जो केंद्र की तरफ से वित्तीय पैकेज मिलता है, उसके अनुसार हर परिवार को 35 लाख रुपये का मुआवज़ा देना है. इसके अनुसार स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया भी परिवारों को 30 लाख रुपये देगा.</p><p>लेकिन सीआरपीएफ के जवान रतन कुमार ठाकुर आधिकारिक तौर पर &quot;शहीद&quot; की श्रेणी में ही नहीं आते हैं. एक्शन में मारे जाने वाले <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47364268?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अर्धसैनिक बलों</a> के जवान शहीद की श्रेणी में नहीं आते.</p><p>रतन के पिता इस संबंध में कहते हैं, &quot;अगर सरकार यह नहीं मानती कि जवान शहीद हुए हैं तो वही सरकार और उनके मंत्री-नेता चुनाव के समय शहीदों के नाम पर वोट क्यों मांगते हैं. यह विडंबना है कि वे मेरे बेटे को &quot;शहीद&quot; तो बना दिए मगर उन्हें शहीद मानते नहीं हैं. ऐसी उम्मीद हमें मोदी सरकार से नहीं थी, जो बनी ही थी शहीदों का नाम ले-लेकर.&quot;</p><p>रतन ठाकुर को सरकार ने भले &quot;शहीद&quot; का आधिकारिक दर्जा नहीं मिला है, मगर भागलपुर के लोगों के लिए वह हीरो हैं.</p><p>रतन के पिता जिस घर में रहते हैं उसे ढूंढने के क्रम में हमने जितने लोगों से बातचीत की ,उनमें से कोई ऐसा नहीं था जिसे घर का पता मालूम नहीं था.</p><figure> <img alt="रतन का घर" src="https://c.files.bbci.co.uk/8997/production/_110832253_e7d6d48c-83b1-45c8-a83e-a6100a46a5f8.jpg" height="749" width="976" /> <footer>Neeraj Priyadarshy</footer> </figure><h1>सरकार से शिकायत</h1><p>रतन के पिता भी बताते हैं कि स्थानीय लोग उनके साथ हमेशा खड़े रहे, चाहे वह रतन के बेटे को स्कूल में दाखिला कराना हो या रतन की पत्नी का प्रसव वाला समय हो.</p><p>वह कहते हैं, &quot;यहाँ के लोगों ने मेरे पोते का एडमिशन शहर के सबसे टॉप स्कूल में कराया है. किताब-कॉपी से लेकर यूनिफॉर्म और पूरी पढ़ाई की फ़ीस को स्कूल प्रबंधन ने माफ़ कर दिया है.&quot;</p><p>रतन और उनके घरवालों को राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से कोई शिकायत नहीं है पर केंद्र की मोदी सरकार से किसी भी तरह का सहयोग नहीं मिल पाने का बहुत दुख है.</p><p>उन्हें यह भी पता है कि पुलवामा हमले के बाद मारे गए जवानों के परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए बने &quot;वीर भारत कोर&quot; फ़ंड में 36 घंटे के भीतर ही सात करोड़ रुपए जमा हो गए थे.</p><p>वो एक रिपोर्ट के बारे में बात करते हें जिसमें आरटीआई के हवाले से यह पता चला था कि अगस्त 2019 तक इस फ़ंड में कुल 258 करोड़ रुपये जमा थे. एक मीडिया पोर्टल पर छपी इस ख़बर को कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पिछले साल पांच अक्टूबर को ट्वीट किया था.</p><p>रतन के पिता आख़िर में एक बात कहते हैं, &quot;हमें अब सरकार से कुछ नहीं चाहिए. हमने देख लिया उनको. लेकिन सरकार केवल इतना बता दे कि जवानों के नाम पर जमा पैसे का क्या हुआ.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a 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