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Budget 2020: इनकम टैक्स के बारे में जानें सब कुछ

<figure> <img alt="नोट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1746F/production/_110734359_gettyimages-1187364363.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपना दूसरा बजट पेश किया. उन्होंने इनकम टैक्स की दरों में कुछ बदलाव किए हैं.</p><p>सरकार ने करदाताओं को रिटर्न भरने के लिए दो तरह के विकल्प दिए हैं. </p><p>अब ये करदाताओं को तय करना है कि वे कर छूटों […]

<figure> <img alt="नोट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1746F/production/_110734359_gettyimages-1187364363.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपना दूसरा बजट पेश किया. उन्होंने इनकम टैक्स की दरों में कुछ बदलाव किए हैं.</p><p>सरकार ने करदाताओं को रिटर्न भरने के लिए दो तरह के विकल्प दिए हैं. </p><p>अब ये करदाताओं को तय करना है कि वे कर छूटों के साथ पुराने टैक्स स्लैब के साथ रिटर्न भरेंगे या फिर बिना कर छूट वाले नए नियम के तहत.</p><p>बीबीसी संवाददाता दिनेश उप्रेती ने टैक्स एक्सपर्ट और चार्टर्ड एकाउंटेंट डीके मिश्रा से समझने की कोशिश की है कि आम करदाता इस बजट को कैसे देखें.</p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/2938988322787109/">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/2938988322787109/</a></p><h1>टैक्स व्यवस्था में क्या बदला?</h1><p>एक तरह से एक गणित तैयार किया गया है. नई स्कीम का लाभ उन्हीं को मिलना है, जिनके पास कोई निवेश नहीं है. अमूमन ये देखा गया है कि जो भी इस आयकर की सीमा में है, दस लाख या 15 लाख रुपये की सालाना आमदनी के दायरे के भीतर आते हैं, उनके पास कुछ बचत योजनाएं पहले से होती हैं. </p><p>सरकार ने बदलाव के रूप में एक नई वैकल्पिक व्यवस्था दी है, उस वैकल्पिक व्यवस्था में ये कहा गया है कि अगर आप सारी छूट जो पहले लेते थे, वो छोड़ दें तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई वैकल्पिक व्यवस्था में चार से पांच टैक्स स्लैब बना दिए गए हैं. </p><p>पांच लाख रुपये से साढ़े सात लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर पहले 20 फ़ीसदी टैक्स देना होता था, अब उसको घटाकर दस फ़ीसदी कर दिया गया है. इसी तरह से साढ़े सात लाख रुपये से दस लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर पहले 20 फीसदी की दर से टैक्स देना होता था, अब उसे 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा.</p><p>दस लाख से 15 लाख के लिए जो स्लैब पहले 30 प्रतिशत का था, अब उसे दो भाग में बांट दिया गया है. दस लाख से 12.5 लाख रुपये की सालाना आमदनी वालों को 20 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा, और 12.5 लाख से 15 लाख रुपये की आमदनी तक वालों को 25 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा. </p><p>15 लाख की आमदनी से ऊपर पहले भी 30 प्रतिशत था, उन्हें अभी भी 30 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा लेकिन इन सबके लिए कुछ शर्तों का पालन करना होगा. ढ़ाई लाख तक की आमदनी पर पहले कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था, अब पांच लाख तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. </p><p><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/256024248719009/">https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/videos/256024248719009/</a></p><h1>कर दाताओं का क्या बचेगा?</h1><p>आप ये सवाल पूछ सकते हैं कि किसी की साढ़े सात लाख रुपये की आमदनी है तो पुरानी स्कीम और नई स्कीम के तहत उसकी बचत पर क्या असर पड़ेगा?</p><p>अगर ये मान लें कि पुरानी व्यवस्था में व्यक्ति कोई बचत नहीं करता था, तो उसे ढ़ाई लाख की आमदनी पर 20 प्रतिशत की दर से तकरीबन 50 हज़ार रुपये टैक्स भरता था.</p><p>अब क्योंकि वो टैक्स दस प्रतिशत कर दिया गया है तो उस ढ़ाई लाख की आमदनी पर उसे 25 हज़ार रुपये कर देने होंगे.</p><p>इस मतलब ये हुआ कि उस कर दाता की अब 25 हज़ार रुपये की बचत होगी. शर्त ये है कि वो कोई निवेश नहीं करता हो.</p><h1>नई स्कीम किनके लिए है?</h1><p>वित्त मंत्री ने कहा है कि नई व्यवस्था उनके लिए है जो ज़्यादा लिखत-पढ़त नहीं करना चाहते हैं, चार्टर्ड एकाउंटेंट के पास नहीं जाना चाहते हैं. वैसे इस बात से सहमत होना मुश्किल है. सवाल ये है कि करदाताओं को टैक्स का लाभ मिलना चाहिए चाहिए वो किसी के पास जाकर मिले या बगैर जाए मिले.</p><p>अगर किसी को थोड़ी सी फीस देकर कर का लाभ मिल सकता है और ये छूट कोई ऐसी छूट नहीं है जिसमें बहुत ज़्यादा जटिलताएं हों. रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ये देखा गया है कि आप ट्यूशन फीस देते हैं, आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं तो आपका प्रोविडेंड फंड कटता है. </p><p>आपने घर बनाने के लिए लोन लिया हुआ है तो आप उसकी हर महीने किस्त भरते ही हैं, इसका कोई कैलकुलेशन नहीं है, आपको बैंक से एक इंटरेस्ट सर्टिफिकेट मिल जाता है. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80(सी) में ये सारी छूट करदाताओं को पहले से ही मिलती रही थी. अब आपको ये छूट छोड़नी होगी.</p><p>इसी तरह से पहले बैंक से मिलने वाले 10 हज़ार रुपये तक के ब्याज पर छूट मिलती थी, वरिष्ठ नागरिकों को और ज़्यादा छूट मिलती है. नई व्यवस्था अपनाने के लिए अब ये छूट छोड़नी होंगी. इसमें व्यक्तिगत टैक्स की जिम्मेदारी तय करने के लिए कोई बहुत ज्यादा हिसाब किताब नहीं करना पड़ता था.</p><p>नई व्यवस्था में कर दाताओं को टैक्स बचाने के विकल्प छोड़ने होंगे. मुझे ये लगता है कि जो लोग निवेश करते थे, या जिनका निवेश पहले से चला आ रहा है, वो चाहेंगे कि उनका निवेश चलता रहे और उन्हें इस नई व्यवस्था में कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है.</p><p>अभी जो अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि शायद नई कर व्यवस्था अपनाने से कुछ लोगों को नुक़सान ही हो जाए.</p><p><strong>डिविडेंड टैक्स ख़त्म करने </strong><strong>का मतलब</strong></p><p>वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में डिविडेंड टैक्स ख़त्म करने की घोषणा है. इस घोषणा के कुछ देर बाद ही शेयर बाज़ार बुरी तरह गिरने लगे. हालांकि ये अच्छी पहली थी. कॉर्पोरेट जगत पहले से ही डिविडेंड टैक्स का विरोध कर रहा था. लेकिन सरकार ने इस टैक्स को हटाकर इसे आम निवेशकर पर शिफ़्ट कर दिया है. </p><p>आप इस बात को समझिए कि कॉर्पोरेट से जो भी इनकम होती है, उस पर कंपनियां पहले टैक्स दे देती है फिर उसका वितरण होता है. डिविडेंड टैक्स को दोहरी कर व्यवस्था वाला माना जाता था. ये कुछ ऐसा है कि एक ही इनकम पर दो बार टैक्स लिया जा रहा था.</p><p>एक बार तो कंपनी कॉर्पोरेट टैक्स दे रही है, दूसरी बार जब वो अपने शेयर धारकों को लाभांश बांटते वक्त डिविडेंड टैक्स काटकर भुगतान करती थी. अब सरकार ने ये कहा है कि डिविडेंड टैक्स लाभांश पाने वाला शेयरधारक चुकाएगा. इसका मतलब ये हुआ कि अभी भी इस पैसे पर दो बार टैक्स देना होगा. </p><p>पहली बार कंपनी चुकाएगी, दूसरी पर शेयरधारक. ऐसा लगता है कि शेयर मार्केट को ये बात रास नहीं आई है. इसे टैक्स सिस्टम में ख़ाकर डिविडेंड टैक्स के मामले में बदलाव के तौर पर नहीं देखा गया है. हां, ये ज़रूर है कि कंपनी के ऊपर बोझ जरा सा कम हुआ है पर बाज़ार ने इसे बहुत सकारात्मक तरीके से नहीं लिया है.</p><h1>नया टैक्स फ़ॉर्म कैसा होगा?</h1><p>उम्मीद की जा रही है कि नया टैक्स फ़ॉर्म सामान्य होना चाहिए. हालांकि अभी इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी. </p><p>मुझे लगता है कि नई टैक्स व्यवस्था का फ़ॉर्म सरल होगा क्योंकि तभी लोग इसका फ़ायदा उठा पाएंगे कि कर दाता को बिना किसी टैक्स कंसल्टेंट के पास गए वो आसानी से टैक्स भर सकेगा. </p><h1>इनकम टैक्स भरने वालों की तादाद बढ़ेगी?</h1><p>टैक्स स्लैब में कोई कमी नहीं की गई है. इससे टैक्स भरने वाले लोगों की संख्या में मुझे कोई ख़ास फर्क नहीं दिखता है.</p><p>ये ज़रूर है कि जो लोग किसी निवेश या कर छूट के झंझट में नहीं पड़ना चाहते, वो नई स्कीम अपना सकते हैं.</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=JdQJqx3NPKA">https://www.youtube.com/watch?v=JdQJqx3NPKA</a></p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=u0BPACKntqU">https://www.youtube.com/watch?v=u0BPACKntqU</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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