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ताइवान चुनाव से क्यों बढ़ी है चीन की धड़कन

<figure> <img alt="ताइवान" src="https://c.files.bbci.co.uk/491D/production/_110471781_gettyimages-1192544933.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>ताइवान में आज यानी शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. मतदान से न सिर्फ़ राष्ट्रपति चुना जाएगा बल्कि चीन के साथ ताइवान के संबंधों का भविष्य भी तय होगा. </p><p>ताइवान में मुख्य मुक़ाबला डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी की साई इंग विन और […]

<figure> <img alt="ताइवान" src="https://c.files.bbci.co.uk/491D/production/_110471781_gettyimages-1192544933.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>ताइवान में आज यानी शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. मतदान से न सिर्फ़ राष्ट्रपति चुना जाएगा बल्कि चीन के साथ ताइवान के संबंधों का भविष्य भी तय होगा. </p><p>ताइवान में मुख्य मुक़ाबला डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी की साई इंग विन और कुओमिनटांग पार्टी के खान ग्वो यी के बीच है और दोनों नेता चीन के साथ संबंधों को लेकर अलग रुख़ रखते हैं. </p><p>ताइवान की मौजूदा राष्ट्रपति साई इंग विन दूसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं. </p><p>वह चीन और ताइवान के बीच मौजूदा स्थिति का समर्थन करती हैं और चीन से क़रीबी रिश्ते नहीं चाहतीं. </p><p>वहीं, उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी खान ग्वो यी ने चीन के साथ तनाव कम करने का वादा किया है. </p><figure> <img alt="खान ग्वो यी और मौजूदा राष्ट्रपति साई इंग विन" src="https://c.files.bbci.co.uk/808B/production/_110470923_9900c1c2-9088-4d00-b6c1-043391fae624.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>खान ग्वो यी और साई इंग विन राष्ट्रपति चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं.</figcaption> </figure><p>दो साल पहले साई इंग विन की पार्टी स्थानीय चुनाव हार गई थी लेकिन अब वो चुनाव में आगे दिख रही हैं. विश्लेषक इसके पीछे हॉन्ग-कॉन्ग में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को कारण बता रहे हैं. </p><p>साई इंग विन ने हॉन्ग-कॉन्ग में प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है. </p><p>ताइवान में विधायिका के लिए भी चुनाव होने हैं जिसमें भी साई इंग विन की डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी को बहुमत हासिल है. </p><p>राष्ट्रपति चुनाव के लिए ताइवान में एक करोड़ 90 लाख लोग वोट डालने वाले हैं. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-46281608?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">चीन और ताइवान: दुनिया का सबसे अनोखा रिश्ता</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-46059093?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">चीन अपनी मुद्रा युआन को कैसे काबू में रखता है?</a></li> </ul><figure> <img alt="ताइवान की सेना" src="https://c.files.bbci.co.uk/1256D/production/_110471157_e7ae91a5-7c20-4e8f-975d-c99726298faf.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p><strong>ताइवान </strong><strong>और चीन का विवाद</strong></p><p>’पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना’ और ‘रिपब्लिक ऑफ़ चाइना’ एक-दूसरे की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते. दोनों ख़ुद को आधिकारिक चीन मानते हुए मेनलैंड चाइना और ताइवान द्वीप का आधिकारिक प्रतिनिधि होने का दावा करते रहे हैं.</p><p>जिसे हम चीन कहते हैं उसका आधिकारिक नाम है ‘पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना’ और जिसे ताइवान के नाम से जानते हैं, उसका अपना आधिकारिक नाम है ‘रिपब्लिक ऑफ़ चाइना.’ दोनों के नाम में चाइना जुड़ा हुआ है.</p><p>व्यावहारिक तौर पर ताइवान ऐसा द्वीप है जो 1950 से ही स्वतंत्र रहा है. मगर चीन इसे अपना विद्रोही राज्य मानता है. एक ओर जहां ताइवान ख़ुद को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र मानता है, वहीं चीन का मानना है कि ताइवान को चीन में शामिल होना चाहिए और फिर इसके लिए चाहे बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े. </p><p>चीन किसी भी उस देश के साथ राजनयिक संबंध नहीं रखता जो ताइवान को एक स्वतंत्र देश की मान्यता देता है. </p><p>बहुत कम देश हैं जो ताइवान को स्वतंत्र देश का दर्जा देते हैं हालांकि, कई देशों के ताइवान के साथ व्यापारिक संबंध ज़रूर हैं. </p><figure> <img alt="चीन का झंडा" src="https://c.files.bbci.co.uk/10DFD/production/_110471196_95758df4-e8b0-45fa-9bbb-79d72cb715e0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>चीन से संबंधों पर असर </h1><p>साई इंग विन की वेबसाइट के मुताबिक़ वो मौजूदा प्रणाली और तरीक़ों को ही बनाए रखना चाहती हैं. वो ताइवान की स्वतंत्रता से समझौता नहीं करना चाहतीं. </p><p>पिछले साल जून में हॉन्ग-कॉन्ग विरोध प्रदर्शनों के दौरान उन्होंने कहा था, ”जो भी ताइवान की संप्रभुता और लोकतंत्र को कमज़ोर करने या राजनीतिक सौदेबाजी के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा, वो असफल हो जाएगा.” </p><p>वो हॉन्ग-कॉन्ग की तरह ”एक देश, दो सिस्टम” की राजनीतिक व्यवस्था को भी ख़ारिज करती हैं. उनका कहना है कि ये अब बेकार है. </p><p>इस हफ़्ते बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि ताइवान को हॉन्ग-कॉन्ग से सबक लेना चाहिए. अगर हम ज़ोर नहीं देंगे (ताइवान की स्वतंत्रता बनाए रखने पर) तो जो कुछ भी हमारे पास है, उसे खो देंगे. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-40278344?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या चीन वाकई ताइवान को ख़त्म कर सकता है?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-40257085?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">चीन और ताइवान के बीच तनातनी की वजह क्या?</a></li> </ul><figure> <img alt="बच्ची के हाथ में ताइवान का झंडा" src="https://c.files.bbci.co.uk/CEAB/production/_110470925_cd19a01f-47d4-4472-b059-46e57ca602d6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>वहीं, खान ग्वो यी और उनकी पार्टी केएमटी चीन के प्रति नरम रुख़ रखते हैं और उसके साथ नज़दीकी संबंधों का समर्थन करते हैं. उनका कहना है कि इससे आर्थिक स्थिति बेहतर होगी. </p><p>हालांकि, खान ग्वो यी भी चीन के साथ एकीकरण के पक्ष में नहीं हैं. </p><p>1949 में साम्यवादी ताक़तों से हारने पर ताइवान आने से पहले केएमटी का चीन पर शासन था. खान ग्वो यी ने मार्च में हॉन्ग-कॉन्ग और चीन की यात्रा भी की थी जो काफ़ी चर्चित रही थी. </p><p>उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि ताइवान की स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा ”सिफलिस (एक तरह का ख़तरनाक संक्रमण) की तुलना में ज़्यादा डरावनी” होगी. </p><p>खान ग्वो यी साई इंग विन पर देश की अर्थव्यवस्था के दरवाज़े बंद करने, चीन के साथ सामान्य आदान-प्रदान पर रोककर आर्थिक नुक़सान का आरोप लगाते रहे हैं. </p><p>राष्ट्रपति चुनाव में तीसरे उम्मीदवार हैं पीपल फर्स्ट पार्टी के जेम्स सूंग. इनका मानना है कि चीन के पूरी तरह लोकतांत्रिक न हो जाने तक चीन और ताइवान के संबंधों की वर्तमान स्थिति बनाए रखना ही सबसे अच्छा विकल्प है.</p><figure> <img alt="साई इंग विन" src="https://c.files.bbci.co.uk/1738D/production/_110471159_b665d90e-a3e6-4bc9-95f3-7ebd33b35398.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><h1>चुनाव में अन्य मुद्दे</h1><p>ताइवान की संप्रभुता के अलावा यहां आर्थिक मुद्दा भी अहम है. साई इंग विन के शासन के दौरान यहां आर्थिक वृद्धी हुई लेकिन निर्यात में गिरावट आई और वेतन वृद्धि भी कम हुई है. </p><p>वहीं, ताइवान के एशिया में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली पहली जगह बनने के बाद भी यहां पहला राष्ट्रपति चुनाव है. </p><p>कई जनमतसंग्रहों में इसका विरोध किया गया था लेकिन संसद ने एक विशेष क़ानून पारित किया ताकि अदालत के फैसले का पालन किया जा सके. साई इंग विन ने इसे समानता की ओर एक बड़ा क़दम बताया था. </p><figure> <img alt="खान ग्वो यी" src="https://c.files.bbci.co.uk/3EF5/production/_110471161_1b66dea2-2893-4067-bf59-a2d82f0ee5be.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><h1>उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि </h1><p>63 साल की साई इंग विन राजनीति में आने से पहले प्रोफ़ेसर रही हैं. उन्होंने अमरीका में कॉरनल यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स और ताइवान में पढ़ाई की है. </p><p>उन पर संभ्रात होने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन समलैंगिक विवाह, भाषाई अधिकार और अन्य मुद्दों ने उन्हें युवा मतदाताओं के बीच समर्थन दिलाया है. </p><p>62 साल के खान ग्वो यी इस समय गॉशीऊंग के मेयर हैं. उन्हें ज़मीन से जुड़ा माना जाता है. उन्हें कई उपनाम भी दिए गए हैं. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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