<figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/8E6D/production/_110416463_a60913ab-046d-4065-8b54-5df84339c833.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>एक दुबली-पतली छोटी सी लड़की. जेएनयू कैम्पस में साबरमती होस्टल के चौराहे पर कार से उतरी. सोमवार शाम के पाँच बजे हैं. माथे पर चारों तरफ़ से पट्टी बंधी है. हाथ भी ज़ख़्मी है और कलाई पर बैंडेज है. </p><p>सैकड़ों की भीड़ पहले से ही इंतज़ार कर रही थी. कार से उतरते ही इंतज़ार कर रहे लोगों की मुट्ठियाँ आसमान में लहराने लगीं और उस लड़की के स्वागत में ‘लाल सलाम’ के नारे गूंज उठे. लोगों के जोश को देख वो लड़की भी मुस्कुरा उठी. </p><p>ये लड़की है जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष आईशी घोष. आईशी जेएनयू में इंटरनेशनल स्टडीज़ से एमफ़िल कर रही हैं. रविवार की शाम आईशी की एक वीडियो आया जिसमें दिख रहा है कि उनके माथे से ख़ून निकल रहा है और चेहरा लगभग रंग गया है. </p><p>सोमवार की शाम वो फिर कैंपस में आईं और अपने साथियों के साथ माँगें दोहराती दिखीं. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे रविवार की शाम नक़ाबपोशों ने घेरकर मारा. </p><p>आईशी बताती हैं, ”मैं कहती रही कि आप ऐसे कैसे मार सकते हैं? आप क्या कर रहे हैं? लेकिन किसी ने नहीं सुनी. मैं बस लिंच होने से बच गई. रॉड से सिर पर वार किया और मैं गिर गई. वो होस्टल में घुसकर गुंडई करते रहे. मैंने पुलिस को फ़ोन किया लेकिन पुलिस नहीं आई. मुझे मरने का डर नहीं है. हमें मारना आरएसएस और एबीवीपी के डर को दिखाता है. उनके पास आज की तारीख़ में क्या नहीं है? जेएनयू का वीसी उनका है, सत्ता उनके पास है, पुलिस उनके नियंत्रण में है. फिर भी वो हमसे क्यों डरे हुए हैं?” </p><p>ये सब कहते हुए आईशी भावुक होने लगती हैं लेकिन तभी एक बार फिर से वहाँ मौजूद लोग हवा में हाथ उछाल देते हैं और नारा गूंज उठता है- कॉमरेड आईशी घोष को लाल सलाम!</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51011139?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जेएनयू हिंसा: दिल्ली पुलिस पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?</a></p><figure> <img alt="आईशी घोष" src="https://c.files.bbci.co.uk/82B5/production/_110416433_e878184d-2b28-4a19-b0f2-ff3d2d70d935.jpg" height="758" width="1004" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>कैंपस में तीन दिन से तनाव था</h3><p>आईशी इस हमले के लिए सीधे बीजेपी की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर आरोप लगाती हैं. </p><p>उनका कहना है कि एबीवीपी और उनके समर्थक प्रोफ़ेसरों ने बाहर के गुंडों को बुलाकर यह हमला करवाया है. आईशी ने जिन प्रोफ़ेसरों के नाम लिए उनमें से एक स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के डीन प्रोफ़ेसर अश्विनी महापात्रा पर भी हैं. आईशी ने कहा कि महापात्रा पहले से ही धमकी देते थे. </p><p>अश्विनी महापात्रा से धमकी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”मैं जेएनयू में एबीवीपी का सदस्य रहा हूँ. तब मैं यहाँ स्टूडेंट था. लेकिन मैं तो उससे न जानता हूँ और न मिला हूँ. धमकी की बात कहाँ से आती है? आप उनसे ये क्यों नहीं पूछते कि हमले की शुरुआत की किसने की थी? लेफ़्ट वाले रजिस्ट्रेशन करने से रोक रहे हैं. तुम्हें नहीं करना है तो मत करो लेकिन जो करना चाहता है उससे कैसे रोक सकते हो? ये कौन सा लोकतंत्र है? यूनिवर्सिटी में इन्होंने पूरी पढ़ाई-लिखाई बाधित करके रखी है.”</p><p>महापात्रा कहते हैं कि यह मारपीट केवल रविवार को नहीं हुई है बल्कि पिछले तीन दिनों से चल रही थी.</p><p>उन्होंने कहा, "ये बात सच है कि रविवार को हिंसा ज़्यादा हुई है लेकिन कैंपस के भीतर रजिस्ट्रेशन को लेकर पिछले तीन दिनों से झड़प हो रही थी. लिंग्विस्टिक से मास्टर्स कर रहीं आइसा की द्रीप्ता शनिवार को ज़ख़्मी हुई थीं. उनका भी कहना है कि पिछले तीन दिनों से कैंपस में तनाव था."</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51003179?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">JNU हिंसा: जब एक-एक कर एम्स में पहुंचने लगे घायल छात्र</a></p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/D0D5/production/_110416435_9e6732ba-a09f-4b52-8e08-464244e27d65.jpg" height="738" width="1101" /> <footer>BBC</footer> </figure><h3>लेफ़्ट विंग के छात्रों पर भी हैं आरोप</h3><p>लेफ़्ट विंग के छात्रों ने फ़ीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ पिछले एक महीने से कई बिल्डिंग बंद करवा रखी है. एक जनवरी से रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ तो बिल्डिंग खोलने की कोशिश की गई लेकिन फ़ीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों ने फिर से बिल्डिंग बंद करवा दी. </p><p>इसमें छात्रों का दूसरा धड़ा भी सामने आ गया. दूसरे धड़े में ज़्यादातर एबीवीपी के लोग थे लेकिन कई ऐसे भी थे, जो चाहते थे कि रजिस्ट्रेशन शुरू हो. इसी को लेकर धक्का-मुक्की हुई. रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन हो रहा था और सर्वर रूम को बंद कर दिया गया था. आरोप है कि सर्वर रूप के तार काट दिए गए थे. </p><p>कैंपस के भीतर लेफ़्ट विंग के छात्रों का कहना है कि जब तक फ़ीस बढ़ोतरी वापस नहीं होगी तब तक वो रजिस्ट्रेशन का विरोध करेंगे. लेकिन कैंपस के कई ऐसे प्रोफ़ेसर मिले जो फ़ीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ छात्रों के साथ हैं लेकिन इस बात से सहमत नहीं हैं कि जो स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं उन्हें रोका जाए. </p><p>जेएनयू टीचर्स असोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर डीके लोबियाल कहते हैं, ”जो रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं उन्हें नहीं रोका जाना चाहिए. यह ग़लत है लेकिन अगर इसे लेकर हालात बिगड़ रहे हैं तो यूनिवर्सिटी प्रशासन इस क़दर क्यों बेबस है? रविवार की पृष्ठभूमि पहले से ही बन रही थी लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सब कुछ होने दिया.” </p><p>अगर कोई रजिस्ट्रेशन करवाना चाह रहा है तो इसे कोई कैसे रोक सकता है? जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने इसे रोकने की कोशिश क्यों की?</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51006654?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जेएनयू में हिंसा का राज़ व्हाट्सएप इनवाइट लिंक में?</a></p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/12729/production/_110416557_64f8323a-5c3f-41a9-85e5-97384ea50d73.jpg" height="749" width="565" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>जेएनयू में मनीष जांगिड़ और कई एबीवीपी नेताओं को भी चोट लगी (मनीष जांगिड़ःचश्मे में,खड़े हुए)</figcaption> </figure><h3>क्या कहते हैं जेएनयू के प्रोफ़ेसर?</h3><p>इस सवाल के जवाब में जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत कहते हैं, ”हमने रजिस्ट्रेशन का बहिष्कार कर रखा है. ये यूनियन का फ़ैसला है. लेकिन हम किसी से ज़बरदस्ती नहीं कर रहे हैं. जहां तक बिल्डिंग बंद करवाने की बात है तो हाँ, हम अपनी माँगों को लेकर बाहर बैठे हैं.”</p><p>कुछ प्रोफ़ेसरों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि रजिस्ट्रेशन को ज़बरन रोका गया है और ये ठीक नहीं है. </p><p>स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ (एसआईएस) एक प्रोफ़ेसर ने कहा, ”जेएनयूएसयू की सारी माँगों से सहमत हूँ कि लेकिन अगर कोई उनके फ़ैसले से सहमत नहीं है तो उसे आप रोक नहीं सकते हैं. दरअसल, रविवार को जो हिंसा हुई उसकी पृष्ठभूमि पिछले तीन दिनों से बन रही थी और प्रशासन को इसे लेकर सतर्क रहना चाहिए था.”</p><p>एसआईएस डीन अश्विनी महापात्रा का कहना है, ”जेएनयूएसयू के लोगों ने रजिस्ट्रेशन रोक रखा है. अब भी शुरू नहीं हो पाया है. मैंने इसका विरोध किया और सर्वर रूम खुलवाने गया को लड़कियां सामने आ गईं. आपने बहिष्कार कर रखा है, इसका मतलब ये नहीं है कि जो आपके बहिष्कार से सहमत नहीं हैं उन्हें भी रजिस्ट्रेशन नहीं करने देंगे. इन्होंने डेढ़ महीने से एसआईएस की कई बिल्डिंग बंद कर रखी है. ये तो मनमानी है. रजिस्ट्रेशन को लेकर जो विवाद शुरू हुआ वो रविवार को हिंसक घटना तक गया.”</p><p>रविवार को जब नकाबपोशों ने कैंपस में हमला किया तो उसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के भी छात्रों को भी चोट लगी है. </p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/17549/production/_110416559_ec1ba629-daad-4b62-acd0-dd419c6b47a6.jpg" height="742" width="590" /> <footer>BBC</footer> </figure><h3>हमले में घायल लड़कियों की आपबीती</h3><p>मनीष जांगिड़ उन्हीं छात्रों में से एक हैं. उनका कहना है कि वो उस दिन अपने पेरियार होस्टल के कमरे में थे तभी शाम में उन पर हमला हुआ. मनीष का कहना है कि ये हमला लेफ़्ट विंग क छात्रों ने किया है. उनके हाथ में चोट लगी है और प्लास्टर करवाना पड़ा है. </p><p>जब साकेत से पूछा गया कि एबीवीपी के छात्रों पर हमला किसने किया तो उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन इसकी जाँच करवाए और जिसने किया है उसे पकड़े. </p><p>दोनों धड़े एक दूसरे पर हमले का आरोप लगा रहे हैं. पेरियार के वॉर्डेन प्रोफ़ेसर अमित मिश्रा भी इस बात को मानते हैं कि पेरियार होस्टल में भी हमला हुआ है. अमित मिश्रा कहते हैं कि रविवार का हमला अचानक नहीं हुआ है बल्कि दोनों धड़ों में तनाव पहले से ही चल रहा था. </p><p>रविवार की शाम आरज़ू, पारो और दीक्षा हमले के वक़्त साबरमती होस्टल में थीं. </p><p>आरज़ू बताती हैं, ”शाम के सात बज रहे थे. हमलोग कैंटीन में थे. कुल छह लड़कियाँ थीं. हमलोग को पता चल गया था कि हमला हुआ है इसलिए कैंटीन में आ गई थी. लेकिन कुछ ही देर में दिखा कि नर्मदा टी प्वाइंट से एक ग्रुप हाथ में हथौड़ा और डंडा लिए इधर आ रहा है. इनमें से कम से कम 20 महिलाएं रही होंगी. सबने चेहरा ढंक कर रखा था. इनमें से कोई स्टूडेंट नहीं लगा रही थी. सभी की उम्र 35 के क़रीब रही होगी. इन्होंने हमें दौड़ाना शुरू कर दिया. हम भागते रहे. हम बहुत डर गए थे. वो बस यही कह रहे थे कि यहाँ से निकलो. लेकिन जाते कहां? सबने तो घेर कर रखा था.”</p><p>पारो कहती हैं, ”हमें सबने बहुत मारा. दौड़ाकर मारा. कुछ महिलाओं के माथे पर सिंदूर दिख रहे थे. ये हमें मारकर जंगल की तरफ़ भाग गए. हम तो किसी विंग के सदस्य भी नहीं हैं. बहुत ही डरावना था.” </p><p>हमले में ज़ख़्मी हुए लोगों की कोई आधिकारिक संख्या नहीं बताई गई है लेकिन कहा जा रहा है कि 25 से 30 के बीच लोग ज़ख़्मी हुए हैं. </p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/40B1/production/_110416561_cc665f08-6861-40c2-bd90-e40564f13060.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h3>ये सब ठीक कब होगा?</h3><p>आख़िर जेएनएयू में ये सब क्यों हो रहा और हालात सामान्य कब होंगे? </p><p>इस सवाल पर सेंटर फ़ोर इकोनॉमिक स्टडीज़ एंड प्लानिंग के प्रोफ़ेसर प्रवीण झा कहते हैं, ”मसला केवल रविवार की हिंसा का नहीं है. जेएनएयू से मोदी सरकार को दिक़्क़त है. ख़ास करके अमित शाह को. अमित शाह को लगता है कि सबसे बड़ा दुश्मन जेएनयू है क्योंकि असहमति और सवाल यहाँ की संस्कृति है और ये अमित शाह को पसंद नहीं है. आप देख लीजिए कि इस वीसी के कार्यकाल में अयोग्य वफ़ादारों की नियुक्तियाँ धड़ल्ले से हुई हैं. यह अब भी जारी है. वीसी से चाहे कुछ भी पूछिए कुछ जवाब नहीं देता.”</p><p>रात के आठ बज चुके हैं लेकिन कैंपस में नारे और बहस की गूंज थमी नहीं है. मुनीरका गेट के बाहर ‘जय श्री राम’ के नारे लग रहे हैं. पुलिस ने उन लोगों को गेट के बाहर रोककर रखा है. </p><p>बग़ल के मिनी गेट से स्टूडेंट्स को आने-जाने दिया जा रहा है. उसी गेट से निकलते हुए देखा कि एक लड़की और पुलिस में कुछ बहस हो रही है.वो यहीं की स्टूडेंट है और अंदर आ रही थी. पुलिस को उस लड़की ने कहा कि आपको शर्म आनी चाहिए तो पुलिसवाले ने कहा कि लड़की हो लड़की तरह रहो. </p><p>मैंने उस पुलिसवाले से पूछा कि लड़कियों को कैसे रहना चाहिए? उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक ताड़ा और दूसरी तरफ़ घूम गया. </p><p>कुछ वीडियो में एबीवीपी के लोगों की पहचान हुई है जो नक़ाबपोश हमलावरों के साथ डंडा लिए खड़े हैं. इनमें विकास पटेल और शिव मंडल का नाम आया है. मनीष जांगिड से पूछा कि क्या दोनों एबीवीपी के ही हैं तो उन्होंने इसे क़बूल किया लेकिन कहा कि वो आत्मरक्षा में डंडे लेकर खड़े थे.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51014324?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जेएनयू हमला: क्या भारत नौजवानों की नहीं सुन रहा?</a></p>
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