<figure> <img alt="शादी में नागरिकता क़ानून के विरोध में प्लेकार्ड हाथ में लेकर तस्वीरें खिंचवाते लोग." src="https://c.files.bbci.co.uk/135A/production/_110345940_tb2.png" height="549" width="976" /> <footer>Farhan Khan</footer> <figcaption>नदीम अख़्तर और अमीना ज़ाकिया ने अपनी शादी में नागरिकता क़ानून के विरोध में प्लेकार्ड हाथ में लेकर तस्वीरें खिंचवाईं.</figcaption> </figure><p>पिछले हफ़्ते देशभर में हज़ारों लोग नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध में सड़कों पर उतरे थे. </p><p>सरकार का कहना है कि नया क़ानून उन ‘अल्पसंख्यकों की मदद करेगा जिनका उनके देश में उत्पीड़न हुआ है’ लेकिन इसका विरोध कर रहे लोगों का दावा है कि ये ‘धर्म के आधार पर भेदभाव’ करता है. </p><p>सीएए के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों में अब तक 20 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं. हिंसक प्रदर्शनों को काबू करने के लिए पुलिस की कथित क्रूरता के वीडियो वायरल हुए हैं. इसे लेकर लोगों में गुस्सा और बढ़ गया है. </p><p>पुलिस के प्रतिबंधों और देश में कई जगहों पर इंटरनेट बंद होने के बावजूद विरोध प्रदर्शनों में भीड़ जुट रही है. </p><p>लेकिन, इस भीड़ से इतर भी कई लोग हैं जो अलग तरह से इस सीएए के ख़िलाफ़ विरोध जाहिर कर रहे हैं. </p><p>वॉलेंटियर्स की इस फौज में वक़ील, डॉक्टर, साइकोथेरेपिस्ट और ऑनलाइन एक्टिविस्ट शामिल हैं. </p><p>दिल्ली में रहने वालीं थेरेपिस्ट नेहा विरोध प्रदर्शनकारियों की मदद कर रही हैं. वह कहती हैं कि हर कोई सड़क पर नहीं उतर सकता. </p><p>इसलिए नेहा ने इंस्टाग्राम पर अपनी ई-मेल आईडी पोस्ट करने का फ़ैसला किया ताकि वो परेशान लोगों की मदद कर सकें. </p><p>नेहा कहती हैं, ”मैंने विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने की कोशिश की लेकिन ईमानदारी से कहूं तो ये बहुत डरावना है. जो भी उस डर और परेशानी से गुज़रा है, मैं उसकी मदद करना चाहती हूं.” </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50978735?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">14 दिन बाद अपनी दुधमुंही बच्ची के पास पहुंची प्रदर्शनकारी</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50972815?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">CAA: बिहार बंद के दौरान ग़ायब आमिर की मौत के मामले में कई लोग गिरफ़्तार</a></li> </ul><h1>सड़कों पर उतरे बिना विरोध</h1><p>नेहा की तरह कई ऐसे लोग हैं जो सड़कों पर आए बिना इस विरोध में साथ दे रहे हैं. </p><p>इन्हीं में से एक हैं दिल्ली की रहने वाली साइकोथेरेपिस्ट अंजली सिंगला. वह कहती हैं, ”मुझे शहर से बाहर जाना पड़ा था इसलिए मैं विरोध प्रदर्शन से नहीं जुड़ पाई. लेकिन, मैं कई लोगों से फोन पर जुड़कर उनकी मदद करती रही.”</p><p>इलस्ट्रेशन के ज़रिए भी लोगों को अपना ध्यान रखने के टिप्स दिए जा रहे हैं. ऐसी ही एक पोस्ट तैयार करने वाली संगीता अलवर ”अशांति के दौरान मानसिक स्वास्थ्य” के महत्व पर ज़ोर देती हैं. </p><p>संगीता कहती हैं कि जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ तो वो बहुत बेचैन हो गईं और इसमें सकारात्मक तरीक़े से योगदान देने की ज़रूरत महसूस करने लगीं. </p><p>उन्होंने लोगों को घबराहट होने पर एक ब्रेक लेने की सलाह दी जो हज़ारों लोगों को पसंद आई. </p><p>वह लिखती हैं, ”जब एक राष्ट्रीय संकट हो तो किसी की सेहत की बात करना बहुत छोटा लगता है लेकिन ये महत्वपूर्ण है.”</p><figure> <img alt="नागरिकता क़ानून का विरोध करता पोस्टर" src="https://c.files.bbci.co.uk/5B16/production/_110381332_75538144_845703322535892_7004722600403704809_n.jpg" height="640" width="640" /> <footer>Pearl D’Souza</footer> </figure><p>कुछ डॉक्टरों ने अपने ही तरीके से इस आंदलोन में हिस्सा लिया. उन्होंने प्रदर्शनों की जगह और अपने क्लीनिक पर निशुल्क मेडिकल सहायता मुहैया कराई. </p><p>दिल्ली के ही एक डॉक्टर अहमद ने बीबीसी को बताया, ”प्रदर्शनों के दौरान लोगों को तुरंत मेडिकल मदद की ज़रूरत पड़ी है. समुदाय का एक सदस्य होने के तौर पर मैंने उन्हें मदद देने की ज़िम्मेदारी उठाई.” </p><p>डॉ. अहमद का नाम उस सूची में था जिसमें क्षेत्र के मुताबिक आपात स्थिति में मदद के लिए लोगों के नाम लिखे गए थे. </p><p>इसी तरह की एक सूची वक़ीलों की भी थी जो हिरासत में लिए गए लोगों को निशुल्क क़ानूनी मदद देना चाहते थे. इनमें से कुछ ने जागरुकता के लिए संबंधित क़ानून के बारे में ऑनलाइन जानकारी भी दी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50960939?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">CAA विरोध प्रदर्शन: क्या दहशत में हैं यूपी के मुसलमान</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50916434?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">CAA: बेंगलुरू में क्यों वायरल हुआ यह वीडियो?</a></li> </ul><figure> <img alt="नागरिकता क़ानून का विरोध करता पोस्टर" src="https://c.files.bbci.co.uk/8226/production/_110381333_highres_yaheenkehai.jpg" height="640" width="640" /> <footer>Shilo Shiv Suleman </footer> </figure><h1>कला का इस्तेमाल </h1><p>नागरिकता क़ानून का विरोध करने वालों के बीच इंस्टाग्राम की भूमिका अहम रही. </p><p>इंस्टाग्राम के कई अकाउंट पर विरोध प्रदर्शनों की जगह और समय की जानकारी दी जा रही थी. कहीं पर शारीरिक बचाव और इंटरनेट शटडाउन के दौरान संपर्क करने की सलाह मिल रही थी. </p><p>कई लोग कुछ विश्वविद्यालयों और उत्तर प्रदेश में पुलिस की कार्रवाई के बारे में बता रहे थे. </p><p>ऐसे डिजाइनर्स भी सामने आए जिन्होंने विरोध प्रदर्शनों में इस्तेमाल के लिए बिना कॉपीराइट अपने पोस्टर दिए. </p><p>विजुअल आर्टिस्ट शिलो शिव सुलेमान ऐसी ही एक सिरीज़ चला रही थीं, जिसका नाम था ‘हम यहीं के हैं.'</p><p>इसमें एक महिला की तस्वीर बनी थी और लिखा था, ”मुस्लिम, तुम यहां के हो. हिंदू, तुम यहां के हो.” इसे हज़ारों लोगों ने शेयर किया और इसकी कॉपियां विरोध प्रदर्शनों में भी ले जाई गईं. </p><p>शिलो का मानना है कि जब देश में डर के हालात हों तब आगे आना और रचनात्मक तरीके से मदद करना उनका काम है. रचनात्मकता विरोध को ताकत देती है. </p><p>विजुअल आर्टिस्ट पर्ल डिसूजा कहती हैं, ”इस देश में महिलाओं के दमन का इतिहास रहा है. पुरुषवादी समाज में हमारी आवाज़ को दबाया गया पर अब ऐसा नहीं होगा.” </p><figure> <img alt="पुलिस की कार्रवाई दिखाता एक चित्र" src="https://c.files.bbci.co.uk/A936/production/_110381334_75545946_2564524060331604_340198578087931051_n.jpg" height="640" width="640" /> <footer>Rachita Taneja</footer> </figure><h1>’बेज़ुबानों को आवाज़ देना'</h1><p>विरोध की आवाज़ें प्रदर्शनों से लेकर शादियों, समारोहों और म्यूज़िक कॉन्सर्ट में भी गूंजीं. </p><p>दिल्ली के नदीम अख़्तर और अमीना ज़ाकिया अपने पड़ोस में हुई हिंसा से बहुत प्रभावित हुए थे और फिर उन्होंने अपनी शादी में इस क़ानून का विरोध करने का फ़ैसला किया. </p><p>उन्होंने अपनी शादी में नागरिकता क़ानून के विरोध का प्लेकार्ड हाथ में लेकर तस्वीरें खिंचवाईं. </p><p>अमीना ज़ाकिया की बहन मरियम जाक़िया ने बीबीसी को बताया, ”शादी से कुछ दिनों पहले ही जामिया विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स और पुलिस के बीच टकराव हुआ था और उसके बाद शादी को लेकर हमारा उत्साह ही ख़त्म हो गया.”</p><p>”हमारा सारा ध्यान विरोध प्रदर्शनों पर चला गया क्योंकि हमें मुसलमान होने के तौर पर भारत में अपने भविष्य की चिंता होने लगी.” </p><p>जाधवपुर विश्वविद्यालय में गोल्ड मेडलिस्ट देबस्मिता चौधरी ने अपनी ग्रेजुएशन सेरेमनी में नागरिकता क़ानून की कॉपी को फाड़कर सबको हैरत में डाल दिया था. </p><p>24 साल की देबस्मिता बताती हैं कि उन्होंने एक रात पहले ही ऐसा करने का फ़ैसला कर लिया था लेकिन इसके बारे में किसी को नहीं बताया था. </p><p>वह कहती हैं, ”ये क़ानून असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है. इसके विरोध के दौरान हुई हिंसा ने भी मुझे परेशान कर दिया था.”</p><p>वहीं, चेन्नई में लोग विरोध ज़ाहिर करने के लिए एक प्राचीन कला का इस्तेमाल करते हुए अपने घरों के बाहर ‘कोलम’ बना रहे हैं. </p><p>कोलम चावल के आटे से जमीन पर बनाई गई रंगोली है. माना जाता है कि यह सुख समृद्धि की देवी के स्वागत और बुराई से रक्षा के लिए बनाई जाती है. लेकिन, कई लोगों ने इसमें नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ नारे भी लिखे. </p><p>कुछ लोगों को इसके लिए हिरासत में भी लिया गया था. </p><figure> <img alt="चावल के आटे से जमीन पर बना कोलम जिस पर लिखा है कि हम सीएए का विरोध करते हैं." src="https://c.files.bbci.co.uk/F080/production/_110386516_9fefae7a-edb5-49dc-b520-b6d574682493.jpg" height="640" width="640" /> <footer>Grace Banu</footer> <figcaption>कोलम चावल के आटे से जमीन पर बनाई गई रंगोली है.</figcaption> </figure><p>लेकिन, प्रतिरोध करने वालों का मानना है कि ये कानून भेदभावपूर्ण है और भारत के 20 करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हाशिए पर रखने के हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे का हिस्सा है. </p><p>यह सड़कों और परिसरों से आगे बढ़ रहा है. लेकिन, सरकार भी अपनी तरफ से कोशिशें कर रही हैं. </p><p>सोशल मीडिया फीड में कई वीडियो पोस्ट किए गए हैं जिसमें एक मुस्लिम करेक्टर इस क़ानून से जुड़े ‘भ्रमों’ को दूर करता दिख रहा है. इनके अंत में कहा जा रहा है कि कोई देश तभी प्रगति कर सकता जब उसमें "शांति और भाईचारा" हो. </p><p>लेकिन, सभी इससे सहमत नहीं हैं. </p><p>हाल ही में एक म्यूज़िक कॉन्सर्ट में नागरिकता क़ानून विरोधी प्लेकार्ड ले जाने वाले आदित्य जोशी कहते हैं, ”हमारे पास अब राजनीति से दूर रहने का विकल्प नहीं है. सभी उम्र के लोग इस दमन के विरोध में लड़ रहे हैं और हमें किसी न किसी तरह इसका हिस्सा होना चाहिए.”</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a 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CAA: जब सड़क से शादी तक दिखी विरोध की तस्वीर
<figure> <img alt="शादी में नागरिकता क़ानून के विरोध में प्लेकार्ड हाथ में लेकर तस्वीरें खिंचवाते लोग." src="https://c.files.bbci.co.uk/135A/production/_110345940_tb2.png" height="549" width="976" /> <footer>Farhan Khan</footer> <figcaption>नदीम अख़्तर और अमीना ज़ाकिया ने अपनी शादी में नागरिकता क़ानून के विरोध में प्लेकार्ड हाथ में लेकर तस्वीरें खिंचवाईं.</figcaption> </figure><p>पिछले हफ़्ते देशभर में हज़ारों लोग नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध में […]
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