23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ विवाद: गुलज़ार और आम लोगों की प्रतिक्रियाएं #SOCIAL

<p>मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ बीते कुछ दिनों से अपनी नज़्म की वजह से चर्चा में बने हुए हैं. </p><p>फ़ैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ को आईआईटी कानपुर में कुछ स्टूडेंट्स के गाने पर विवाद है. आईआईटी कानपुर के डिप्टी डायरेक्टर मनिंद्र अग्रवाल के पास कुछ स्टूडेंट्स ने शिकायत दर्ज की थी.</p><p>शिकायत में कहा गया, ”कॉलेज […]

<p>मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ बीते कुछ दिनों से अपनी नज़्म की वजह से चर्चा में बने हुए हैं. </p><p>फ़ैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ को आईआईटी कानपुर में कुछ स्टूडेंट्स के गाने पर विवाद है. आईआईटी कानपुर के डिप्टी डायरेक्टर मनिंद्र अग्रवाल के पास कुछ स्टूडेंट्स ने शिकायत दर्ज की थी.</p><p>शिकायत में कहा गया, ”कॉलेज कैंपस में एक कविता पढ़ी गई, जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है.” शिकायत मिलने के बाद जब आईआईटी ने मामले की जांच करने के आदेश दिए तो ये बात ख़बरों में आ गई. बाद में आईआईटी प्रबंधन ने ये सफ़ाई भी दी वो फ़ैज़ की नज़्म की नहीं बल्कि प्रदर्शन को लेकर जांच करेंगे.</p><p>सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बीते दो दिनों से लोग अपनी राय रख रहे हैं. </p><p>कुछ लोग फ़ैज़ की नज़्म को एंटी-इंडिया और हिंदू विरोधी बता रहे हैं और कुछ लोग अपने तर्कों से ऐसी बातों को ख़ारिज कर रहे हैं.</p><figure> <img alt="गुलज़ार" src="https://c.files.bbci.co.uk/11826/production/_110381717_gettyimages-1088005492.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>फ़ैज़ की नज़्म: किसने क्या कहा?</h1><p>जाने-माने गीतकार गुलज़ार ने कहा, ‘फ़ैज़ प्रगतिशील लेखन के फाउंडर थे, उस क़द के आदमी को धार्मिक मामलों से जोड़ना मुनासिब नहीं है. फ़ैज़ को पूरी दुनिया जानती थी. ज़िया उल हक के ज़माने में लिखी नज़्म को आप बिना संदर्भ के पेश कर रहे हैं. जो भी तब लिखा गया था, उसे उसके संदर्भ में देखने की ज़रूरत है.'</p><p><a href="https://twitter.com/iFaridoon/status/1213020255473168384">https://twitter.com/iFaridoon/status/1213020255473168384</a></p><p>फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की बिटिया सलीमा हाशमी ने कहा, ”मुझे ख़ुशी है कि इस नज़्म की वजह से क़ब्र के बाहर मेरे अब्बा लोगों से बात कर रहे हैं. अब्बा की नज़्म को एंटी हिंदू कहना मज़ाक़िया है.”</p><p>बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, ”उर्दू और फ़ैज़ से छुट्टी मिल गई हो तो अब आगे बढ़िए. ये दोनों ही इस बहस में प्रासंगिक नहीं हैं. मुद्दा ये है कि नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के नाम पर जिस तरह से इस्लामिक नारों का इस्तेमाल हो रहा है, ख़ासकर अल्पसंख्यक संस्थानों में, ये एक चिंता का विषय है.”</p><p><a href="https://twitter.com/amitmalviya/status/1212940596467425280">https://twitter.com/amitmalviya/status/1212940596467425280</a></p><p>फ़िल्मकार विशाल भारद्वाज ने लिखा, ”फ़ैज़ की नज़्म को लेकर हो रहा तमाशा बकवास है. कविता समझने के लिए आपको उसे सबसे पहले महसूस करना होगा. आपके अंदर एक स्टैंडर्ड इमोशनल इंटेलिजेंस होनी चाहिए, जो कि फिलहाल उन लोगों में बिलकुल नहीं दिख रही है जो फ़ैज़ की नज़्म को मुसलमान समर्थक और एंटी- इंडिया बता रहे हैं.”</p><p><a href="https://twitter.com/VishalBhardwaj/status/1213002751631716352">https://twitter.com/VishalBhardwaj/status/1213002751631716352</a></p><p>तवलीन सिंह ने लिखा, ”फ़ैज़ ने जब ये नज़्म लिखी थी, उसके कुछ दिनों बाद मैं उनकी बेटी से मिली थी. उन्होंने मुझे नज़्म की टेप रिकॉर्डिंग दी. मैंने ये नज़्म जसवंत सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी को सुनाई. दोनों ने नज़्म को ख़ूब पसंद किया. बीजेपी कैसे बदलती गई.”</p><p><a href="https://twitter.com/tavleen_singh/status/1212921727354728448">https://twitter.com/tavleen_singh/status/1212921727354728448</a></p><p>कांग्रेस नेता शशि थरूर ने जावेद अख़्तर के वायरल हो रहे वीडियो को भी शेयर किया. </p><p>इस वीडियो में जावेद अख़्तर ने धर्म को लेकर हो रही राजनीति और नागरिकों की ज़रूरतों पर कुछ बातें कही हैं.</p><p><a href="https://twitter.com/ShashiTharoor/status/1212944831691005953">https://twitter.com/ShashiTharoor/status/1212944831691005953</a></p><p>जावेद अख़्तर कहते हैं, ”मुल्क़ में करोड़ों ग़रीब हैं, इसमें ज़्यादातर हिंदू हैं? क्या सड़क पर भूखे सभी लोग मुसलमान हैं? नहीं, ये लोग हिंदू भी हैं. आज कहा जा रहा है कि तुम अपनी बेरोज़गारी के बारे में मत सोचो. सर पर छत नहीं है, मत सोचो. तुम्हारी बीवी, बच्चों के लिए अस्पताल नहीं हैं, मत सोचो. तुम सोचो कि तुम हिंदू हो. भूखे मर जाओ लेकिन गर्व करते रहो. तुम्हारा बच्चा भीख मांगे लेकिन गर्व से कहो कि हम हिंदू हैं. हम तुम्हें काम, घर, रोटी नहीं देंगे. हम तुम्हें गर्व दे रहे हैं. रखो अपने पास.”</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=ur3FugSdfoU">https://www.youtube.com/watch?v=ur3FugSdfoU</a></p><p>यह भी पढ़ें:- <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-43033110?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">फ़ैज़ ने निकाह के लिए उधार के पैसों से ख़रीदी अंगूठी</a></p><figure> <img alt="फ़ैज़" src="https://c.files.bbci.co.uk/16646/production/_110381719_faiz.png" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>आम लोगों ने क्या कहा?</h1><p><a href="https://twitter.com/rameshsrivats/status/1212801176002891776">https://twitter.com/rameshsrivats/status/1212801176002891776</a></p><p>मोहम्मद इबरार नाम के यूज़र ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ फ़ैज की एक तस्वीर को शेयर किया. ये तस्वीर 1981 की है. इबरार ने लिखा- क्या अब भी फ़ैज़ एंटी-नेशनल कहलाएंगे?</p><p><a href="https://twitter.com/Ibrar_TOI/status/1213040118317101057">https://twitter.com/Ibrar_TOI/status/1213040118317101057</a></p><p>नदीम ने लिखा, ”फ़ैज़ की शायरी की वो लोग आलोचना कर रहे हैं, जिन्हें श और स की तमीज़ नहीं है.”</p><p>सभापति मिश्रा ने ट्वीट किया, ”हमारे देश के वामपंथी भी कमाल करते हैं. देखिए न फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के प्रेत को बिना वीज़ा परमिट के भारत में उठा लाए. सोचा था कि बड़ी तोप है पर देशभक्तों ने पानी डालकर फुस्स कर दिया.”</p><p><a href="https://twitter.com/sabhapatimish10/status/1213041420421828609">https://twitter.com/sabhapatimish10/status/1213041420421828609</a></p><p>वैभव द्विवेदी ने लिखा, ”फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म में एक लाइन है- बस नाम रहेगा अल्लाह का. इसे बुद्धिजीवी सेकुलर बता रहे हैं. मेरा सवाल है यहां &quot;अल्लाह&quot; शब्द हटाकर बस नाम रहेगा &quot;हनुमानजी&quot; का या &quot;शिवजी&quot; का कर दें तो भी क्या यह सेकुलर रहेगा?”</p><p><a href="https://twitter.com/vaibhavvabs/status/1213040622002507776">https://twitter.com/vaibhavvabs/status/1213040622002507776</a></p><p>यह भी पढ़ें:- <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50979193?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ पर क्या बोलीं उनकी बेटी</a></p><figure> <img alt="फ़ैज़" src="https://c.files.bbci.co.uk/31AE/production/_110381721__100005410_141121094729_faiz_ahmed_faiz_281x351_alihashmi-1.jpg" height="549" width="549" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>फ़ैज़ की कहानी…</h1><p>फ़ैज़ का जन्म 13 फरवरी 1911 को सियालकोट में हुआ था और 20 नवंबर 1984 को फ़ैज़ ने लाहौर में दुनिया को अलविदा कहा था.</p><p>फ़ैज़ बंटवारे के बाद भले ही पाकिस्तान में रह गए थे लेकिन वो कई मौक़ों पर बँटवारे के बाद भारत आते रहे थे. अटल बिहारी वाजपेयी के साथ फ़ैज़ की इसी दौर की कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर हो रही हैं.</p><p><strong>हम देखेंगे</strong> नज़्म फ़ैज़ ने 1979 में लिखी थी, तब पाकिस्तान में तानाशाह ज़िया-उल-हक का शासन था. इस नज़्म की लोकप्रियता तब बहुत ज़्यादा बढ़ गई, जब इकबाल बानो ने इसे विरोध में सफेद साड़ी पहनकर गाया. </p><p>तब की कुछ रिकॉर्डिंग्स को चुपके से पाकिस्तान से बाहर भेजा गया था.</p><p>यह भी पढ़ें:- <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50969956?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">फ़ैज़ की नज़्म हिंदू विरोधी या पाकिस्तान तानाशाह विरोधी?</a></p><p>ज़िया के दौर में चार साल फ़ैज़ को पाकिस्तान छोड़कर बैरूत में रहना पड़ा था. </p><p>बैरूत में फ़ैज़ के शेरों को सुनने वाला कोई नही था. वहां एक पाकिस्तानी बैंक मैनेजर रहा करते थे जिन्हें फ़ैज़ अपने शेर सुनाते थे. वहां तैनात पाकिस्तानी राजदूत को भी शेरो-शायरी की कोई ख़ास समझ नहीं थी.</p><p>फ़ैज़ शराब के शौकीन थे. एक बार किसी ने मज़ाक किया था कि फ़ैज़ के स्कूल का नाम स्कॉच मिशन हाईस्कूल था. लगता था कि ये तभी से तय हो गया था कि शराब से उनका साथ हमेशा के लिए रहेगा.</p><p>उनकी बेटी सलीमा ने बीबीसी से कहा था, ”वो शराब ज़रूर पीते थे लेकिन उन्हें किसी ने कभी नशे में धुत्त नहीं देखा. दरअसल जितनी वो पीते थे उतने ही शांत हो जाते थे. वैसे भी वह बहुत कम बात करते थे और दूसरों की बातें ज़्यादा सुना करते थे.”</p><p>फ़ैज़ को महिलाओं का साथ भी बहुत पसंद था. फ़ैज़ के नवासे अली मदीह ने बीबीसी को बताया था, ”महिलाओं से ही फ़ैज़ को सीख मिली थी कि कभी भी कोई कड़वा शब्द इस्तेमाल न करें.”</p><p>दूसरे के लिए कड़वा शब्द इस्तेमाल न करने वाले फ़ैज़ को लेकर आज सोशल मीडिया पर कुछ लोग कड़वे शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं.</p><h1>वजह फ़ैज़ की नज़्म- हम देखेंगे…</h1><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=NFAa7nuezQs&amp;t=1s">https://www.youtube.com/watch?v=NFAa7nuezQs&amp;t=1s</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें