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भारत हर साल कितने लोगों को सज़ा-ए-मौत देता है?

<figure> <img alt="भारत में रेप के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/F1D5/production/_110190916_india_rapeprotest.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में क़सूरवार ठहराए गए मुजरिमों को आने वाले कुछ दिनों में फांसी दी जानी है.</p><p>सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के अपराधियों में से एक की अपील याचिका ख़ारिज कर दी है.</p><p>घृणित […]

<figure> <img alt="भारत में रेप के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/F1D5/production/_110190916_india_rapeprotest.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में क़सूरवार ठहराए गए मुजरिमों को आने वाले कुछ दिनों में फांसी दी जानी है.</p><p>सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के अपराधियों में से एक की अपील याचिका ख़ारिज कर दी है.</p><p>घृणित अपराध के ज़्यादातर मामलों में भारत की अदालतें सज़ा-ए-मौत का फ़ैसला सुनाती रही हैं लेकिन साल 2015 में याक़ूब मेमन की फांसी के बाद से भारत में किसी को भी फांसी नहीं दी गई है. याक़ूब मेमन को नब्बे के दशक में हुए मुंबई बम धमाकों के लिए क़सूरवार ठहराया गया था.</p><p>दुनिया भर में मृत्यु दंड की सज़ा के मामलों को देखें तो भारत के मुक़ाबले दूसरे देशों का रिकॉर्ड कहीं ज़्यादा रहा है. </p><p>साल 2018 के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के चार देशों ने- ईरान, सऊदी अरब, वियतनाम और इराक़ ने मृत्यु दंड की सज़ा पर सबसे ज़्यादा अमल किया.</p><p>मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार दुनिया भर में मौत की सज़ा के मामलों में कमी आई है और पिछले दशक में तो गिने चुने मामलों में ही किसी को मौत मिली.</p><img class="idt-cloud-graphic" src="https://ichef.bbci.co.uk/news/amp/idt2/470/97139163-ea62-417c-ac72-04339a092f73" alt="साल 2018 में सज़ा-ए-मौत के मामले. [ 58 रेप और मर्डर के लिए ] [ 45 केवल क़त्ल के लिए ],[ 17 डकैती और क़त्ल के लिए ],[ 16 दंगे और हत्या के लिए ],[ 10 अपहरण और हत्या के लिए ],[ 9 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा के लिए ], Source: स्रोतः नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली, Image: "/><p><strong>भारत में किस तरह के अपराध के लिए मृत्यु दंड दिया जाता है</strong><strong>?</strong></p><p>साल 2018 में क़त्ल के 45 मामलों में फांसी की सज़ा सुनाई गई थी जबकि रेप के साथ मर्डर के 58 मामलों में मृत्यु दंड का फै़सला सुनाया गया.</p><p>देश में राज्यों और केंद्र के क़ानूनों को मिलाकर देखें तो कुल 24 ऐसे क़ानून हैं जिनमें मौत की सज़ा का प्रावधान है.</p><p>दिल्ली स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक़ 1947 में आज़ादी मिलने के बाद से सबसे ज़्यादा फांसी उत्तर प्रदेश में दी गई है.</p><p>आज़ादी के बाद से उत्तर प्रदेश में कुल 354 लोगों को फांसी दी गई जबकि हरियाणा में 90 और मध्य प्रदेश में 73 लोगों की मौत की सज़ा पर अमल हुआ.</p><figure> <img alt="फांसी" src="https://c.files.bbci.co.uk/C55A/production/_110222505_deathpenalty_protest.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ़ 2018 में ही भारतीय अदालतों ने 162 मामलों में फांसी की सज़ा सुनाई. </p><p>साल 2017 की तुलना में ये आंकड़े 50 फीसदी ज़्यादा हैं. बीते दो दशकों में फांसी की सज़ा, पहले कभी इतने अधिक मामलों में नहीं सुनाई गई थी. </p><p>यौन अपराध के मामलों में 2017 की तुलना में 2018 में फांसी की सज़ा का आंकड़ा 35 फ़ीसदी बढ़ गया था और इसकी बड़ी वजह संबंधित क़ानूनों में किया गया बदलाव है.</p><p>पाकिस्तान में पिछले साल फांसी की सज़ा के आंकड़े 250 से भी ज़्यादा रहे जबकि बांग्लादेश में 229 से ज़्यादा.</p><p>लेकिन दुनिया भर के आंकड़ों के लिहाज़ से देखें तो इसमें थोड़ी कमी देखी गई है. एक ओर जहां 2017 में ये आंकड़ा 2591 था तो 2018 में ये आंकड़ा 2531 रहा.</p><img class="idt-cloud-graphic" src="https://ichef.bbci.co.uk/news/amp/idt2/470/2a9bea28-6451-4c2b-8c98-686b4f962eb4" alt="साल 2009 से सज़ा-ए-मौत. . ."/><p><strong>कौन</strong><strong>-</strong><strong>सा देश सबसे ज़्यादा मौत की सज़ा देता है</strong><strong>?</strong></p><p>मृत्यु दंड की सज़ा के ख़िलाफ़ अभियान चलाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी का कहना है कि पिछले साल 690 लोगों की मौत की सज़ा पर अमल किया गया.</p><p>उसके पिछले साल के आंकड़ों की तुलना में ये 30 फ़ीसदी कम था.</p><p>साल 2018 में मौत की सज़ा के 80 फीसदी आंकड़ें चार देशों में दर्ज किए गए. ये देशे हैं, ईरान, सऊदी अरब, वियतनाम और इराक़.</p><p>हालांकि वियतनाम ने मृत्यु दंड के मामलों पर सार्वजनिक तौर पर प्रतिक्रियाएं कम ही दी हैं लेकिन पिछले साल नवंबर में उसने इस बात की पुष्टि की थी कि उसके यहां 85 लोगों को मौत की सज़ा दे दी गई. </p><figure> <img alt="अमरीका" src="https://c.files.bbci.co.uk/DA66/production/_110201955_lethal.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>अमरीका में ज़हरीले इंजेक्शन के ज़रिए मौत की सज़ा दी जाती है</figcaption> </figure><p>इससे पहले के सालों में वियतनाम में कितने लोगों की मौत की सज़ा मिली, इस बारे में कोई भरोसेमंद जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि वहां ये एक सरकारी गोपनीय गतिविधि का हिस्सा माना जाता है.</p><p>पिछले साल की तुलना में एशिया प्रशांत के देशों में मृत्यु दंड के मामलों में 46 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. जापान में 15, पाकिस्तान में 14 और सिंगापुर में 13 लोगों को सज़ा-ए-मौत दी गई. </p><p>साल 2009 के बाद से थाईलैंड में मौत की सज़ा एक तरह से बंद कर दी गई थी लेकिन अब वहां फिर से मृत्यु दंड दिया जाने लगा है.</p><p>अमरीका की तरफ़ देखें तो साल 2017 के 23 के आंकड़ें की तुलना में पिछले साल वहां 25 लोगों की सज़ा-ए-मौत पर अमल हुआ.</p><p>लेकिन दुनिया भर के इन आंकड़ों से बनने वाली तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है. </p> <ul> <li>इसमें चीन से जुड़ी जानकारी शामिल नहीं है. एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है कि वहां हज़ारों लोगों को मौत की सज़ा दी जाती है और इसके आंकड़े गुप्त रखे जाते हैं.</li> <li>सीरिया में चल रही जंग की वजह से इस बात की पुष्टि करना संभव नहीं था कि वहां किसी को मौत की सज़ा दी गई है या नहीं.</li> <li>लाओस और उत्तर कोरिया के बारे में भी बहुत कम या न के बराबर जानकारी उपलब्ध है. </li> </ul><p>एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि इन हालात में दुनिया में कितने लोगों को मृत्यु दंड की सज़ा दी गई, इसकी मुकम्मल तस्वीर पेश नहीं की जा सकती है.</p><figure> <img alt="साल 2018 में मृत्यु दंड की सज़ा देने वाले देश" src="https://c.files.bbci.co.uk/C0FA/production/_110220494_executions_around_world_640-nc.png" height="657" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>सज़ा-ए-मौत के मामले सबसे ज़्यादा कहां पेंडिंग हैं</strong><strong>?</strong></p><p>इससे जुड़े आंकड़ों की अपनी सीमाएं हैं और हर एक देश के बारे में अलग से आंकड़े उपलब्ध नहीं है.</p><p>लेकिन साल 2018 में पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा लोग अपनी मौत की सज़ा का इंतज़ार कर रहे हैं. वहां ये आंकड़ा 4864 है.</p><p>पाकिस्तान के मानवाधिकार समूह ने इसी साल बताया था कि वहां मृत्यु दंड की सज़ा के ख़िलाफ़ देश की सबसे बड़ी अदालत तक से अपील के निपटारे में क़ैदियों को औसतन दस साल इंतज़ार करना होता है.</p><p>एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक़ बांग्लादेश में ऐसे 1500 मामले हैं जिनमें मृत्यु दंड की सज़ा के ख़िलाफ़ अपील की प्रक्रिया चल रही है. </p><p>नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के आख़िर तक भारत में ऐसे 426 अपराधी थे. इनमें से आधे से ज़्यादा क़ैदियों को हत्या के लिए कसूरवार ठहराया गया है और 21.8 फीसदी क़ैदी रेप और मर्डर के लिए दोषी ठहराये गए हैं.</p><figure> <img alt="बांग्लादेश में एक क़ैदी पुलिस वैन में" src="https://c.files.bbci.co.uk/13FF5/production/_110190918_bangladesh_prisoner.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>बांग्लादेश में एक क़ैदी पुलिस वैन में</figcaption> </figure><p>अमरीका में भी ये आंकड़े काफ़ी ज़्यादा हैं. वहां इस समय 2654 लोगों की मौत की सज़ा अपील की प्रक्रिया से गुज़र रही है तो नाइजीरिया में ये आकड़े 2000 से अधिक हैं.</p><p>साल 2018 के आख़िर तक दुनिया के आधे से अधिक देशों ने अपने यहां मौत की सज़ा ख़त्म कर दी या फिर उसके अमल पर रोक लगा दी है.</p><p>एमनेस्टी का कहना है कि साल 2018 में बुरकीना फासो ने मृत्यु दंड की सज़ा पर रोक लगा दी, गाम्बिया और मलेशिया ने भी अपने यहां इस के अमल पर रोक लगाई है.</p><p>अमरीका के वॉशिंगटन प्रांत ने मृत्यु दंड की सज़ा को असंवैधानिक क़रार दिया है. वॉशिंगटन को मिला कर अमरीका में 20 ऐसे राज्य हैं जहां इस पर रोक है.</p><figure> <img alt="बीबीसी रिएलिटी चेक" src="https://c.files.bbci.co.uk/133CA/production/_109749787_realitycheckbranding.jpg" height="280" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)</strong></p>

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