20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अर्दोआन ने मैक्रों को ब्रेन डेड क्यों कहा था

<figure> <img alt="मैक्रों और अर्दोवान" src="https://c.files.bbci.co.uk/1106A/production/_109983796_gettyimages-901494930.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन</figcaption> </figure><p>इस हफ़्ते लंदन में नेटो यानी द नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन के 28 सदस्य देश जुटने वाले हैं. </p><p>इस बैठक में नेटो की आगे की दिशा और दशा प्रासंगिक बनाने की बात […]

<figure> <img alt="मैक्रों और अर्दोवान" src="https://c.files.bbci.co.uk/1106A/production/_109983796_gettyimages-901494930.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन</figcaption> </figure><p>इस हफ़्ते लंदन में नेटो यानी द नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन के 28 सदस्य देश जुटने वाले हैं. </p><p>इस बैठक में नेटो की आगे की दिशा और दशा प्रासंगिक बनाने की बात होगी. हाल के वर्षों में नेटो अपनी प्रासंगिकता खोता हुआ मालूम पड़ रहा है. </p><p>इन 28 देशों के इस समूह के भीतर पर्याप्त अविश्वास और असहमति की स्थिति बढ़ी है. इस समिट में तुर्की के सबसे बड़ा मुद्दा होने की संभावना जताई जा रही है. </p><p>तुर्की के राष्ट्रपित रेचेप तैय्यप अर्दोआन इसमें सीरिया और चरमपंथी हमले की आशंका से जुड़े मुद्दे को खुलकर उठाने जा रहे हैं. </p><p>उत्तर-पूर्वी सीरिया में वो सुरक्षित इलाक़ा बनाने के लिए राजनीतिक और वित्तीय समर्थन का मुद्दा उठा सकते हैं. अर्दोआन इस सुरक्षित इलाक़े में तुर्की में रह रहे शरणार्थियों को बसाना चाहते हैं. </p><figure> <img alt="तुर्की" src="https://c.files.bbci.co.uk/15E8A/production/_109983798_gettyimages-901933830.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>हालांकि तुर्की की हाल की नीतियों को लेकर नेटो के कई देश सहमत नहीं हैं. सीरिया में तुर्की के हमले और पोलैंड के साथ बाल्टिक देशों पर नेटों के डिफेंस प्लान को भी तुर्की ख़ारिज कर चुका है और फ़्रांस इससे नाराज़ है. इस बैठक में कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो तुर्की से जुड़े रहेंगे. </p><p>तुर्की ने पिछले महीने नेटो के बाल्टिक डिफेंस प्लान को रोक दिया था. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार तुर्की कोशिश कर रहा था कि नेटो पीपल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स मिलिशिया को आतंकवादी समूह के तौर पर देखे. हालांकि अमरीका और कुछ यूरोपीय देशों ने ऐसा नहीं होने दिया. उन्होंने इस बात को नहीं माना कि वाईपीजी तुर्की के लिए ख़तरा है. </p><p>तुर्की का मानना है कि वाईपीजी कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी यानी पीकेके का ही एक्सटेंशन है. पीकेके को अमरीका और यूरोप के देश आतंकवादी संगठन के तौर पर देखते हैं. </p><p>कहा जा रहा है कि इसी वजह से तुर्की लंदन में होने वाले समिट में सहमति के मुद्दों पर अपना विरोध दर्ज करा सकता है. कुछ रिपोर्ट में ये भी कहा जा रहा है कि तुर्की ने समिट में अपना एजेंडा लीक कर दबाव बनाने की कोशिश की है. </p><p><strong>दिमाग़ी मौत कि</strong><strong>सकी</strong><strong> मैक्रों की या नेटो की</strong></p><p>फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले महीने कहा था कि सदस्य देशों के बीच रणनीतिक रूप से समन्वय नहीं होने के कारण नेटो ‘दिमाग़ी मौत’ वाली स्थिति का सामना कर रहा है. </p><p>फ़्रांस का यह निशाना तुर्की पर था जिसने अमरीकी बलों के सीरिया से बाहर होने पर हमला कर दिया था. </p><p>मैक्रों ने कहा था, ”एक नेटो सहयोगी अनियंत्रित आक्रामक कार्रवाई कर रहा है. यह कार्रवाई वहां हो रही है जहां हमारे हित जुड़े हुए हैं.” </p><p>अर्दोआन को मैक्रों का यह बयान बहुत बुरा लगा और उन्होंने पलटवार किया. अर्दोआन ने कहा कि मैक्रों की दिमाग़ी मौत हो गई है और वो बिल्कुल अनुभहीन हैं. अर्दोवान ने ट्रंप की तरह यह इलज़ाम भी लगा दिया कि फ़्रांस नेटो को पर्याप्त वित्तीय मदद नहीं दे रहा है. </p><p>तुर्की ने कहा कि नेटो मे वो अपनी प्रतिबद्धता समझता है. तुर्की ने इससे पहले कहा था कि नेटो से अलग होने की उसकी कोई योजना नहीं है क्योंकि निर्णय लेने के मामले में सभी देशों का प्रतिनिधित्व बराबर का है. </p><p>तुर्की का कहना है कि उसने नेटो के लिए काफ़ी निवेश किया है और ऐसे में इससे अलग होने का सवाल ही खड़ा नहीं होता है. </p><figure> <img alt="तुर्की" src="https://c.files.bbci.co.uk/0346/production/_109983800_gettyimages-901494914.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>उत्तर सीरिया में तुर्की की सेना के हमले के बाद यूरोप के कई देशों ने उसे हथियार बेचने से इनकार कर दिया था.</p><p>अपनी सेना के लिए हथियार वह अमरीका और यूरोपीय देशों से पारंपरिक तौर पर ख़रीदता रहा है लेकिन हाल के दिनों में उसने रूस से मिसाइल डिफेंस सिस्टम ख़रीदे थे.</p><p>लिहाज़ा, उत्तर सीरिया पर हमले के बाद किन-किन देशों ने तुर्की को हथियार बेचने पर रोक लगाई और अब वह किन देशों से अपनी सेना के लिए हथियार ख़रीद रहा है? यूरोप के नौ देशों ने तुर्की को हथियार नहीं देने का फ़ैसला किया था.</p><p>इनमें चेक रिपब्लिक, फ़िनलैंड, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स, स्पेन, स्वीडन और ब्रिटेन शामिल हैं. इनके साथ ही कनाडा ने भी यह घोषणा की है कि वो तुर्की को हथियार बेचने के लाइसेंस पर या तो आंशिक या पूरी तरह रोक लगा दी थी.</p><p>ब्रिटिश विदेश मंत्री डॉमिनिक रॉब ने कहा था कि ब्रिटेन फ़िलहाल तुर्की को हथियार बेचना जारी रखेगा लेकिन उन हथियारों के लिए निर्यात लाइसेंस जारी नहीं करेगा जिनका इस्तेमाल सीरिया में तुर्की की सेना कर सकती है.</p><p>जर्मनी और स्पेन ने कहा कि केवल नए कॉन्ट्रैक्ट को लेकर प्रतिबंध लगाए थे. आधिकारिक तौर पर यूरोपीय संघ ने समूचे यूरोप में तुर्की को हथियार बेचने पर रोक का समर्थन नहीं किया था. हालांकि &quot;तुर्की को हथियार बेचने को लेकर एक मज़बूत निर्यात नीति&quot; अपनाने पर बनी है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें