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चित्रों में दर्ज गांधी का जीवन

गांधी के व्यक्तित्व के इतने आयाम हैं कि किसी एक पर लिखने में भी कुछ शेष रह जाता है. उसी शेष की अगली कड़ी में प्रमोद कपूर ने ‘गांधी: एक सचित्र जीवनी’ किताब लिखी है. हम भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष मना रहे हैं. पूरी दुनिया के लिए गांधी मानवीयता की […]

गांधी के व्यक्तित्व के इतने आयाम हैं कि किसी एक पर लिखने में भी कुछ शेष रह जाता है. उसी शेष की अगली कड़ी में प्रमोद कपूर ने ‘गांधी: एक सचित्र जीवनी’ किताब लिखी है.
हम भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष मना रहे हैं. पूरी दुनिया के लिए गांधी मानवीयता की वह लौ हैं, जिससे लोकतंत्र रोशन है. गांधी होने का अर्थ इस बात से लगाया जा सकता कि उन्होंने सत्य और अहिंसा की राह चल कर अंग्रेजी शासन से भारत की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया.
कभी न डूबनेवाले अंग्रेजी साम्राज्य का प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल ने हिकारत के लहजे में गांधी को ‘भूखा नंगा फकीर’ कहा था, लेकिन उसकी यह हिकारत गांधी के आत्मबल से हार गयी. एक लोकतंत्र के रूप में भारत बन-संवर गया. इसलिए गांधी से कोई नफरत तो कर सकता है, लेकिन गांधी जैसा आत्मबल रखना किसी के बस की बात नहीं है. यही बात गांधी को गांधी बनाती है.
मोहनदास करमचंद गांधी के जीवन पर अनेक किताबें लिखी जा चुकी हैं. फिर भी गांधी के व्यक्तित्व और जीवन में अभी बहुत कुछ है, जिस पर लिखा जाना बाकी है. गांधी के व्यक्तित्व के इतने आयाम हैं कि किसी एक पर लिखने में भी कुछ शेष रह ही जाता है. उसी शेष की अगली कड़ी में प्रमोद कपूर ने ‘गांधी: एक सचित्र जीवनी’ किताब लिखी है. मंजुल प्रकाशन से छपी यह किताब ‘गांधी : ऐन इलस्ट्रेटेड बायोग्राफी’ का हिंदी संस्करण है, जिसका अनुवाद मदन सोनी ने किया है.
इस किताब में कपूर ने गांधी के बचपन से लेकर उनकी हत्या तक की तस्वीरों के साथ ही उनसे संबंधित बहुमूल्य जानकारियां भी दी हैं. ‘रोली बुक्स’ के संस्थापक और प्रकाशक प्रमोद कपूर चित्रों के बड़े पारखी हैं. गौरतलब है कि गांधी के जीवन की व्याख्या को लेकर कपूर एक समर्पित व्यक्ति माने जाते हैं.
कवर पलटते ही सबसे पहले 19वीं शताब्दी के पोरबंदर रियासत का चित्र दिखता है, जहां 1869 में गांधी पैदा हुए थे. फिर महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के कोट के बाद प्रमोद कपूर का ‘गांधी के साथ मेरा प्रयोग’ चैप्टर शुरू होता है, जिसमें उन्होंने बताया है कि गांधी के बारे में लिखना उनका सौभाग्य है और कर्तव्य भी है.
बीच में दो संयुक्त पृष्ठों पर साल 1876 में उनके बचपन से लेकर 1948 तक के बीच की उनकी विभिन्न मुद्राओं की तस्वीरें हैं, जिनमें भारत, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, असहयोग आंदोलन, स्वाधीनता का आह्वान, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन, दंगे, विभाजन, आजादी और उनके आखिरी क्षण कैद हैं. हर तस्वीर में गंभीरता एक केंद्रीय भाव है.
किताब के बीच में गांधी के नाम उनके पहले पुत्र हरिलाल गांधी का खत ‘एक बेटे का पिता के लिए पत्र’ एक पुस्तिका के रूप में संलग्न है, जो पिता-पुत्र के प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाता है. गांधी से जुड़े रहे देश-विदेश की विभिन्न शख्सियतों की तस्वीरें भी उनकी अतिसंक्षिप्त जीवनी के साथ दर्ज हैं, जिससे इसकी पठनीयता बढ़ जाती है.
अंत में, गांधी की हत्या की दुनियाभर के अखबारों में छपी खबर को पढ़कर उदास चेहरों की तस्वीरें हों, किताब के आखिर में उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की पिस्तौल की तस्वीर हो, या फिर गांधी अस्थि स्पेशल ट्रेन के टिकट की तस्वीर हो, इन तस्वीरों से स्पष्ट है कि अपने समय में गांधी के सबसे ज्यादा चित्र लिये गये हैं.
जाहिर है, इस ‘फोटोबायोग्राफी’ को पढ़ना गांधी के साथ सौम्यताभरी यात्रा पर जाने जैसा है. मैं इस यात्रा पर हूं, आप भी मेरे सहयात्री बनें, तो दुनिया के लिए गांधी के योगदान को समझने में कुछ और इजाफा हो सकता है.
– वसीम अकरम
Prabhat Khabar Digital Desk
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