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छत्तीसगढ़: अंग्रेज़ी के O अल्फ़ाबेट से किसान हुए परेशान, लेकिन क्यों

<p>अंग्रेज़ी का ‘O’ (ओ) और गणित का ‘0’ यानी शून्य किसानों का सारा गुणा-भाग कैसे गड़बड़ा सकते हैं, इसे छत्तीसगढ़ के किसानों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता.</p><p>इन दो अक्षरों के हेरफेर से महासमुंद ज़िले के किसान परेशान हैं. वे चाहते हैं कि इस ‘ओ’ को जल्दी से जल्दी ‘शून्य’ में बदल दिया जाए.</p><p>असल में […]

<p>अंग्रेज़ी का ‘O’ (ओ) और गणित का ‘0’ यानी शून्य किसानों का सारा गुणा-भाग कैसे गड़बड़ा सकते हैं, इसे छत्तीसगढ़ के किसानों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता.</p><p>इन दो अक्षरों के हेरफेर से महासमुंद ज़िले के किसान परेशान हैं. वे चाहते हैं कि इस ‘ओ’ को जल्दी से जल्दी ‘शून्य’ में बदल दिया जाए.</p><p>असल में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में साल भर में किसानों को तीन किश्तों में छह हज़ार रुपये दिये जाने का प्रावधान है. इस ज़िले के 86 हज़ार से अधिक किसान इस योजना के लिए पंजीकृत हैं लेकिन इस योजना की तीसरी किश्त केवल 550 किसानों को ही मिल पाई है.</p><p>ज़िले के सहकारी बैंक से जुड़े कुछ किसान जब बैंक पहुंचे तो पता चला कि बैंक में ऑनलाइन रक़म ट्रांसफर करने के लिये जो आईएफएससी कोड दिया जाता है, उसके अंतिम चार अंक बी आर ज़ीरो वन यानी BR01 की जगह बी आर ओ वन यानी BRO1 दर्ज़ है. यानी एक जैसे दिखने वाले ‘0’ की जगह अंग्रेजी का ‘O’ (ओ) अल्फ़ाबेट दर्ज कर दिया गया और किसानों के खाते में रक़म जमा ही नहीं हुई.</p><figure> <img alt="शून्य और ओ" src="https://c.files.bbci.co.uk/12BEC/production/_109208767_zero.jpg" height="666" width="1000" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>महासमुंद के किसान जागेश्वर चंद्राकर कहते हैं, &quot;सारा मज़ाक किसानों के साथ ही क्यों? 0 की जगह o दर्ज कर लेने का यह मामला लापरवाही से कहीं अधिक नीयत का है. डाटा एंट्री के समय माना कि यह ग़लती हो गई थी तो इसे सुधारने में कितना वक़्त लगता? लेकिन सरकार चाहती ही नहीं. जिसके कारण हमारे ज़िले के हज़ारों किसान परेशान हैं.&quot;</p><p>हालांकि महासमुंद ज़िले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की नोडल अधिकारी सीमा ठाकुर का कहना है कि इस मामले में किसानों की ओर से अब तक कोई शिकायत दर्ज़ नहीं करवाई गई है. अगर कोई शिकायत दर्ज़ की जाएगी तो मामले की जांच भी होगी.</p><p>लेकिन ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंक के नोडल अधिकारी डोंगरलाल नायक ने बीबीसी से बातचीत में स्वीकार किया कि किसान अपनी शिकायत लेकर उन तक पहुंच रहे हैं.</p><p>उन्होंने कहा, &quot;आईएफ़एससीकोड हमारे यहां सही है लेकिन ग़लत डाटा डाल दिया गया होगा. एंट्री में गड़बड़ी हो सकती है. जहां किसानों ने आवेदन दिया होगा, वहां उन्हें पता करना चाहिए.&quot;</p><figure> <img alt="किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/56D6/production/_109203222_e34dac4c-1d2c-48ae-89cf-6f419c643ce0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>हालांकि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी इस गड़बड़ी को सीधे तौर पर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के ख़िलाफ़ साजिश ठहरा रहे हैं.</p><p>सुंदरानी कहते हैं, &quot;बैंक में अगर कोई तकनीकी गड़बड़ी आ गई तो इसे तत्काल सुधार कर किसानों को रक़म का भुगतान करना चाहिए. लेकिन राज्य सरकार शुरू से इस योजना को लेकर दुष्प्रचार करती रही है. ‘शून्य’ को जिस तरह ‘ओ’ किया गया है, यह कहीं न कहीं केंद्र सरकार को बदनाम करने की साजिश है.&quot; </p><p><strong>विवाद</strong></p><figure> <img alt="किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/08B6/production/_109203220_60d0b33d-b441-41b8-9492-0633636db359.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लेकर शुरु से ही विवाद रहा है. कभी आधार कार्ड इस योजना के आड़े आ जाता है तो कभी बैंक के दस्तावेज़. ‘शून्य’ और ‘ओ’ के अलावा भी केंद्र सरकार पर किसानों को दी जाने वाली रक़म नहीं जारी करने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं.</p><p>भाजपा का आरोप है कि राज्य की कांग्रेस सरकार किसानों के आंकड़े उपलब्ध नहीं करा रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों को रक़म देना ही नहीं चाहती. </p><p>हालत ये है कि राज्य में इस योजना की तीसरी किश्त अब तक केवल 1.74 प्रतिशत किसानों को ही मिली है.</p><p>राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिख कर इस योजना में किसानों की बकाया रक़म जारी करने की मांग की है.</p><p>बघेल कहते हैं , &quot;केंद्र सरकार की कथनी और करनी में अंतर है. किसानों के तमाम दस्तावेज़ त्रुटिरहित पाये जाने के बाद ही तो किसानों को पहली किश्त दी गई थी. लेकिन अब तक किसानों को दूसरी और तीसरी किश्त की रक़म केंद्र सरकार ने नहीं दी है. मैंने केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर साहब को पत्र लिख कर कहा है कि कम से कम किसान सम्मान निधि तो दे दीजिए.&quot;</p><p>लेकिन विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझ कर केंद्र को राज्य के किसानों के सही आंकड़े और उससे संबंधित दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं करा रही है, इस कारण किसानों को रक़म मिलने में देरी हो रही है.</p><p>भाजपा नेता और किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष संदीप शर्मा का दावा है कि राज्य में 34 लाख किसान हैं. लेकिन राज्य सरकार इन किसानों के आंकड़े ही केंद्र को उपलब्ध नहीं करा रही है. राज्य के केवल 14 लाख किसानों के ही आंकड़े सरकार ने उपलब्ध कराए हैं.</p><p>वे कहते हैं-&quot;सरकार ने अगर सभी किसानों के आंकड़े और उनसे संबंधित दस्तावेज़ केंद्र को उपलब्ध कराया होता तो राज्य के किसानों को आकस्मिक खर्च के लिये अब तक 2100 करोड़ रुपये मिल जाते. लेकिन सरकार ने आधे किसानों के आंकड़े भी अब तक केंद्र को नहीं उपलब्ध कराए हैं.&quot;</p><p><strong>तीसरी किश्त केवल 1.74 फ़ीसदी किसानों को</strong></p><figure> <img alt="किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/A4F6/production/_109203224_5363aa37-183c-495e-b6d3-477cc0d87cec.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>संदीप शर्मा के दावे अपनी जगह ठीक भी हैं. भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की वेबसाइट पर शनिवार तक के जो ताज़ा आंकड़े उपलब्ध हैं, उसके अनुसार छत्तीसगढ़ के 34 लाख किसानों में से केवल 14 लाख 86 हज़ार 184 किसान ही इस योजना के लिए पंजीकृत हैं.</p><p>लेकिन दूसरी तरफ़ केंद्र सरकार का हाल ये है कि वह अभी तक इन सभी किसानों को योजना की पहली किश्त यानी दो हज़ार रुपये की रक़म भी उपलब्ध नहीं करा पाई है.</p><p>आंकड़ों के अनुसार राज्य के केवल 13 लाख 77 हज़ार 784 किसानों को ही दो हज़ार रुपये की पहली किश्त मिल पाई है. जिन किसानों को दूसरी किश्त मिली है, उनकी संख्या केवल 4 लाख 19 हज़ार 596 है. </p><p>हालत ये है कि तीसरी किश्त की दो हज़ार रुपये की रकम 14 लाख से भी अधिक पंजीकृत किसानों में से महज़ 25 हज़ार 914 किसानों को ही नसीब हुई है. यानी पंजीकृत किसानों में से केवल 1.4 फ़ीसदी किसानों को ही तीसरी किश्त के 2 हज़ार रुपये मिले हैं.</p><p>कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी का दावा है कि राज्य सरकार ने किसान सम्मान निधि के लिये 18 लाख 16 हज़ार से अधिक किसानों का पंजीयन अब तक कराया है. </p><p>त्रिवेदी का कहना है राज्य के किसानों को पहली किश्त के 89 करोड़ 20 लाख, दूसरी किश्त के 281 करोड़ 20 लाख और तीसरी किश्त के 358 करोड़ 42 लाख रुपये किसानों को मोदी सरकार से लेना बाकी है.</p><p>वे कहते हैं, &quot;मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के किसानों के 728 करोड़ 82 लाख रुपये दबाये हैं. हम यह मांग करते हैं कि यह रक़म दीवाली से पहले छत्तीसगढ़ को दी जानी चाहिए.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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