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शिवसेना अब आधिकारिक तौर पर भाजपा का छोटे भाई?

<figure> <img alt="उद्धव ठाकरे, देवेंद्र फड़नवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/559B/production/_109051912_devendrafadnavisuddhavadityaani.jpg" height="549" width="976" /> <footer>ANI</footer> </figure><p>शिवसेना-भाजपा गठबंधन का सूत्र दोनों दलों के उम्मीदवारों की सूची से आता है. शिवसेना 124 सीटों और अन्य सहयोगियों के साथ भाजपा 164 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.</p><p>2014 के विधानसभा चुनावों के अपवाद के साथ, शिवसेना और भाजपा 1990 के बाद से चुनाव लड़ रहे […]

<figure> <img alt="उद्धव ठाकरे, देवेंद्र फड़नवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/559B/production/_109051912_devendrafadnavisuddhavadityaani.jpg" height="549" width="976" /> <footer>ANI</footer> </figure><p>शिवसेना-भाजपा गठबंधन का सूत्र दोनों दलों के उम्मीदवारों की सूची से आता है. शिवसेना 124 सीटों और अन्य सहयोगियों के साथ भाजपा 164 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.</p><p>2014 के विधानसभा चुनावों के अपवाद के साथ, शिवसेना और भाजपा 1990 के बाद से चुनाव लड़ रहे हैं. 1990 से 2009 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना परोक्ष रूप से &quot;बड़े भाई&quot; की भूमिका में रही है.</p><p>शिवसेना नेताओं ने बार-बार कहा है कि राज्य की राजनीति में वे एक बड़े भाई की भूमिका में हैं. वरिष्ठ पत्रकार योगेश पवार कहते हैं, &quot;लालकृष्ण आडवाणी हमेशा शिवसेना से कहते थे कि ‘वह (शिवसेना) राम है और हम लक्ष्मण हैं.’ इसलिए, ये भी सच है कि बीजेपी शिवसेना को महाराष्ट्र में बड़ा भाई मानती थी.&quot; </p><p>लेकिन अब यह समीकरण बदलता दिख रहा है. इस साल के चुनाव में शिवसेना को 124 सीटें मिली हैं. गठबंधन के इतिहास में पहली बार, शिवसेना को 150 से कम सीटें दी गई हैं. परिणामस्वरूप, यह बहस शुरू हो गई है कि क्या शिवसेना अब आधिकारिक तौर पर ‘छोटा भाई’ है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49747470?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र: क्या लड़ाई बीजेपी बनाम शरद पवार है</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49780490?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या बीजेपी-शिवसेना दोहरा पाएंगी 2014 का इतिहास</a></li> </ul><figure> <img alt="उद्धव ठाकरे, नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/108BE/production/_109047776_afd56813-6439-4aab-aec9-5b62f39f7fea.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>शिवसेना ‘छोटा भाई’ कैसे बन गया?</h1><p>वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर कहते हैं, &quot;भाजपा के पास 2009 में 46 सीटें थीं जबकि 2014 में उसे 122 सीटें मिलीं. यानी भाजपा को शिवसेना के साथ बिना गठबंधन के भी 2009 के मुकाबले तीन गुना ज़्यादा सफलता हासिल हुई.&quot; </p><p>&quot;दूसरी ओर, 2009 और 2014 की तुलना की जाए तो शिवसेना को 44 से 63 सीटें ही हासिल हुईं. उसी समय, शिवसेना छोटा भाई बन गई थी.&quot;</p><p>अकोलकर का कहना है कि 2014 में, शिवसेना ने भी अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर लिया कि वो एक छोटा भाई है.</p><p>अकोलकर कहते हैं, &quot;शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी से अधिक सीटें हासिल कीं और 2014 में अपने दम पर चुनाव लड़ने के बाद प्रमुख विपक्षी पार्टी बन गई. और एकनाथ शिंदे विपक्षी नेता बन गए. लेकिन एक महीने बाद ही शिवसेना ने घुटने टेक दिए और गठबंधन सरकार में शामिल हो गई.&quot;</p><p>भरतकुमार राउत महाराष्ट्र टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक हैं और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक हैं. वह शिवसेना के राज्यसभा सांसद भी थे. </p><p>वे कहते हैं, &quot;2014 के चुनावों में, दोनों दलों ने अलग-अलग लड़ाई लड़ी और भाजपा को शिवसेना की लगभग दोगुनी सीटें मिलीं. इसी की वजह से बड़ा भाई छोटा भाई का समीकरण ही बदल गया.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49738686?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र चुनाव: कमज़ोर हो चुकी एनसीपी में कितना दम बाक़ी है?</a></p><figure> <img alt="उद्धव ठाकरे, देवेंद्र फड़नवीस" src="https://c.files.bbci.co.uk/156DE/production/_109047778_18a8f118-9813-46b2-a484-a7628bae5bb8.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>राउत कहते हैं, &quot;शिवसेना-भाजपा गठबंधन के सूत्र प्रमोद महाजन और बालासाहेब ठाकरे के शब्दों पर आधारित थे. कोई निश्चित फार्मूला नहीं था. दोनों एक साथ बैठकर चर्चा करेंगे और दोनों पक्ष सहमत हो गए.&quot; </p><p>प्रकाश अकोलकर कहते हैं, &quot;भाजपा केंद्र में सत्ता चाहती थी. वे महाराष्ट्र में सत्ता में दिलचस्पी नहीं रखते थे. जब प्रमोद महाजन ने 171-117 फॉर्मूले का इस्तेमाल किया, इसके पीछे उन्हें केंद्र में सत्ता लाने के लिए शिवसेना का समर्थन और महाराष्ट्र में पार्टी के विस्तार का उद्देश्य था.&quot;</p><p>भारत कुमार राउत कहते हैं. &quot;शिवसेना प्रतिष्ठा चाहती थी जबकि भाजपा केवल शहरी, मध्यम वर्ग की पार्टी थी. इसलिए भाजपा को अपनी पार्टी को आगे ले जाना था. इसलिए दोनों दल एक साथ आए. शिवसेना लोगों तक पहुंच गई थी और बालासाहेब ठाकरे के पास नेतृत्व का गुण था. भाजपा के पास ऐसा नेतृत्व नहीं था और ऐसी स्थिति 2009 तक बनी रही. इसके बाद सब बदल गया.&quot;</p><p>&quot;2009 में पहली बार भाजपा ने कम सीटों पर चुनाव लड़कर अधिक सांसद जीती. उसी वक़्त, बीजेपी हावी हो गई.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49565548?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कहीं एनसीपी में अकेले तो नहीं रह जाएंगे शरद पवार?</a></p><figure> <img alt="बाळासाहेब ठाकरे, लालकृष्ण अडवाणी, प्रमोद महाजन" src="https://c.files.bbci.co.uk/2246/production/_109047780_17a1cf44-2b1b-4a8a-857a-2e917a724212.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>शिवसेना कहां कमतर पड़ी?</h1><p>भारत कुमार राउत कहते हैं, &quot;शिवसेना एक संगठन के रूप में कमज़ोर नहीं हुई. शिवसेना एक संगठन के रूप में मजबूत थी. इसी दौरान भाजपा भी विस्तार कर रही थी. शिवसेना अपनी रणनीति में कमज़ोर पड़ गई. शिवसेना अपनी चुनावी सफलता बढ़ा नहीं पाई.&quot;</p><p>प्रकाश अकोलकर कहते हैं, &quot;शिवसेना का हाथ थामने से, प्रमोद महाजन ने महाराष्ट्र में भाजपा का विस्तार किया. जबकि शिवसेना भाजपा का हाथ पकड़कर ज्यादा विस्तार नहीं कर पाई.&quot;</p><p>वो कहते हैं, &quot;शिवसेना ने 1995 से 1999 को छोड़कर हमेशा विपक्ष की राजनीति की है. लेकिन शिवसेना ये रवैया बनाए नहीं रख पाई. इसी वजह से उसने विपक्ष की राजनीति करने का फैसला लिया. लेकिन जनता समझ नहीं पाई. इस चुनाव में शिवसेना की इस भूमिका का फैसला होगा.&quot;</p><p>वो आगे कहते हैं, &quot;शिवसेना ने अपमानजनक रूप से गठबंधन किया है. कहीं भी 50 प्रतिशत फार्मूला लागू नहीं हुआ. उसे 126 सीटों पर पूरा ध्यान लगाकर अधिक से अधिक सीटें जीतनी होंगी.&quot;</p><figure> <img alt="अटल बिहारी वाजपेयी और बाला साहब ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/16323/production/_109051909_vajpayeethackerayuddhavgettyimages-51459952.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>सेना-भाजपा गठबंधन का इतिहास</h1><p>1989 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन बनाने का फैसला किया. शिवसेना-भाजपा गठबंधन ने दोनों दलों को कांग्रेस और फिर महाराष्ट्र में गठित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को एक संयुक्त चुनौती देने लगे.</p><p>हालांकि 1984 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना और भाजपा गठबंधन के रूप में सामने आए, लेकिन महाराष्ट्र को फतह नहीं कर पाए. </p><p>1990 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए जिसमें शिवसेना और भाजपा में चुनावी गठबंधन हुआ.</p><p>इन चुनावों में, शिवसेना ने 183 सीटों और भाजपा ने 105 सीटों पर चुनाव लड़ा था.</p><p>महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों के बीच सीटों की साझेदारी का एक फॉर्मूला 1995 में भी वैसा ही रखा गया था. हालांकि बाद के चुनाव में गठबंधन के फ़ॉर्मूले बदलते दिखाई दिए और यहीं से शिवसेना के ‘छोटे भाई और बड़े भाई’ की कहानी सामने आती है.</p><p>1999 में, शिवसेना ने सहयोगी दलों को 171 में से 10 सीटें दी थीं. 2004 में, शिवसेना ने सहयोगियों को 8 और भाजपा को 6 सीटें दी थीं. 2009 में, शिवसेना ने अपने सहयोगियों को नौ सीटें दीं.</p><figure> <img alt="उद्धव ठाकरे, देवेंद्र फडणवीस, अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/BB02/production/_109047874_gettyimages-1125766030.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>2014 में पहली बार गठबंधन के इतिहास में भाजपा और शिवसेना ने अलग अलग रास्ता अपनाया और 25 वर्षों में पहली बार दोनों दल एक दूसरे के ख़िलाफ़ मैदान में उतरे.</p><p>भाजपा ने 260 सीटों पर और शिवसेना ने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा. </p><p>हालांकि, 2014 में बीजेपी ने 260 सीटों में से 122 सीटें जीतीं और शिवसेना ने 282 में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की.</p><p>अब 2019 में बीजेपी और शिवसेना फिर से गठबंधन में लड़ रहे हैं. बीजेपी 164 सीटों (सहयोगियों की 18 सीटों को छोड़कर) पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिवसेना 124 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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