वाशिंगटन/तेहरान : सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको पर हुए ड्रोन हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है. अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के आग्रह पर अमेरिका खाड़ी क्षेत्र में अपनी सेना को भेजेगा.
पेंटागन प्रमुख ने कहा कि जून में अमेरिकी स्पाई ड्रोन पर हमला, ब्रिटेन के तेल टैंकर को जब्त किया जाना और सऊदी की तेल कंपनी पर हमला ईरान की बढ़ी हुई आक्रमकता को दिखाता है. उन्होंने कहा कि ईरान की आक्रमकता को रोकने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी बलों की तैनाती की मंजूरी दे दी है, जो मूल तौर पर रक्षात्मक होगी. उसका ध्यान मुख्य रूप से हवाई और मिसाइल सुरक्षा पर होगा.
इस बीच, ईरान के रिव्ल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर ने चेतावानी दी कि जो भी देश ईरान पर हमला करेगा, वह अपने क्षेत्र को संघर्ष की मुख्य युद्धभूमि बनते देखेगा. गार्ड्स के कमांडर हुसैन सलामी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, जो भी अपने देश को मुख्य युद्धभूमि बनते हुए देखना चाहते हैं, वह आगे बढ़ सकते हैं. सलामी ने कहा, हम ईरान की भूमि पर किसी तरह का युद्ध नहीं होने देंगे. उधर, यमन के हुती विद्रोहियों ने सऊदी अरब पर अपने सभी हमले रोकने की घोषणा की है. दोनों देशों में जारी विनाशकारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए शुरू की गयी शांति पहल के तहत यह कदम उठाया गया है. हुती के शीर्ष राजनीतिक परिषद के प्रमुख मेहदी-अल-मश्त ने सऊदी अरब पर सारे हमले रोकने की घोषणा की है.