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प्रशांत किशोर के लिए अग्निपरीक्षा बनता पश्चिम बंगाल

<figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/8C42/production/_108660953_prashantkishor-2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><p>यूं तो उनका नाम चुनावी राजनीति में कामयाबी की गारंटी माना जाता है. </p><p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार-लालू यादव गठबंधन, कैप्टन अमरिंदर सिंह और जगन मोहन रेड्डी जैसे दलों और नेताओं की कामयाबी इस बात की गवाही देते हैं. […]

<figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/8C42/production/_108660953_prashantkishor-2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><p>यूं तो उनका नाम चुनावी राजनीति में कामयाबी की गारंटी माना जाता है. </p><p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार-लालू यादव गठबंधन, कैप्टन अमरिंदर सिंह और जगन मोहन रेड्डी जैसे दलों और नेताओं की कामयाबी इस बात की गवाही देते हैं. </p><p>लेकिन जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके की असली अग्निपरीक्षा तो बंगाल में ही होनी है. </p><p>प्रतिकूल परिस्थितियों में भी तमाम नेताओं और राजनीतिक दलों के खेवनहार बन कर उनको सहजता से चुनावी वैतरणी पार कराने वाले पीके का हाथ थाम कर क्या वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों में दीदी उर्फ़ ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस सत्ता में बनी रह सकेगी? </p><p>क्या पीके का ये ताज़ा असाइनमेंट उनके पेशेवर जीवन की सबसे कठिन चुनौती बनता जा रहा है? </p><p>पश्चिम बंगाल में ख़ास कर लोकसभा चुनावों के समय से टीएमसी को लगातार लगने वाले झटकों, बीजेपी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े संगठनों की लगातार बढ़ती सक्रियता और राज्य में लगातार बदलते राजनीतिक माहौल को ध्यान में रखते हुए अब ये सवाल उठ रहे हैं.</p><figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/DA62/production/_108660955_didikobolobanner-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><h1>पीके की रणनीति</h1><p>बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा दावा करते हैं कि टीएमसी को पीके तो क्या, दुनिया की कोई भी ताक़त अगले विधानसभा चुनावों में हार कर सत्ता से बाहर जाने से नहीं रोक सकती.</p><p>अगले विधानसभा चुनावों में जीत कर सत्ता पर क़ाबिज़ होने का सपना देख रही बीजेपी पीके की रणनीति की काट के लिए उन पर सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप के आरोप लगाती रही है. </p><p>इसके साथ ही पीके के कथित दख़ल से टीएमसी के कई नेता भी असंतुष्ट हैं. </p><p>ये सही है कि पीके की सलाह पर टीएमसी और ममता ने अपने रवैये और काम-काज में कई बदलाव किए हैं. लेकिन अभी उनके नतीजे सामने नहीं आए हैं. </p><p>अगले साल होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव इन बदलावों की कामयाबी को जांचने का पैमाना होंगे. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48804712?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पश्चिम बंगालः अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलग डाइनिंग हॉल पर विवाद</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48757350?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता बनर्जी के नेताओं ने लौटाना शुरू किया ‘कटमनी'</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48706893?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पश्चिम बंगाल में ख़ून ख़राबे के लिए कौन ज़िम्मेदार?</a></p><figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/12882/production/_108660957_cmmamta-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><h1>बीजेपी की लंबी छलांग</h1><p>हाल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने तमाम पूर्वानुमानों को धराशायी करते हुए टीएमसी से 12 सीटें छीन ली थीं. </p><p>वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में ममता की पार्टी को 34 सीटें मिली थीं. </p><p>लेकिन उनकी तादाद 2019 लोकसभा में घट कर 22 रह गई है जबकि पांच साल पहले महज़ दो सीटें जीतने वाली बीजेपी लंबी छलांग लगा कर 18 सीटों तक पहुंच गई. </p><p>उसके बाद आगामी विधानसभा चुनावों से पहले अपने पैरों तले खिसकती ज़मीन पर अंकुश लगाने के लिए टीएमसी ने प्रशांत किशोर की कंपनी इंडियन पॉलीटिकल ऐक्शन कमिटी (आई-पैक) की सेवाएं लेने का फ़ैसला किया था. </p><p>उसके बाद किशोर और उनके सैकड़ों लोगों की टीम ने पार्टी की भावी रणनीति को नया रूप देने के लिए ज़मीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है.</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48678840?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">डॉक्टरों की हड़ताल तुड़वाना ममता का ‘मास्टर स्ट्रोक’? </a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48687403?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अधीर रंजन चौधरीः पैदल सिपाही से कांग्रेस संसदीय दल के नेता तक</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48683106?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बीजेपी को ‘एक देश एक चुनाव’ से क्या फ़ायदा </a></p><figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/176A2/production/_108660959_cmmamta-6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><h1>’दीदी के बोलो’ अभियान</h1><p>पीके की सलाह पर ही एक ओर जहां ममता की छवि बदलने की क़वायद शुरू की गई है वहीं ‘दीदी के बोलो’ अभियान के तहत पार्टी के शीर्ष नेता सीधे दस हज़ार गांवो तक पहुंच कर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं. </p><p>पीके की सलाह पर ही ममता ने पार्टी के तमाम नेताओं को दुर्गापूजा समितियों से दूरी बरतने की सलाह दी है. </p><p>अमूमन कोलकाता में हर बड़ी आयोजन समिति से टीएमसी के किसी बड़े नेता या मंत्री का नाम अध्यक्ष या संरक्षण के तौर पर जुड़ा है.</p><p>क्या पीके बंगाल की धरती पर भी अपना करिश्मा दोहरा सकेंगे? </p><p>राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य कहते हैं, &quot;किशोर का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद शानदार रहा है. लेकिन बंगाल में उनके सामने पहाड़ जैसी चुनौती है.&quot; </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48668051?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता से मिलने के बाद ही माने डॉक्टर</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48654372?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कोलकाताः इलाज न मिलने से मरने वाले मरीज़ों की क्या ग़लती?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48650739?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">न ममता झुकने को तैयार न डॉक्टर, अब आगे क्या </a></p><figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/420A/production/_108660961_mamataatslum-2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><h1>भ्रष्टाचार का मुद्दा</h1><p>सुमन भट्टाचार्य कहते हैं कि सत्तारूढ़ टीएमसी के ख़िलाफ़ बीजेपी की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों की विविधता से निपटना एक कड़ी चुनौती है. उसने पहले भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था और अब कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने पर प्रचार कर रही है. </p><p>&quot;इसी तरह पार्टी कभी राजनीतिक हिंसा को मुद्दा बना रही है तो कभी नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) को. बीजेपी की रणनीति पर नज़दीकी निगाह रखते हुए पीके की टीम को अपनी रणनीति में भी लगातार फेरबदल करना होगा.&quot;</p><p>कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रिंसिपल और राजनीति विज्ञान के प्रोफ़ेसर रहे अमल मुखर्जी कहते हैं, &quot;दीदी के बोलो अभियान के ज़रिए हर जगह से टीएमसी नेताओं के भ्रष्टाचार के क़िस्से सामने आ रहे हैं. बीजेपी इसे मुद्दा बना रही है.&quot; </p><p>&quot;लेकिन ये इस लिहाज़ से बेहतर है कि लोगों के मन में लंबे अरसे से जमी भड़ास और नाराज़गी निकल रही है. आगे चल कर टीएमसी को इसका फ़ायदा मिल सकता है.&quot; </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48645481?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कोलकाताः डॉक्टरों की हड़ताल, राजनीति में उफ़ान, मरीज हलकान</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48645448?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता का फरमान, बंगाल में रहना है तो बांग्ला बोलना होगा</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48632376?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता की कड़ी चेतावनी पर भी नहीं लौटे हड़ताली डॉक्टर</a></p><figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/12120/production/_108661047_cmmamta-3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><h1>हावड़ा से लेकर बर्दवान तक </h1><p>अमल मुखर्जी कहते हैं कि प्रशांत किशोर एक पेशेवर हैं और उनका ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है. लेकिन जिसकी लाठी उसकी भैंस वाले बंगाल में उनकी यह रणनीति अब तक ज्यादा प्रभावी होती नहीं नज़र आती.</p><p>लेकिन आई-पैक से जुड़े एक कर्मचारी नाम नहीं बताने की शर्त पर कहते हैं, &quot;हमने पहले भी हर जगह बेहतर नतीजे दिए हैं. जगन मोहन रेड्डी का मामला इसकी ताज़ा मिसाल है. कंपनी के पांच सौ से ज्यादा कर्मचारी फ़िलहाल बंगाल के विभिन्न ज़िलों में घूम कर ज़मीनी मुद्दे तलाश रहे हैं ताकि बीजेपी की रणनीति की काट तैयार हो सके.&quot;</p><p>पीके की रणनीति के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब विभिन्न ज़िलों में प्रशासनिक बैठकों के बाद सीधे ग़रीबों के मोहल्ले या झोपड़पट्टी इलाक़ों के औचक दौरे पर निकल जाती हैं. </p><p>वहां लोगों की शिकायतों के आधार पर वह संबंधित मंत्रियो और अधिकारियों की मौक़े पर ही खबर लेने लगती हैं. हाल में हावड़ा से लेकर बर्दवान तक ममता ने ऐसा किया है. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48604238?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शरद पवार की एनसीपी का भविष्य क्या है?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48606983?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पश्चिम बंगाल में बीजेपी के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48591912?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नीति आयोग मना रहा, पर क्या मानेंगी ममता बनर्जी </a></p><figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/16F40/production/_108661049_cmmamta-7.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><h1>गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण</h1><p>रबींद्र भारती विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, &quot;टीएमसी दरअसल लोगों तक यह संदेश पहुंचाना चाहती है कि पहले इन समस्याओं के ममता तक नहीं पहुंचने की वजह से ही परेशानी हुई.&quot; </p><p>&quot;अब पीके की रणनीति के तहत छवि बदलने की क़वायद का मक़सद यह साबित करना है कि बंगाल में ममता का कोई विकल्प नहीं है.&quot;</p><p>पीके की सलाह पर ही टीएमसी अब राज्य में सबसे बड़े धार्मिक आयोजन दुर्गापूजा पर गहराते सियासी रंग को हटाने का प्रयास कर रही है. </p><p>ममता ने तमाम नेताओं को ऐसे आयोजनों में पार्टी की बजाय सरकार के कामकाज का प्रचार करने को कहा है. </p><p>पीके की रणनीति पर ममता ने कई सरकारी नीतियों में भी बदलाव किए हैं. </p><p>इनमें ग़रीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के अलावा पुलिस, प्राथमिक शिक्षकों और पंचायत कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन शामिल हैं. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48571450?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">प्रशांत किशोर बातें साफ़ करेंगे- नीतीश कुमार </a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48563290?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता बनर्जी धर्म की राजनीति भड़का रही हैं?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48529334?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ख़ुद को बिखरने से बचा पाएगी कांग्रेस </a></p><figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/84E0/production/_108661043_prashantkishor-3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><h1>जनता दल (यू) के नेता</h1><p>ममता ने तमाम नेताओं को व्हिप जारी कर पीके की सलाह और निर्देशों पर अमल करने को कहा है. </p><p>टीएमसी के कुछ नेता पीके की सलाह और निर्देशों से नाराज़ बताए जाते हैं. कुछ नेता मानते हैं कि किशोर को बीजेपी ने ही टीएमसी का सलाहकार बनवाया है. </p><p>पार्टी के एक वरिष्ठ नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर सवाल करते हैं, &quot;किशोर जनता दल (यू) के नेता हैं जो बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल है. ऐसे में हम उन पर एक शुभचिंतक के तौर पर भरोसा कैसे कर सकते हैं.&quot;</p><p>दूसरी ओर, बीजेपी ने पीके और उनकी टीम पर सरकारी कामकाज में हस्तक्षोप करने और सरकारी अधिकारियों को निर्देश देने का आरोप लगाया है. </p><p>प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, &quot;सर्वेक्षण के बहाने पीके की टीम के लोग तमाम सरकारी दफ्तरों में पहुंच कर अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं. ये ग़लत है.&quot; </p><figure> <img alt="प्रशांत किशोर, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, ममता बनर्जी" src="https://c.files.bbci.co.uk/D300/production/_108661045_cmmamta-4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>SANJAY DAS/BBC</footer> </figure><h1>मिशन बंगाल</h1><p>लेकिन राज्य सरकार ने इन आरोपों को खंडन किया है. </p><p>संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी कहते हैं, &quot;यह आरोप निराधार है. पीके की टीम की भूमिका टीएमसी को सलाह देने और भावी रणनीति बनाने तक ही सीमित है.&quot; </p><p>बीजेपी नेता घोष दावा करते हैं, &quot;टीएमसी एक डूबता हुआ जहाज़ है. अब पीके हों या कोई और, अगले विधानसभा चुनावों में उसे कोई भी हार से नहीं बचा सकता.&quot;</p><p>राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अपने ट्रैक रिकॉर्ड और रणनीति के बूते पीके की टीम वर्ष 2021 में भले टीएमसी को सत्ता से बाहर होने से बचा ले, लेकिन उनके जैसे पेशेवर के लिए भी यह काम आसान नहीं होगा. इसी वजह से मिशन बंगाल को पीके के करियर की सबसे कड़ी चुनौती कहा जा रहा है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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