<figure> <img alt="रॉबर्ट मुगावे" src="https://c.files.bbci.co.uk/7E80/production/_108648323_28cba001-45a3-4936-b0fe-d54c1413ebc9.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>ज़िम्बाब्वे के आज़ाद होने के बाद के पहले नेता रॉबर्ट मुगाबे का 95 वर्ष की आयु में शुक्रवार को निधन हो गया.</p><p>रॉबर्ट मुगाबे 1980 से ज़िम्बाब्वे की स्वतंत्रता के बाद से ही सत्ता में थे. 1980 में वे प्रधानमंत्री बने. इसके बाद 1987 में उन्होंने प्रधानमंत्री का पद समाप्त करके खुद को राष्ट्रपति घोषित किया.</p><p>उन्होंने करीब चार दशकों तक देश का नेतृत्व किया. भारत और जिम्बाब्वे के बीच के रिश्ते को बेहतर करने में मुगाबे का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है.</p><p>ज़िम्बाब्वे, भारत का नजदीकी मित्र रहा है. जब भी वह संकट में रहा, भारत ने उसकी मदद की. </p><p>जब कॉमनवेल्थ देशों के समूह के जिम्बाब्वे निकला तो भारत में उस वक़्त अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. भारत ने उस स्थिति में जिम्बाब्वे की हौसला-अफजाई किया था.</p><p>अटल बिहारी वाजपेयी ने उस वक़्त जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे से मुलाक़ात की थी.</p><p>गुटनिरपेक्ष आंदोलन का सबसे बड़ा पैरोकार जिम्बाब्वे था और जब अफ्रीका के हरारे में गुटनिरपेक्ष आंदोलन पर सम्मेलन हुआ था तब जिम्बाब्वे ने भारत की भूमिका को बहुत सराहा था.</p><figure> <img alt="रॉबर्ट मुगाबे" src="https://c.files.bbci.co.uk/099F/production/_108636420_ff44d16a-096a-473d-b647-e88eeed8e658.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p><strong>चीनी क्रांति से</strong><strong> थे</strong><strong> प्रभावित</strong></p><p>जिस सेना ने दो साल पहले मुगाबे का तख़्ता पलट किया था उनके मुखिया हैंइमर्सन मनांगाग्वा इस समय राष्ट्रपति पद पर हैं.</p><p>उन्होंने मुगाबे को अफ़्रीका के एक ऐसे नेता के तौर पर याद किया, जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी अपने लोगों की बेहतरी के लिए लगा दिया था.</p><p>अफ़्रीका में मुक्ति संग्राम में मुग़ाबे की भूमिका भी अहम रही थी.</p><p>उस वक़्त बहुत देश सोवियत क्रांति से प्रभावित थे तो मुगाबे चीनी क्रांति से प्रभावित हुए थे और उन्हें इसके प्रशंसक के रूप में देखा जाता रहा.</p><p>वो एक ऐसे नेता थे जो कभी समझौता नहीं करते थे. उन्होंने कभी पश्चिमी देशों से कभी को कोई समझौता करना उचित नहीं समझा.</p><p>जब उन्होंने भूमिसुधार आंदोलन की शुरुआत की थी तो पूरा यूरोप उनके ख़िलाफ़ खड़ा हो गया था और कॉमनवेल्थ देशों के समूह से उन्हें निकाल दिया गया.</p><p>उस समय भी वो चट्टान की तरह अड़े रहे. अफ्रीका के बाकी देश कॉमनवेल्थ समूह का हिस्सा थे, लेकिन जब भी मुगाबे की बात आती थी तो सभी देश उनके पीछे खड़े हो जाते थे.</p><p>इस तरह वो अफ्रीका की राजनीति के भी एक हीरो थे.</p><h1>आर्थिक संकट</h1><p>मुगाबे का व्यक्तित्व काफ़ी विरोधाभासी रहा. एक तरफ़ उन्होंने काले लोगों के लिए काफ़ी काम किया तो दूसरी तरफ़ अंग्रेज़ ज़मींदारों की ज़मीनें ज़ब्त कीं.</p><p>अक्सर कहा जाता है कि भ्रष्टाचार और उनकी नीतियों के कारण देश भयंकर आर्थिक संकट में फंस गया था.</p><p>लेकिन मेरी समझ में उनके कार्यकाल का विश्लेषण इस तरह से नहीं किया जाना चाहिए. जब वो भूमिसुधार की दिशा में आगे बढ़े तो ब्रिटेन के साथ काफी मतभेद हुए.</p><p>एक ग़लती यह हुई कि अंग्रेज ज़मींदारों से लेकर उन्होंने इसे ख़ास लोगों में बांट दिया. आम अफ्रीकियों के बीच में इसका वितरण नहीं किया गया.</p><p>इसकी बहुत आलोचना हुई. प्रतिरोध भी हुए. भूमिसुधार की वजह से ब्रिटेन और पूरा यूरोप जिम्बाब्वे का बायकॉट करना शुरू कर दिया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई.</p><p>जिम्बाब्वे एक समय स्वावलंबी था, लेकिन एक वक़्त ऐसा भी आया कि देश के भीतर उत्पादन काफी घट गया और स्थिति ख़राब होती चली गई.</p><p>देश संकट में आ गया, जिसके बाद उनका प्रतिरोध शुरू हो गया और अंततः मुगाबे को अपना पद गंवाना पड़ा.</p><figure> <img alt="मुगाबे" src="https://c.files.bbci.co.uk/F3FF/production/_108636426_fd75db17-348f-4e97-8f50-979582d35acc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>साक्षरता</h1><p>मुगाबे के राज में ज़िम्बाब्वे में शिक्षा का ख़ूब प्रसार हुआ. इस वक्त देश की 89 फीसद आबादी साक्षर है जो कि किसी भी अफ़्रीकी देश से अधिक है.</p><p>एक कमेंटेटर ने कहा था कि शिक्षा का प्रसार कर मुगाबे ख़ुद अपनी कब्र खोद रहे हैं.</p><p>मुगाबे अक्सर ये कहते थे कि वो देश के गरीबों के हक़ के लिए लड़ रहे हैं. लेकिन उन्होंने जो बड़े ज़मींदारों से ज़मीनें ज़ब्त की वो उनके करीबियों हाथ लगीं.</p><p>आर्चबिशप डेसमंड टूटू ने एक बार कहा था कि ज़िम्बाब्वे के राष्ट्रपति एक कार्टून बनकर रह गए हैं.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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भारत-ज़िम्बाब्वे के रिश्ते की मजबूत कड़ी थे मुगाबे
<figure> <img alt="रॉबर्ट मुगावे" src="https://c.files.bbci.co.uk/7E80/production/_108648323_28cba001-45a3-4936-b0fe-d54c1413ebc9.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>ज़िम्बाब्वे के आज़ाद होने के बाद के पहले नेता रॉबर्ट मुगाबे का 95 वर्ष की आयु में शुक्रवार को निधन हो गया.</p><p>रॉबर्ट मुगाबे 1980 से ज़िम्बाब्वे की स्वतंत्रता के बाद से ही सत्ता में थे. 1980 में वे प्रधानमंत्री बने. इसके बाद 1987 में उन्होंने […]
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