<figure> <img alt="मुस्लिम महिलाएं, मुस्लिम पर्सनल लॉ" src="https://c.files.bbci.co.uk/1087C/production/_108580776_womengetty4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) संगठन ने क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर मुस्लिम महिलाओं को सामान अधिकार देने की मांग की है.</p><p>उन्होंने क़ानून मंत्री से मुस्लिम फैमिली लॉ लाने की मांग की है.</p><p>संगठन का कहना है कि हिंदू और क्रिश्चन विवाह क़ानून की तरह इसे भी एक क़ानूनी रूप दिया जाए ताकि सभी के लिए स्पष्टता रहे.</p><p>बीएमएमए ने पत्र के साथ मुस्लिम फैमिली क़ानून का एक ड्राफ्ट भी भेजा है जिसमें विवाह, तलाक़, गुज़ाराभत्ता और उत्तराधिकार के अधिकारों का एक खाका दिया गया है.</p><p>उनकी मांग है कि नया क़ानून बनाया जाए या मौजूदा क़ानून में बदलाव हो.</p><p>इस नए ड्राफ्ट की ज़रूरत क्यों पड़ी इसे लेकर बीएमएमए की सह-संस्थापक ज़ाकिया सोमन कहती हैं, "लंबे अरसे से हमारी मांग रही है कि देश में मुस्लिम फैमिली लॉ होना चाहिए. जैसे हिंदू विवाह क़ानून, उत्तराधिकार क़ानून और क्रिश्चन विवाह क़ानून है. मुस्लिमों के लिए सिर्फ़ 1937 का शरिया क़ानून है जो अंग्रेजों के समय का है."</p><p>"उस क़ानून में संसद ने आज तक कभी सुधार नहीं किया. उसमें विवाह, तलाक़ और उत्तराधिकार को लेकर दिए गए क़ानूनों में असमानता है और उनका एक स्पष्ट क़ानूनी रूप नहीं है. ज़मीनी स्तर पर लोग अपनी-अपनी मान्यताओं और सहूलियत के अनुसार उनके मतलब निकाल लेते हैं. इससे महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता."</p><p>ज़ाकिया सोमन कहती हैं कि सरकार तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ तो क़ानून लाई है लेकिन अब भी बहु विवाह, हलाला और बच्चों की ज़िम्मेदारी जैसे बहुत से ऐसे मसले हैं जिन पर क़ानून बनाने की ज़रूरत है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39875738?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">फूलवती ने कैसे खोला ‘तीन तलाक़’ का पिटारा?</a></li> </ul><figure> <img alt="क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद" src="https://c.files.bbci.co.uk/39D8/production/_108580841_ravishankargetty13.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>संगठन का कहना है कि उसने मुस्लिम महिलाओं के एक सर्वे के आधार पर इन बदलावों की मांग की है. इस सर्वे में मौजूदा शरीयत क़ानून में बदलाव को लेकर महिलाओं से सवाल पूछे गए थे.</p><p>मुस्लिम पर्सनल लॉ की जगह यूनिफॉर्म कोड बिल की मांग भी की जाती रही है जिसके अनुसार सभी धर्मों के लिए एक जैसा ही क़ानून रहे. हालांकि, मुस्लिम फैमली लॉ का ड्राफ्ट यूनिफॉर्म कोड बिल की बात नहीं करता.</p><p>फिलहाल सरकार की ओर से संगठन के पास कोई जवाब नहीं आया है. लेकिन, संगठन इस मुद्दे को आगे ले जाना चाहता है. ऐसे में जानते हैं कि मुस्लिम फैमिली लॉ का ड्राफ्ट क्या कहता है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47099956?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ट्रिपल तलाक़ क़ानून: सुधार की दिशा में ये पहला क़दम</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-39946982?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">तीन तलाक़- जो बातें आपको शायद पता न हों</a></li> </ul><figure> <img alt="मुस्लिम महिलाएं, मुस्लिम पर्सनल लॉ" src="https://c.files.bbci.co.uk/4914/production/_108580781_women6getty.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>ड्राफ्ट की मुख्य बातें</h3><p>इसमें पारिवारिक क़ानून से जुड़े विषयों पर अलग से बात की गई है.</p><h3>विवाह</h3> <ul> <li>दोनों पक्षों की स्पष्ट सहमति हो. </li> <li>लड़के के लिए शादी की उम्र 21 साल और लड़की के लिए 18 साल हो.</li> <li>एक शादी के रहते हुए दूसरी शादी की इजाज़त नहीं.</li> <li>मेहर की रकम होने वाले पति की वार्षिक कमाई से कम न हो. ये नकद/सोने/ या अन्य सामान के तौर पर हो सकती है.</li> <li>माता-पिता और रिश्तेदारों के हस्तक्षेप के बिना पत्नी की अपनी संपत्ति भी हो.</li> <li>मेहर की रक़म लौटाने के लिए किसी तरह का दबाव न बनाया जाए.</li> <li>होने वाला पति और उसका परिवार दहेज नहीं मांग सकता.</li> <li>लड़की को पति के पिछले तलाक़ या विदुर होने के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी हो.</li> <li>संबंधित विवाह पंजीकरण क़ानून के तहत स्थानीय राज्य निकाय जैसे कि पंचायत, खंड कार्यालय, ज़िला कार्यालय, वॉर्ड ऑफ़िस या मैरिज रजिस्ट्रार में शादी का पंजीकरण कराया जाए.</li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment-49221855?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">80 साल पहले एक मोदी ने समझा था तलाक़ का दर्द!</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49174264?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">तीन तलाक़ बिल को बीजेपी ने बिना बहुमत कैसे पास कराया </a></li> </ul><figure> <img alt="मुस्लिम महिलाएं, मुस्लिम पर्सनल लॉ" src="https://c.files.bbci.co.uk/9734/production/_108580783_womengetty1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>तलाक़</h3> <ul> <li>तलाक़-ए-एहसान के तरीक़े से ही खुला/फसक और तलाक़ हो.</li> <li>तलाक़-ए-एहसान में पति बोलकर तलाक़ दे सकता है लेकिन अलग होने के लिए तीन महीने का इंतज़ार करना होता है.</li> <li>पत्नी को भी तलाक़ देने का अधिकार हो. खुला की मांग के लिए पति की सहमति ज़रूरी न हो.</li> <li>अगर पत्नी को शारीरिक/भावनात्मक नुकसान का डर हो तो वह इद्दत (तीन महीने का समय) के दौरान अलग रहे सके. </li> <li>खुला के दौरान पत्नी का कोई अधिकार ख़त्म न हो.</li> <li>शादी अदालत में या अदालत के बाहर ख़त्म की जा सके.</li> </ul><h3>पुनर्विवाह</h3> <ul> <li>महिला को ज़बरदस्ती, धमकी देकर या अन्य तरीके से हलाला के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.</li> <li>हलाला के लिए मजबूर करने वाले और गवाह बनने वालों के लिए तीन महीने जेल की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान हो.</li> </ul><h3>उत्तराधिकार</h3> <ul> <li>उत्तराधिकर सिर्फ़ मेहर, दहेज, तोहफों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए.</li> <li>संपत्ति में बेटे और बेटी को समान अधिकार के लिए बेटी को एक गिफ्ट-डीड दी जाए.</li> </ul><figure> <img alt="मुस्लिम महिलाएं, मुस्लिम पर्सनल लॉ" src="https://c.files.bbci.co.uk/D230/production/_108580835_gettyimages-15.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>बच्चों की कस्टडी</h3> <ul> <li>तलाक़ की स्थिति में बच्चे की कस्टडी मां के पास रहे जब तक कि बच्चा 10 साल का न हो जाए. जब वो अपने लिए ख़ुद फ़ैसला लेने सक्षम हो.</li> <li>किसी भी स्थिति में बच्चे के मेनटेनेंस की ज़िम्मेदारी पति की हो.</li> </ul><p>गुजारा भत्ता मुस्लिम महिला तलाक़ अधिकार संरक्षण अधिनियम 1986 के आधार पर हो और मध्यस्थता के दौरान पत्नी और बच्चे की ज़िम्मेदारी पति की हो.</p><p>इसके अलावा ड्राफ्ट में शादी में अलग होने की स्थितियों, काज़ी और गवाह की ज़िम्मेदारियों और अवैध शादी पर भी बात की गई है.</p><figure> <img alt="मुस्लिम महिलाएं, मुस्लिम पर्सनल लॉ" src="https://c.files.bbci.co.uk/1569C/production/_108580778_womengetty2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>मौजूदा क़ानून में क्या</h3><p>वर्तमान में शादी, तलाक़, मेहर और उत्तराधिकार के अधिकार मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लिकेशन एक्ट, 1937 के तहत आते हैं.</p><p>मौजूदा क़ानून में बहु विवाह और हलाला की इजाज़त है. साथ ही तलाक़ लेने के अलग-अलग तरीके बताए गए हैं. इसमें महिलाओं के पास भी तलाक़ का अधिकार है लेकिन वो तलाक़ मांग सकती हैं, दे नहीं सकतीं. जबकि पति बिना पत्नी की सहमति के भी तलाक़ दे सकता है.</p><p>इसमें महिलाओं के लिए समानता न होने के आरोप लगते रहे हैं.</p><p>साथ ही इन पर स्पष्ट क़ानून न होने से भी अलग-अलग व्याख्या किए जाने का ख़तरा रहता है.</p><p>एडवोकेट महमूद प्राचा कहते हैं कि बहुत सारे मुस्लिम स्कूल ऑफ़ थॉट्स हैं, उनके कुछ मामलों में अलग-अलग विचार हैं. उन विचारों को भी इसमें शामिल करना चाहिए जो नहीं किया गया है. मौजूदा क़ानून भी महिलाओं को बहुत से अधिकार देता है लेकिन इनका अलग-अलग अर्थ निकाले जाने की आशंका बनी रहती है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
तीन तलाक़ के बाद अब मुस्लिम फैमिली लॉ की मांग
<figure> <img alt="मुस्लिम महिलाएं, मुस्लिम पर्सनल लॉ" src="https://c.files.bbci.co.uk/1087C/production/_108580776_womengetty4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) संगठन ने क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर मुस्लिम महिलाओं को सामान अधिकार देने की मांग की है.</p><p>उन्होंने क़ानून मंत्री से मुस्लिम फैमिली लॉ लाने की मांग की है.</p><p>संगठन का कहना है कि हिंदू और क्रिश्चन […]
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