14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कुलभूष जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस की टाइमिंग का कश्मीर कनेक्शन: नज़रिया

<figure> <img alt="कुलभूषण जाधव" src="https://c.files.bbci.co.uk/CE3E/production/_108589725_5520c846-221c-47f6-a34e-4036b85a7fe6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>पाकिस्तान ने अपने यहां बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर ऐक्सेस दिया है. भारतीय राजनयिक गौरव अहलूवालिया ने सोमवार को इस्लामाबाद में जाधव से मुलाक़ात की.</p><p>कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में एक सैन्य अदालत ने भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए जासूसी और आतंकवाद […]

<figure> <img alt="कुलभूषण जाधव" src="https://c.files.bbci.co.uk/CE3E/production/_108589725_5520c846-221c-47f6-a34e-4036b85a7fe6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>पाकिस्तान ने अपने यहां बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर ऐक्सेस दिया है. भारतीय राजनयिक गौरव अहलूवालिया ने सोमवार को इस्लामाबाद में जाधव से मुलाक़ात की.</p><p>कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में एक सैन्य अदालत ने भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए जासूसी और आतंकवाद का दोषी बताते हुए मौत की सज़ा सुनाई थी जिसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख़ किया था.</p><p>नीदरलैंड्स के हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जाधव की फांसी पर रोक लगाते हुए पाकिस्तान से इस पर फिर से विचार करने को कहा था. बाद में आईसीजे ने पाकिस्तान से जाधव को क़ानूनी सहायता देने के लिए भी कहा था.</p><p>पाकिस्तान ने तीन साल से अपने यहां बंद कुलभूषण को अब जाकर कॉन्सुलर ऐक्सेस दिया. मगर पाकिस्तान का यह क़दम इतना साधारण नहीं है. इस मामले में जो बात ध्यान देने लायक है, वह है पाकिस्तान के विदेश मंत्री का हाल ही में दिया बयान.</p><figure> <img alt="शाह महमूद क़ुरैशी" src="https://c.files.bbci.co.uk/11C5E/production/_108589727_937aadd4-5dad-4350-bb5a-dec39a0b729c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी</figcaption> </figure><h1>कश्मीर कनेक्शन</h1><p>पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा है कि वह कश्मीर मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (आईसीजी) में ले जाएंगे. लगता है कि जाधव को कॉन्सुलर ऐक्सेस देने का कहीं न कहीं इस बात से कनेक्शन है. </p><p>अगर पाकिस्तान जाधव को कॉन्सुलर ऐक्सेस दिए बग़ैर आईसीजे के पास जाता तो कोर्ट पूछता- आप क्यों हमारे पास आए हैं जब आप हमारी बात मानते ही नहीं, हमने आपको कॉन्सुलर ऐक्सेस देने को कहा था, वह तो आपने दिया नहीं.</p><p>तो हो सकता है कि इसी कारण पाकिस्तान कॉन्सुलर ऐक्सेस दिया है. कारण क्या रहे, यह कुछ समय में साफ़ हो जाएगा मगर इतना है कि अब वे आईसीजे में जाकर रह सकते हैं कि हमने आपकी बात मान ली है, अब आप कश्मीर पर हमारी शिकायत सुनिए. </p><p>अब आईसीजे उनकी शिकायत को मानेगा या नहीं देखना होगा. मगर पाकिस्तान का पक्ष कमज़ोर है कि क्योंकि अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मामला है. मगर वे हर मामले की तरह इस बार भी वहां शोर मचाएंगे.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49556903?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कुलभूषण जाधव बेहद दबाव में हैं: भारत</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49029705?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कुलभूषण की सुनवाई अब पाकिस्तान के किस कोर्ट में होगी?</a></li> </ul><h1>पाकिस्तान का अपना नुक़सान</h1><p>देशों के बीच सामान्य परंपरा है कि आपस में कितना भी मनमुटाव हो, अगर एक-दूसरे का नागरिक अपने यहां किसी भी कारण बंद हो, सभ्य देश उसे कॉन्सुलर ऐक्सेस देते हैं.</p><p>अंतरराष्ट्रीय वियना संधि कहती है कि आपको तीन दिन या एक सप्ताह के अंदर कॉन्सुलर ऐक्सेस दे देना चाहिए. ऐसे में कुलभूषण जाधव के मामले में भी पाकिस्तान को लंबा-चौड़ा क़िस्सा बनाने की ज़रूरत नहीं थी.</p><p>पाकिस्तान को सोचना चाहिए कि इस मामले में उसे क्या फ़ायदा हुआ. पाकिस्तान के लोग देखेंगे तो पाएंगे कि कितने लाख डॉलर उन्हें इस केस में खर्च करने पड़े. </p><p>भारत की ओर से वकील ने तो फ़ीस के तौर पर मात्र एक रुपया लिया था मगर पाकिस्तान ने लंदन से वकील हायर किए थे. सुनने में आता है कि उन्होंने कई लाख डॉलर बतौर फ़ीस लिए हैं. बावजूद इसके पाकिस्तान को इस मामले में हार माननी पड़ी.</p><figure> <img alt="कुलभूषण जाधव" src="https://c.files.bbci.co.uk/9A40/production/_108588493_0d4f201a-2471-46a5-b2cb-b687737ceaa3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>इससे पहले इसी तरह सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान आए दिन भारत को कोर्ट में ले जाता था मगर उसे सफलता नहीं मिली. इस तरह के लीगल केसों को हारने की पाकिस्तान को आदत सी हो गई है.</p><p>पाकिस्तान को लगा था कि भारत शायद कुलभूषण जाधव के मामले में नरमी बरतेगा. वह अड़ा रहा और उसने परिस्थितियों को भांपने में ग़लती की. भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले गया.</p><p>अब आगे पाकिस्तान जो मर्ज़ी करे मगर अब तक उसने कुलभूषण जाधव के मामले जो किया है, वह दुनिया के सामने पहला उदाहरण है जिसमें कोर्ट ने किसी देश को कहा कि आपने सरासर ग़लती की है.</p><p>इसी कारण पाकिस्तान को मजबूर होकर कॉन्सुलर ऐक्सेस देना पड़ा. इसमें कुछ असामान्य नहीं है. जो असामान्य है, वह यही है कि पाकिस्तान को अदालत में हार का सामना करना पड़ा.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49019507?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कुलभूषण जाधव की फांसी पर फिर से विचार करे पाकिस्तान: ICJ</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-49259922?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सुषमा मौत से पहले साल्वे से बोलीं- कल आकर फ़ीस के ₹1 ले जाना</a></li> </ul><h1>अब कहां जा रहा है मामला</h1><p>जहां तक क़ानूनी मुक़दमे का बात है, आईसीजे ने साफ़तौर पर आदेश दिया था कि इसे पारदर्शिता से आगे बढ़ाना चाहिए. इसका मतलब है कि कुलभूषण जाधव पर नागरिक अदालत में मुक़दमा चलना चाहिए जहां उन्हें वकील के माध्यम से अपना पक्ष रखने का मौक़ा मिले.</p><p>मगर लगता नहीं कि पाकिस्तान ऐसा करेगा क्योंकि उसने आईसीजे का आदेश आने के बाद भी कॉन्सुलर ऐक्सेस देने में लंबा समय लगा दिया. अब केस शुरू होने में कितने महीने या कितने साल लगेंगे, यह पाकिस्तान और उसके रहनुमा ही बता सकते हैं. मगर जितनी भी देर होगी, उससे पाकिस्तान की ही छवि ख़राब होगी. </p><p>अब भारत के पास इस मामले में यही विकल्प है कि अपनी ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी करता रहे. इसके अलावा कोई चारा है भी नहीं. </p><figure> <img alt="कुलभूषण जाधव का पोस्टर" src="https://c.files.bbci.co.uk/35E6/production/_108589731_6a275d25-e071-4765-adc1-60193fd29aed.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भारत फिर से आईसीजे के पास जा सकता है कि आपके आदेश के बावजूद केस आगे नहीं बढ़ रहा. मगर आईसीजे भी कुछ ख़ास नहीं कर पाएगा. </p><p>दरअसल आईसीजे के फ़ैसले और आदेश क़ानूनी तौर पर मान्य होते हैं मगर बाध्यकारी नहीं होते. उसके पास ऐसी शक्तियां नहीं कि किसी देश को मजबूर करे कि हमारे निर्देशों पालन करे.</p><p>अब देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का प्रेशर और आईसीजे की ओर से पड़ने वाला नैतिक दबाव इस केस को आगे कैसे बढ़ाता है. </p><p><strong>(बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर से बातचीत पर आधारित)</strong></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें