<p>लड़की के अपहरण और धमकाने के मामले में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद संत समाज से लेकर राजनीतिक क्षेत्र तक में मज़बूत पकड़ रही है. </p><p>तीन बार सांसद और केंद्र में गृह राज्य मंत्री रहने के अलावा वो ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन और राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं.</p><p>स्वामी चिन्मयानंद फ़िलहाल हरिद्वार में हैं और ख़ुद पर लगे आरोपों पर उन्होंने अब तक कुछ नहीं कहा है. </p><p>पत्रकारों से बातचीत में सिर्फ़ इतना कहा है कि सारे आरोपों के जवाब वो शाहजहांपुर पहुंच कर ही देंगे. </p><p>वहीं, शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक एस चिनप्पा ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि अभी तक इस मामले में स्वामी चिन्मयानंद से कोई पूछताछ नहीं की गई है क्योंकि पुलिस के पास अभी सबसे अहम काम आरोप लगाने वाली लड़की का पता लगाना है.</p><p>स्वामी चिन्मयानंद पर शाहजहांपुर के एक लॉ कॉलेज की छात्रा ने शोषण और धमकी देने का आरोप लगाया है. </p><p>लड़की के पिता की शिकायत पर चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है. </p><p>पुलिस अधीक्षक का दावा है कि लड़की की लोकेशन पता चल गई है और जल्द ही उसे सुरक्षित तरीक़े से अपहरणकर्ताओं के चंगुल से रिहा करा लिया जाएगा. </p><p>उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के रहने वाले कृष्णपाल सिंह यानी स्वामी चिन्मयानंद ने लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की है. </p><p><a href="https://twitter.com/ANINewsUP/status/1166271176785551360">https://twitter.com/ANINewsUP/status/1166271176785551360</a></p><h1> मुमुक्षु शिक्षा संकुल ट्रस्ट</h1><p>स्वामी चिन्मयानंद अविवाहित हैं और कई धार्मिक किताबें भी लिख चुके हैं. </p><p>अस्सी के दशक में वो शाहजहांपुर आ गए और स्वामी धर्मानंद के शिष्य बन कर उन्हीं के आश्रम में रहने लगे. </p><p>शाहजहांपुर के स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक़, इस मुमुक्षु आश्रम की स्थापना धर्मानंद के गुरु स्वामी शुकदेवानंद ने की थी.</p><hr /><p><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49493548?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण का क्या है मामला</a></li> <li><a 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ज़िम्मेदारी चिदानंद मुनि के हाथों में है जबकि हरिद्वार वाले आश्रम का ज़िम्मा चिन्मयानंद के पास है.</p><h1>राजनीति में प्रवेश</h1><p>अस्सी के दशक के अंतिम हिस्से में देश में राम मंदिर आंदोलन ज़ोर पकड़ रहा था. </p><p>विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े तमाम साधु-संत पहले इस आंदोलन से जुड़े और फिर भारतीय जनता पार्टी के ज़रिए राजनीति से. </p><p>स्वामी चिन्मयानंद भी उन्हीं संतों में से एक थे जिन्होंने वैराग्य के साथ राजनीतिक को भी साथ लेकर चलने का फ़ैसला किया.</p><p>राम मंदिर आंदोलन को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह बताते हैं, "मंदिर आंदोलन के समय चिन्मयानंद ने महंत अवैद्यनाथ के साथ मिलकर राम मंदिर मुक्ति यज्ञ समिति बनाई थी और इसी के ज़रिए इन लोगों ने मंदिर आंदोलन में अपने पैर जमाए. बाद में रामविलास वेदांती और रामचंद्र परमहंस को भी जोड़ लिया गया. इसके अलावा अपने मुमुक्षु आश्रम के ज़रिए स्वामी चिन्मयानंद ने बड़ी संख्या में संतों को राम मंदिर आंदोलन से जोड़ा."</p><p>अरविंद कुमार सिंह बताते हैं कि महंत अवैद्यनाथ के बेहद क़रीबी होने के कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी उनके बहुत अच्छे संबंध हैं. </p><p>मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ मुमुक्षु युवा महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए शाहजहांपुर के मुमुक्षु आश्रम भी गए थे, जबकि उस वक़्त स्वामी चिन्मयानंद मुमुक्षु आश्रम की ही एक पूर्व साध्वी के यौन शोषण के केस का सामना कर रहे थे. </p><p>इस महोत्सव के दौरान ही एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें शाहजहांपुर के कुछ प्रशासनिक अधिकारी स्वामी चिन्मयानंद की आरती उतार रहे थे.</p><p>राम मंदिर आंदोलन के दौरान बीजेपी ने कई साधु-संतों को सक्रिय राजनीति में उतारा और लोकसभा चुनाव में टिकट भी दिए. </p><p>1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उस बदायूं की सीट से स्वामी चिन्मयानंद को टिकट दिया जहां से उनका न तो कोई नाता था और न ही सामाजिक समीकरण उनके माफ़िक़ थे. </p><p>बावजूद इसके उन्होंने जनता दल के शरद यादव को हराकर बीजेपी को जीत दिलाई.</p><p>1996 में उन्होंने शाहजहांपुर से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. </p><p>1998 में पूर्वी यूपी की मछलीशहर सीट से बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया और 1999 में पड़ोस की जौनपुर सीट से. </p><p>इन दोनों चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की और फिर 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में गृह राज्य मंत्री बने. </p><p>बीजेपी के एक बड़े नेता नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि साल 2014 में भी उन्होंने जौनपुर से चुनाव लड़ने के लिए काफ़ी प्रयास किया लेकिन टिकट पाने में असफल रहे. </p><p>बीजेपी के इन नेता के मुताबिक़, स्वामी चिन्मयानंद पार्टी से बग़ावत करके भी चुनाव लड़ने को तैयार थे लेकिन वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप के बाद इरादा बदल दिया.</p><p>जानकारों के मुताबिक़, सेक्स स्कैंडल जैसे विवादों की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिला, अन्यथा पार्टी में उनकी इतनी मज़बूत पकड़ थी कि टिकट न मिलने का सवाल ही नहीं था. </p><p>अरविंद कुमार सिंह के मुताबिक़, "केंद्रीय मंत्री रहते हुए वो लालकृष्ण आडवाणी के बेहद क़रीब आ गए थे लेकिन राजनाथ सिंह के विरोधी के तौर पर उनकी पहचान बनी. मगर योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के दूसरे ठाकुर नेताओं से उनके बहुत ही क़रीबी रिश्ते हैं. महंत अवैद्यनाथ पर जब डाक टिकट जारी हो रहा था, उस कार्यक्रम में स्वामी चिन्मयानंद सबसे आगे की पंक्ति में रहने वालों में से थे."</p><figure> <img alt="यौव शोषण" src="https://c.files.bbci.co.uk/BE5E/production/_108543784_9ccce9c6-3be3-4075-a1fb-988c9fbbf195.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>आठ साल पहले लगा था यौन शोषण का आरोप</h1><p>जानकारों के मुताबिक़, स्वामी चिन्मयानंद बीजेपी में किसी पद पर भले ही न हों लेकिन पार्टी में उनके प्रभाव में कोई कमी नहीं है. </p><p>बीजेपी के कुछ नेताओं की मानें तो उन्नाव से साक्षी महराज को दोबारा टिकट दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका थी. </p><p>हां, पार्टी में उनका सक्रिय प्रभाव तब कम हो गया जब आठ साल पहले उन पर यौन शोषण के आरोप लगे और मुक़दमा दर्ज हुआ.</p><p>आरोप लगाने वाली महिला शाहजहांपुर में स्वामी चिन्मयानंद के ही आश्रम में रहती थी. </p><p>हालांकि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद, सरकार ने उनके ख़िलाफ़ लगे इस मुक़दमे को वापस ले लिया था लेकिन पीड़ित पक्ष ने सरकार के इस फ़ैसले को अदालत में चुनौती दी थी. फ़िलहाल हाईकोर्ट से स्वामी चिन्मयानंद को इस मामले में स्टे मिला हुआ है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a 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संत समाज से लेकर राजनीति तक में मज़बूत रही है स्वामी चिन्मयानंद की पकड़
<p>लड़की के अपहरण और धमकाने के मामले में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद संत समाज से लेकर राजनीतिक क्षेत्र तक में मज़बूत पकड़ रही है. </p><p>तीन बार सांसद और केंद्र में गृह राज्य मंत्री रहने के अलावा वो ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन और राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं.</p><p>स्वामी चिन्मयानंद फ़िलहाल हरिद्वार […]
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