<p>चंद्रयान-2 अब धरती की कक्षा से बाहर निकल चुका है. </p><p>इसरो का कहना है कि 20 अगस्त तक चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंच जाएगा और फिलहाल ये धरती की कक्षा से निकलकर चांद तक पहुंचने की प्रक्रिया में है.</p><p>ऐसे में आप सोच सकते हैं कि आख़िर ये प्रक्रिया होती क्या है? </p><p>दरअसल 22 जुलाई से 14 अगस्त तक चंद्रयान-2 को धरती की कक्षा में रखा गया था. </p><p>चंद्रयान धरती के कई चक्करों को लगाते हुए धीरे-धीरे चांद की तरफ़ बढ़ने लगता है. इसी के तहत चंद्रयान-2 की धरती से दूरी बढ़ती जाती है और वो चांद के क़रीब जाता रहता है. </p><figure> <img alt="चंद्रयान-2" src="https://c.files.bbci.co.uk/11166/production/_108309996_pic-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>धरती का पहला चक्कर लगाता चंद्रयान-2</figcaption> </figure><figure> <img alt="पांच चक्करों को पूरा करने के बाद जब चंद्रयान-2 छठे चक्कर में धरती की कक्षा से निकलता है तो ऐसा दिखता है" src="https://c.files.bbci.co.uk/15F86/production/_108309998_pic-2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>पांच चक्करों को पूरा करने के बाद जब चंद्रयान-2 छठे चक्कर में धरती की कक्षा से निकलता है तो ऐसा दिखता है</figcaption> </figure><p> चंद्रयान-2 के मामले में धरती की कक्षा से निकलने तक क़रीब पांच चक्कर लगाए गए.</p><figure> <img alt="चंद्रयान 2 जब धरती की कक्षा को छोड़कर चांद की कक्षा में पहुंचेगा तो ऐसा होगा नज़ारा" src="https://c.files.bbci.co.uk/1005/production/_108310140_pic-3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>चंद्रयान 2 जब धरती की कक्षा को छोड़कर चांद की कक्षा में पहुंचेगा तो ऐसा होगा नज़ारा</figcaption> </figure><p>इसी क्रम में 14 अगस्त रात क़रीब 2 बजे इसे एक तरह का तेज़ धक्का दिया गया है, जिससे चंद्रयान-2 के रॉकेट की फायरिंग हुई.</p><p>चंद्रयान-2 में पहले से एक रॉकेट होता है. इसकी मदद से एक स्पेशल फायरिंग तब की जाती है, जब सेटेलाइट धरती की कक्षा के पास होता है. </p><p>इस फायरिंग को ही ट्रांस लूनर इंजेक्शन कहा जाता है. इसी के साथ एक और टर्म ‘लूनर ट्रांसफर ट्रांजेक्ट्री’ का इस्तेमाल हो रहा है. </p><p>विज्ञान मामलों के जानकार पल्लव बाग्ला समझाते हैं, ”जब स्पेसक्राफ्ट धरती की कक्षा छोड़कर चांद की तरफ जाता है तो जो रास्ता तय किया जाता है, उस रास्ते को लूनर ट्रांसफर ट्रांजेक्ट्री कहा जाता है.”</p><h1>कितनी जटिल है प्रक्रिया?</h1><p>ये काम एक निश्चित समय में एक निश्चित दिशा में किया जाता है. </p><p>पल्लव बाग्ला कहते हैं, ”ये काम सुनने में तो आसान लगता है लेकिन असल में मुश्किल होता है. क्योंकि आपको शुरुआत धरती से 276 किलोमीटर की दूरी से तय करनी होती है और इसकी मंज़िल होती है 3.84 लाख किलोमीटर दूर. ऐसे में आपका निशाना ऐसा रहे कि आप सही दिशा में सही वक़्त पर पहुंचे.”</p><p>चंद्रयान-2 की इस प्रक्रिया में क्या किसी तरह के जोखिम होते हैं?</p><p>पल्लव बाग्ला के मुताबिक़, लॉन्च से लेकर चांद तक पहुंचने के सारे चरण जोखिम भरे होते हैं. 20 अगस्त को चांद की कक्षा तक पहुंचने और सॉफ्ट लैंडिंग भी कम रिस्क से भरे नहीं हैं. क्योंकि अगर निशाना सही जगह न लगे तो चंद्रयान-2 चांद के क़रीब न जाकर कहीं दूर जा सकता है. </p><p>चंद्रयान-2 की रफ़्तार के बारे में बाग्ला कहते हैं, ”अभी इसे 39 हज़ार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार दी गई है. चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद इसकी रफ्तार को कम कर दिया जाएगा.” </p><p>इस रफ़्तार को अगर आसानी से समझना है तो यूं समझिए कि इस स्पीड से आप एक घंटे में कश्मीर से कन्याकुमारी के क़रीब छह चक्कर लगा सकते हैं.</p><figure> <img alt="चांद" src="https://c.files.bbci.co.uk/5E25/production/_108310142_pic-4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>स्टेज-4 में चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में कुछ यूं पहुंचेगा</figcaption> </figure><p>चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा.</p><p>इसके बाद आख़िरी स्टेज में चंद्रयान-2 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा.</p><p>’विक्रम’ को चंद्रमा पर सॉफ़्ट लैंडिंग के हिसाब से बनाया गया है, ताकि रोवर को नुकसान ना पहुंचे. </p><p>रोवर का नाम प्रज्ञान है. ये छह पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल है, जो चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें लेगा.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें:- <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48975234?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">चंद्रयान-2 के बाद भारत बना लेगा ये नया रिकॉर्ड </a></li> <li>यह भी पढ़ें:- <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48611143?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">चंद्रयान-2 मिशन: लेकिन कोई भारतीय कब जाएगा चांद पर?</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
ट्रांस लूनर इंजेक्शन: वो धक्का, जिससे चांद पहुंचेगा चंद्रयान-2
<p>चंद्रयान-2 अब धरती की कक्षा से बाहर निकल चुका है. </p><p>इसरो का कहना है कि 20 अगस्त तक चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंच जाएगा और फिलहाल ये धरती की कक्षा से निकलकर चांद तक पहुंचने की प्रक्रिया में है.</p><p>ऐसे में आप सोच सकते हैं कि आख़िर ये प्रक्रिया होती क्या है? </p><p>दरअसल 22 जुलाई […]
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