<figure> <img alt="मलेरिया" src="https://c.files.bbci.co.uk/7141/production/_108039982_dd274f81-86a1-47bb-a9b6-68a5ead6eabc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>दक्षिण पूर्वी एशिया के इलाके में मलेरिया से लड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाली ज़रूरी दवाएं बेअसर हो रही हैं. मलेरिया के परजीवी इन दवाओं को लेकर इम्यून हो गए हैं यानी अब इन दवाओं का भी उन पर असर नहीं हो रहा.</p><p>कंबोडिया से लेकर लाओस, थाईलैंड और वियतनाम में अधिकतर मरीज़ों पर मलेरिया में दी जाने वाली प्राथमिक दवाएं असर नहीं कर रही हैं. खासकर कंबोडिया में इन दवाओं के फेल होने के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं. </p><p>अगर दक्षिण एशियाई देश भारत की बात करें तो साल 2017 में आई <a href="https://apps.who.int/iris/bitstream/handle/10665/275867/9789241565653-eng.pdf">वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट </a>के मुताबिक भारत में मलेरिया के मामलों में 24 फ़ीसदी तक कमी आई है. दुनिया के 11 देशों में कुल मलेरिया मरीज़ों के 70 फ़ीसदी केस पाए जाते हैं, और इन देशों में भारत का नाम भी शामिल है. </p><p>साल 2018 में भारत में मलेरिया बीमारी के मामलों में 24 फ़ीसदी कमी आई है और इसके साथ ही भारत अब मलेरिया के मामले में टॉप तीन देशों में से एक नहीं है. हालांकि अब भी भारत की कुल आबादी के 94 फ़ीसदी लोगों पर मलेरिया का ख़तरा बना हुआ है.</p><p>भारत ने साल 2027 तक मलेरिया मुक्त होने और साल 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है.</p><p><a href="https://www.indiaspend.com/led-by-odisha-india-reduces-malaria-cases-by-3-million/">इंडिया स्पेंड</a> की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मलेरिया के मामले कमी का लक्ष्य ओडिशा के इस बीमारी से लड़ने में मिली कामयाबी के कारण मुमकिन हो सका है. इससे पहले भारत में कुल मलेरिया मरीज़ों का 40 फ़ीसदी हिस्सा ओडिशा राज्य से आता था.</p><p>कंबोडिया में मलेरिया के लिए दो दवाओं का इस्तेमाल होता है- आर्टेमिसिनिन और पिपोराक्विन</p><p>इन दवाओं का कॉम्बिनेशन कंबोडिया में साल 2008 में लाया गया. </p><p>लेकिन साल 2013 में कंबोडिया के पश्चिमी हिस्से में पहला ऐसा मामला सामने आया जब मलेरिया के परजीवी पर इन दोनों दवाओं का असर खत्म होने लगा.</p><figure> <img alt="मलेरिया" src="https://c.files.bbci.co.uk/BF61/production/_108039984_gettyimages-522828816.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><a href="https://www.thelancet.com/journals/laninf/article/PIIS1473-3099(19)30392-5/fulltext">लेंसेंट की हालिया एक रिपोर्ट </a>के मुताबिक, दक्षिण पूर्वी एशिया के मरीज़ों के खून के सैंपल लिये गए. जब इन परजीवियों के डीएनए की जांच की गई तो पाया गया कि ये परजीवी दवा प्रतिरोधी हो चुके हैं और ये प्रभाव कंबोडिया से होकर लाओस, थाईलैंड और वियतनाम तक फैल चुका है. </p><p>इसका म्यूटेशन, समस्या को और भी विकराल बना रहा है. इन देशों के कई इलाकों में 80 फ़ीसदी तक मलेरिया परजीवियों पर दवा बेअसर हो चुकी हैं.</p> <ul> <li><strong>ये भी पढ़ें-</strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-44920273?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">60 साल बाद मिली ख़तरनाक मलेरिया की दवा</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-39693251?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आ गया मलेरिया से लड़नेवाला पहला टीका</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-44920273?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">60 साल बाद मिली ख़तरनाक मलेरिया की दवा</a></li> </ul><figure> <img alt="मलेरिया" src="https://c.files.bbci.co.uk/10D81/production/_108039986_gettyimages-709347399.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>क्या अब मलेरिया लाइलाज हो गया है?</strong></p><p>नहीं, लैंसेंट के ही दूसरे जर्नल में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में कहा गया कि इन रोगियों को स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट से ठीक नहीं किया जा रहा है. इलाज वैकल्पिक दवाओं से किया जा सकता है.</p><p>वियतनाम में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी क्लिनिकल रिसर्च यूनिट के प्रोफ़ेसर ट्रान तिन्ह हिएन कहते हैं, ” मलेरिया के परजीवियों में प्रतिरोध के प्रसार और गहराते इस संकट ने वैकल्पिक उपचारों को अपनाने की ज़रूरत पर प्रकाश डाला.” </p><p>अब मलेरिया में आर्टेमिसियम के साथ दूसरी दवाओं के इस्तेमाल और तीन दवाओं के कॉम्बिनेशन से इसका इलाज संभव है. </p><p><strong>समस्या क्या है?</strong></p><figure> <img alt="मलेरिया" src="https://c.files.bbci.co.uk/2321/production/_108039980_gettyimages-870050944.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>दुनिया को मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में हो रहे तमाम प्रयासों को इससे झटका लगा है.</p><p>सबसे बड़ा संकट है कि अगर ये अफ़्रीका में पहुंच गया तो क्या होगा, जहां मलेरिया के मामले सबसे ज़्यादा हैं.</p><p>ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ओलिवियो मियोट्टो के मुताबिक, ”परजीवियों का ये बढ़ता प्रतिरोध प्रभावी तरीके से बढ़ रहा है और नए क्षेत्रों में जाने और नए जेनेटिक को अपनाने में सक्षम है. अगर ये अफ़्रीका पहुंच गया तो इसके नतीजे भयानक होंगे, क्योंकि मलेरिया अफ़्रीका की सबसे बड़ी समस्या है.”</p><p>लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफ़ेसर कॉलिन सदरलैंड कहते हैं, ”ये परजीवी एक डरावने जानवर जैसे हैं इसमें कोई संशय नहीं है. हालांकि, मुझे लगता है कि ये परजीवी बहुत फिट नहीं हैं, क्योंकि इनकी संख्या में गिरावट हो रही है.” </p><p>प्रोफ़ेसर कॉलिन मानते हैं कि ”परजीवियों का दवा प्रतिरोधी होना एक बड़ी समस्या तो है लेकिन इसे वैश्विक संकट तो नहीं कहा जा सकता. इसके परिणाम इतने भयानक नहीं होंगे जैसा हम सोच रहे हैं.”</p><p>हर साल दुनियाभर में मलेरिया के 21.9 करोड़ मामले सामने आते हैं.</p><p>कपकपी, ठंड लगना और तेज़ बुखार मलेरिया के लक्षण है. अगर मलेरिया का सही इलाज ना हो तो समस्या गंभीर हो सकती है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप</strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi"> यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते 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क्यों मलेरिया की दवाएं हो रही हैं बेअसर
<figure> <img alt="मलेरिया" src="https://c.files.bbci.co.uk/7141/production/_108039982_dd274f81-86a1-47bb-a9b6-68a5ead6eabc.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>दक्षिण पूर्वी एशिया के इलाके में मलेरिया से लड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाली ज़रूरी दवाएं बेअसर हो रही हैं. मलेरिया के परजीवी इन दवाओं को लेकर इम्यून हो गए हैं यानी अब इन दवाओं का भी उन पर असर नहीं हो रहा.</p><p>कंबोडिया से लेकर लाओस, […]
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