<figure> <img alt="ईरान, परमाणु समझौता, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी, परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख अली अकबर सालेही" src="https://c.files.bbci.co.uk/817A/production/_107664133_055016922-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> <figcaption>ईरान जोर देकर कहता रहा है कि वह परमाणु समझौते को पलटने की कोशिश नहीं कर रहा</figcaption> </figure><p>अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ एकतरफ़ा परमाणु क़रार तोड़ दिया था. परमाणु समझौता टूटे एक साल से ज़्यादा वक़्त ही हुआ है और ईरान में संवर्धित यूरेनियम का कुल भंडार 300 किलोग्राम से अधिक हो गया है.</p><p>ईरान ने वादा किया था कि वो अपने यूरेनियम का भंडार 98 फ़ीसदी तक घटाकर 300 किलोग्राम तक करेगा लेकिन उसने जानबूझकर इसे तोड़ने का फ़ैसला किया और यह उसके उठाए गए कई क़दमों में से एक है.</p><p>हालांकि, ईरान ने यह ज़ोर देकर कहा है कि वह ख़ुद परमाणु समझौते से हटना नहीं चाहता है. वह सिर्फ़ इसकी शर्तों के तहत उचित व्यवहार चाहता है.</p><p>ईरान अब तक समझौते की शर्तों का पालन करता रहा है और उसके ‘अच्छे व्यवहार’ को संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी स्वतंत्र रूप से सत्यापित करती रही है.</p><p>लेकिन अब ईरान कह रहा है कि ‘बहुत हो चुका’. अब स्थिति यह है कि अमरीका ने बीते वर्ष परमाणु समझौते से ख़ुद को अलग करते हुए ईरान के महत्वपूर्ण तेल निर्यात, वित्तीय लेन-देन और अन्य क्षेत्रों पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. </p><p>इतना ही नहीं अमरीका लगातार किसी भी अन्य देश के साथ ईरान का व्यापार करना मुश्किल बनाने की कोशिशें कर रहा है.</p><p>ट्रंप प्रशासन ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ की रणनीति के तहत काम कर रही है. जैसा कि इसके प्रवक्ता का कहना है- इसका मक़सद ईरान को इस बात के लिए मजबूर करना है कि वो अमरीकी शर्तों पर बातचीत करे.</p><p>लेकिन ट्रंप के आलोचकों का तर्क है कि उनका प्रशासन बातचीत के बजाय शर्तों को माने जाने की बात पर ज़ोर दे रहा है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48196599?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">परमाणु समझौते से ईरान भी आंशिक रूप से अलग हुआ</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48306562?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या ईरान से युद्ध की ओर बढ़ रहा है अमरीका?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48208076?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ट्रंप ने ईरान की मेटल इंडस्ट्री पर लगाया बैन</a></li> </ul><figure> <img alt="ईरान का नाटांज़ स्थित न्यूक्लियर प्लांट" src="https://c.files.bbci.co.uk/101B2/production/_107707956_f61877a9-5c60-42f6-b1c8-ce469d6b41b3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>बड़ा दांव</h3><p>अगर आप इस बात को मानते हैं जैसा कि अमरीका ज़ोर देता रहा है कि हाल के दिनों में खाड़ी में हुए हमलों के पीछे ईरान था- तो इसका मतलब है कि ईरान अमरीकी दबाव से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ रहा है. वो ऐसा कई तरीक़ों से कर सकता है. </p><p>आशंका यह भी है कि परमाणु समझौता टूटने से ईरान न केवल परमाणु गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित होगा बल्कि इससे खाड़ी में जानबूझकर या अन्य किसी तरह से संघर्ष की स्थिति भी पैदा हो सकती है.</p><p>यानी परमाणु समझौते पर लगा दांव बहुत बड़ा है. इतना ही नहीं, यह कई देशों की प्रतिक्रियाओं पर भी निर्भर करता है कि क्या हो रहा है. </p><p>अमरीका और उसके प्रमुख यूरोपीय सहयोगियों- ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के बीच इसे लेकर पहले से ही मतभेद हैं. जो परमाणु समझौते के पक्षधर हैं और इसे जारी देखना चाहते हैं.</p><p>निश्चित ही वे ईरान की कई गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं. साथ ही ईरान की सक्रिय मिसाइल कार्यक्रम को लेकर ट्रंप प्रशासन की चिंताओं को भी साझा करते हैं.</p><p>लेकिन वो मानते हैं कि चाहे जो भी दोष हो, जेसीपीओए (ईरान परमाणु समझौता) का एक ख़ास फ़ायदा था.</p><p>इसने कम से कम परमाणु मुद्दे को खेल से बाहर कर दिया था. यह इस समस्या से बचने के तात्कालिक उपायों में से था. इसने ईरान की पूर्व की गतिविधियों से उपजे विवादों को हल नहीं किया या वो इस क्षेत्र में क्या कर सकता है इस पर कोई स्थायी प्रतिबंध नहीं लगाया. लेकिन इससे एक संकट टल गया.</p><p>ग़ौरतलब है कि, 2015 में इस समझौते पर सहमति बनने से पहले, ईरान के परमाणु संयंत्रों पर अमरीका या इसराइल के संभावित हमले की वाक़ई आशंका थी.</p><figure> <img alt="जेसीपीओए की संयुक्त बैठक" src="https://c.files.bbci.co.uk/CF9A/production/_107664135_054946945-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> <figcaption>परमाणु समझौते के समर्थक बने हुए हैं ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी</figcaption> </figure><h3>तो अब क्या हुआ?</h3><p>ईरान एक तर्क दे रहा है. वो कह रहा है कि जेसीपीओए (ईरान परमाणु समझौता) सौदे के अनुसार यूरेनियम की सीमा को लांघना कोई उल्लंघन नहीं है.</p><p>ईरान के आग्रह पर समझौते में यह जोड़ा गया था कि अगर समझौते में शामिल अन्य देश इस समझौते की शर्तों को तोड़ते हैं तो ईरान भी ऐसा कर सकेगा. </p><p>निश्चित ही समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य देश इसे कैसे देखते हैं यह इस पर निर्भर करेगा. वो कह सकते हैं कि या तो आप इस समझौते में हैं या फिर सऊदी अरब की तरह आप इसे छोड़ने का विकल्प चुन सकते हैं.</p><p>ईरान की दबाव रणनीति का उद्देश्य अमरीका के आर्थिक दबाव को दूर करने के लिए ख़ास कर यूरोपीय देशों पर ज़ोर डालना है.</p><p>यूरोपीय संघ ने एक स्पेशल पेमेंट सिस्टम, इंस्टेक्स (INSTEX), विकसित किया है ताकि मानवीय ज़रूरतों की वस्तुओं का व्यापार किया जा सके. ऐसी चीज़ें प्रतिबंध के दायरे से बाहर हैं. </p><p>लेकिन व्यापार पहले से अधिक मुश्किल हो गया है क्योंकि अमरीकी प्रतिबंध का जोखिम बैंक लेना नहीं चाहते हैं.</p><p>लेकिन इंस्टेक्स से गंभीर समस्या झेल रहे ईरानी अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों जैसे तेल उद्योग में कोई मदद नहीं मिलेगी. कई स्वतंत्र विशेषज्ञों का कहना है कि इंस्टेक्स अपेक्षाकृत बेहद धीमा है और इससे कोई ख़ास अंतर पड़ना मुश्किल है. काफ़ी हद तक यह ईरान के लिए यूरोपीय देशों की तरफ़ से राजनयिक संकेत भेजने का ज़रिया भर है.</p><p>लेकिन इतना ही काफ़ी नहीं होगा. आख़िरकार, अलग-अलग कंपनियों को ईरान के साथ व्यापार करने का फ़ैसला लेना पड़ेगा न कि सरकारों को. और यदि उनका अमरीका में व्यापार है तो निश्चित ही वो ईरान के साथ व्यापार करने से कतरायेंगे.</p><p>रूस और चीन भी अमरीकी स्थिति से काफ़ी असहज हैं और परमाणु समझौते के बरक़रार रहने को तरजीह देंगे. इसलिए मध्य पूर्व को देशों के बीच ईरान के साथ अपने अपने मुद्दों पर उलझे हुए सऊदी अरब और इसराइल को छोड़कर अमरीका के पास कई दोस्त नहीं हैं.</p><figure> <img alt="ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी तेहरान में ‘परमाणु प्रौद्योगिकी दिवस’ के दौरान ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख अली अकबर सालेही से बातें करते हुए" src="https://c.files.bbci.co.uk/15827/production/_106830188_6f0010e2-5d4a-463b-ad28-9242960c7b87.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> <figcaption>राष्ट्रपति हसन रुहानी ने जोर देकर कहा है कि ईरान परमाणु समझौते से नहीं हट रहा है</figcaption> </figure><p>अगले कुछ हफ़्तों में इस समझौते को लेकर एक और बड़ा महत्वपूर्ण मौक़ा आने वाला है क्योंकि ईरान ने इसकी शर्तों को तोड़ने की दिशा में आगे बढ़ने की धमकी दे रखी है. ईरान ने कहा है कि वो 3.67 फ़ीसदी की अधिकतम संवर्धन स्तर पर बनी सहमति से ऊपर क़रीब 20% के स्तर पर यूरेनियम संवर्धन शुरू करेगा.</p><p>परमाणु हथियार बनाने के लिए यूरेनियम को 90 फ़ीसदी तक संवर्धित करने की ज़रूरत पड़ती है और 20 फ़ीसदी तक के स्तर पर इसे ले जाना वास्तव में उसी दिशा में क़दम है.</p><p>कई और चीज़ें हैं जिसे ईरान ने दांव पर लगाया है, 20 फ़ीसदी तक के स्तर पर संवर्धन को ले जाने का मतलब है कि दुनिया भर में इससे ख़तरा पैदा होगा और यूरोपीय देशों के ईरानी समर्थकों के लिए उसका समर्थन करते रहना बहुत मुश्किल हो जायेगा.</p><p>जेसीपीओए को लंबे समय से अपनी अंतिम सांसे गिनता बताया जाता रहा है. लिहाज़ा एक गंभीर झटके से इसके अनिश्चित परिणामों को दूर किया जा सकता है.</p><p>ईरान मानता है कि इस दबाव से राहत मिल सकती है. लेकिन उधर राष्ट्रपति ट्रंप पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जेसीपीओए का ख़त्म होना सुनिश्चित किया जा सके.</p><p>कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ईरान परमाणु समझौता अपने सबसे बड़ी चुनौतियों से गुज़र रहा है और आने वाले हफ़्ते में वो इसे लेकर क्या करता है बहुत कुछ इसकी क़िस्मत इसी पर निर्भर करेगी.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
BREAKING NEWS
ईरान-अमरीका परमाणु समझौता बच सकता है?
<figure> <img alt="ईरान, परमाणु समझौता, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी, परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख अली अकबर सालेही" src="https://c.files.bbci.co.uk/817A/production/_107664133_055016922-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> <figcaption>ईरान जोर देकर कहता रहा है कि वह परमाणु समझौते को पलटने की कोशिश नहीं कर रहा</figcaption> </figure><p>अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ एकतरफ़ा परमाणु क़रार तोड़ दिया था. परमाणु […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement