मिस्र ने मुसलमानों के पवित्र माह रमज़ान के दौरान धर्मोपदेश को सिर्फ आस्था और नैतिकता पर केंद्रित करने के आदेश जारी कर मस्जिदों और मदरसों में दिए जाने वाले उपदेशों को और संकुचित कर दिया है.
बीबीसी की मध्य पूर्व क्षेत्र की संपादक लीना सिनजाब के मुताबिक़ धर्मार्थ दान के मंत्री मुख़्तार गोमा ने रमज़ान के पहले दिन इमामों से कहा है कि उनके धर्मोपदेश का मक़सद लोगों को एक करना होना चाहिए, न कि उन्हें बांटना.
एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ”राजनीतिक रूप से प्रेरित धर्मोपदेश से लोगों की नैतिकता प्रभावित हुई.” उन्होंने कहा, ”अब हमारी कोशिश नैतिकताओं को बहाल करने की है.”
हुकूमत ने हाल में सरकारी तौर पर अधिकृत इमामों के अलावा दूसरे धार्मिक नेताओं के मस्जिदों और किसी भी सार्वजनिक स्थान पर धर्मोपदेश देने पर रोक लगा दी थी.
हाल के महीनों में मिस्र ने मुर्सी के इस्लामिक झुकाव वाली पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड को चरमपंथी संगठन बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया है. और विरोध प्रदर्शनों को प्रतिबंधित करने के लिए नया कानून पारित किया है.
धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने पहले ही मस्जिद में राज्य से अधिकृत मोलवियों के धर्मोपदेश पर रोक लगा रखी है.
मिस्र: मोहम्मद मोर्सी पर ‘आतंकवाद’ के आरोप
मोहम्मद मोर्सी के संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड ने ताज़ा राष्ट्रपति चुनावों का बहिष्कार किया था. मिस्र की सरकार मुस्लिम ब्रदरहुड के नेताओं पर कड़ी कार्रवाइयाँ कर रही है और इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया गया है और बहुत सारे सदस्यों को फांसी की सज़ा सुनाई गई है.
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