बर्मा में एक संसदीय समिति ने विपक्षी नेता आंग सांग सू ची को राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने से रोकने वाली एक संवैधानिक धारा को बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया है.
संविधान की इस धारा के तहत उन लोगों के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध है जिनके पति या पत्नी या बच्चे बर्मा के नागिरक नहीं हैं.
सू ची के दिवंगत पति और दो बच्चे ब्रिटेन के नागरिक हैं.
इस फ़ैसले को अंतिम मुहर लगाने के लिए संसद में भी मतदान होगा.
सू ची पिछले दो दशक तक नज़रबंद रही थीं. उन्हें साल 2010 में रिहा किया गया था.
सू ची बन सकती हैं राष्ट्रपति: थीन सीन
लगभग पांच दशकों तक फौजी हुकूमत को देख चुके इस देश के राष्ट्रपति थीन सेन ने राजनीतिक सुधारों की शुरुआत की है. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि उनके ये सुधार बहुत सफल नहीं हुए हैं.
यह संभावना भी नहीं थी कि आंग सान की पार्टी के विरोधियों से भरी यह समिति संवैधानिक बदलाव के पक्ष में मतदान करती, जिससे चुनाव में उनके खड़े होने का रास्ता साफ होता.
विश्लेषकों का कहना है कि अंतिम फ़ैसला भी पूर्वनिश्चित है.
बर्मा को म्यांमार भी कहा जाता है. यहां अगला चुनाव 2015 में होने वाला है.
चुनावों में आंग सांग की पार्टी, नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है, लेकिन उसे अपनी नेता के बिना प्रचार करना पड़ सकता है.
बीबीसी के जोनाह फिशर का कहना है कि सू ची अब जनता को गोलबंद करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी और सेना की सत्ता में भागेदारी को कम करने के लिए रैलियां करेंगी.
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