<p>भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को दोहरी कामयाबी हासिल की है.</p><p>आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से उसने अपने सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-29 और उसे ले जाने वाले रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3डी 2, दोनों का कामयाब प्रक्षेपण किया.</p><p>जीएसएलवी मार्क 3डी 2 रॉकेट ने बुधवार शाम 5 बजकर 8 मिनट पर 3423 किलोग्राम जीसैट-29 सैटेलाइट लेकर उड़ान भरी और 17 मिनट बाद उसे निश्चित ऑर्बिट में स्थापित कर दिया.</p><p>विज्ञान मामलों के जानकार पल्लव बागला जीएसएलवी मार्क 3डी 2 को उसकी ताक़तवर क्षमता की वजह से ‘बाहुबली’ की संज्ञा देते हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि इसी के साथ भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में निकट भविष्य के अपने सबसे बड़े लक्ष्य का एक अहम पड़ाव पूरा कर लिया. </p><p>पल्लव बागला के मुताबिक, "2022 से पहले भारत मिशन ‘गगनयान’ के तहत किसी भारतीय को अंतरिक्ष में भेजना चाहता है और वह भारतीय इसी जीएसएलवी मार्क 3 रॉकेट से भेजा जाएगा. चूंकि इंसान को भेजते हुए बिल्कुल जोख़िम नहीं लिया जा सकता इसलिए इसमें सुरक्षा मार्जिन थोड़े और बढ़ाकर, छोटी-मोटी और तब्दीलियां की जा सकती हैं ताकि नाकामी की गुंजाइश कम से कम बचे. लेकिन रॉकेट तो यही होगा." </p> <ul> <li>पढ़ें: <a href="https://www.bbc.com/hindi/science-43611623">जीसैट 6ए की नाकामी इसरो के लिए कितना बड़ा सबक?</a></li> </ul> <ul> <li>पढ़ें: <a href="https://www.bbc.com/hindi/science-44727116">अंतरिक्ष में भारतीयों को भेजने की ओर अहम क़दम</a></li> </ul><h1>जीएसएलवी मार्क 3डी 2 </h1> <ol> <li> यह 641 टन वज़नी भारी भरकम रॉकेट है जो पूरी तरह लोडेड क़रीब 5 बोइंग जंबो जेट के बराबर है. यह अंतरिक्ष में काफ़ी वज़न ले जाने में सक्षम है. </li> <li>इसरो ने दूसरी बार इसका कामयाब परीक्षण किया है. इसके बाद इसरो के चेयरमैन ने कहा कि यह विकास के चरण से निकल, ऑपरेशनल चरण में आ गया है. इसका मतलब है कि अब इसरो इस रॉकेट को और कामों, बल्कि जोख़िम भरे प्रक्षेपणों में भी इस्तेमाल कर सकता है.</li> <li> पल्लव बागला कहते हैं कि हो सकता है कि आने वाले समय में दूसरे देश भी अपने सैटेलाइट वग़ैरह के लॉन्च के लिए किराए पर इसका इस्तेमाल करना चाहें.</li> <li>इसके बाद जीएसएलवी मार्क 3 रॉकेट की अगली उड़ान अगले साल है, जिसमें यह रॉकेट चंद्रयान 2 को लेकर जाएगा. चंद्रयान 2 भारत का एक अहम सैटेलाइट है, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोअर होगा जो चांद की सतह पर जाएगा. पल्लव बागला के मुताबिक, "अगर इसरो ने इसे कामयाबी से पूरा किया तो वह भारत का झंडा चांद की सतह पर पहुंचाने में वह कामयाब हो जाएगा."</li> </ol><h1>सैटेलाइट जीसैट-29</h1> <ol> <li>जीसैट-29 एक संचार उपग्रह यानी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, लेकिन इसरो ने उसके साथ प्रयोग के तौर पर कुछ यंत्र भी लगाए हैं. ये सैटेलाइट पृथ्वी से 36 हज़ार किलोमीटर ऊपर अपनी कक्षा में होगा. यह जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में है यानी सिर्फ भारत के संबंध में ही उपयोग में लिया जाएगा.</li> <li>इस सैटेलाइट से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में कम्युनिकेशन में इज़ाफा होगा और इंटरनेट मुहैया कराने की सुविधा मिलेगी. दुर्गम इलाक़ों में इंटरनेट पहुंचाने के लिए सैटेलाइट के अलावा दूसरे विकल्प सीमित होते हैं. पल्लव बागला कहते हैं, "सैटेलाइट आधारित इंटरनेट कम्युनिकेशन इसका मुख्य काम होगा. ख़ास तौर पर डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में इसे काफ़ी हद तक इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है."</li> <li>इसमें प्रयोग के तौर पर कुछ और यंत्र भी लगाए गए हैं कम्युनिकेशन के अलावा दूसरे काम करेंगे और आगे आने वाले सैटेलाइट में उनका इस्तेमाल किया जाएगा. पहला, इसमें एक ख़ास क़िस्म का हाई रिजॉल्यूशन कैमरा लगा है जो दिन के समय लगातार भारत की तस्वीरें दर्ज करेगा. दुश्मन देशों के जहाज़ों की संदिग्ध गतिविधियों को ट्रैक करने में यह ख़ासी मदद करेगा. ये कैमरा मौसम संबंधी जानकारियों में भी मदद करेगा.</li> <li>इसरो ने पहली बार इस सैटेलाइट में एक लेज़र आधारित कम्युनिकेशन सिस्टम लगाया है, जिससे ग्राउंड स्टेशन और सैटेलाइट के बीच लेज़र आधारित सिस्टम से संवाद किया जा सकेगा. अब तक माइक्रोवेव के ज़रिये सैटेलाइट सारी जानकारी भेजते थे. </li> </ol><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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इसरो का ‘बाहुबली’ रॉकेट, जो पहली बार भारतीय को अंतरिक्ष में ले जाएगा
<p>भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को दोहरी कामयाबी हासिल की है.</p><p>आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से उसने अपने सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-29 और उसे ले जाने वाले रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3डी 2, दोनों का कामयाब प्रक्षेपण किया.</p><p>जीएसएलवी मार्क 3डी 2 रॉकेट ने बुधवार शाम 5 बजकर 8 मिनट पर 3423 किलोग्राम जीसैट-29 सैटेलाइट […]
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