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पाई-पाई को मोहताज पाकिस्तान, इमरान खान के चीन दौरे से लौटने के बाद विदेश मंत्री ने कही यह बात

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश को आर्थिक बदहाली से बचाने के लिए कुछ चुनिंदा देशों से मदद मांग रहे हैं. सऊदी अरब से छह अरब डाॅलर की मदद लेकर लौटे इमरान खान अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) का दरवाजा खटखटाने वाले हैं. इमरान ने चीन के सामने भी अपनी आर्थिक बदहाली […]

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश को आर्थिक बदहाली से बचाने के लिए कुछ चुनिंदा देशों से मदद मांग रहे हैं. सऊदी अरब से छह अरब डाॅलर की मदद लेकर लौटे इमरान खान अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) का दरवाजा खटखटाने वाले हैं. इमरान ने चीन के सामने भी अपनी आर्थिक बदहाली का रोना रोया. इसके बाद पाकिस्तान ने दुनिया को बताया कि पाकिस्तान को उसका सदाबहार दोस्त आर्थिक सहायता पैकेज देकर मदद करेगा.

पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने मंगलवार को कहा कि चीन ने सहायता पैकेज के जरिये देश की वित्तीय समस्या को दूर करने में उच्चस्तरीय मदद करने का वादा कियाहै. प्रधानमंत्री इमरान खान की हाल ही में संपन्न हुई चीन यात्रा के बारे में उमर ने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ मीडिया को जानकारी दी.

दोनों ही मंत्री चीनगये प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. उमर ने कहा कि चीन के द्वारा जतायी गयी प्रतिबद्धता के बाद पाकिस्तान के भुगतान संतुलन का मुद्दा प्रभावी तरीके से सुलझ गया है. हालांकि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुद किसी तरह की आर्थिक मदद देने की बात नहीं कही, लेकिन चीन की सरकार के शीर्ष के डिप्लोमेट और चीन के उपविदेश वांग यी ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ अलग से बैठक की और कहा कि वो पाकिस्तान को ऐसी हालत में अकेले नहीं छोड़ सकते.

चीन दौरे पर गये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने खुद अपने सदाबहार दोस्त चीन से कहा था कि उनकेदेश का आर्थिक संकट बहुत ही गंभीर है. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में इस साल 42 फीसदी की गिरावट आयी है. उसके पास सिर्फ 7.8 अरब डॉलर बचे हैं. यह पाकिस्तान के दो महीने के आयात बिल से भी कम है.

ज्ञात हो कि पिछले महीने सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर का पैकेज दिया था. यह राशि भारत के पड़ोसी मुल्क के लिए पर्याप्त नहीं है. यही वजह है कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) से भी आर्थिक मदद लेने की कोशिश कर रहा है. वर्ष 1980 के दशक से अब तक पाकिस्तान 12 बार आइएमएफ का दरवाजा खटखटा चुका है.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि चीन के प्रधानमंत्री ली केक्यांग और इमरान खान ने बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में कुल 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये. इन समझौतों में कहा गया है पाकिस्तान में चीन गरीबी हटाने, इंडस्ट्री और कृषि के क्षेत्र में काम करेगा.

यह भी कहा गया कि अभी पाकिस्तान को एमओयू की नहीं, नकदी की जरूरत है. दूसरी तरफ, चीन का कहना है कि पाकिस्तान को मदद करने के लिए अभी और बातचीत की जरूरत है.

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले पांच सालों में सबसे निचले स्तर पर आ गया है. पाकिस्तान के व्यावसायिक बैंकों के पास भी विदेशी मुद्रा भी नहीं के बराबर बची है.

ली केक्यांग और इमरान खान की बैठक के बाद चीन के उपविदेश मंत्री कोंग शुआनयु ने पत्रकारों से कहा, ‘दोनों पक्षों के सिद्धांत बिल्कुल स्पष्ट हैं. अभी पाकिस्तान जिस हालात में है, उस सूरत में हम जरूर मदद करेंगे. दोनों तरफ से बातचीत चल रही है.’

चीन के प्रधानमंत्रीने कहा कि चीन और पाकिस्तान अब भी सदाबहार दोस्त हैं. ली ने कहा कि पाकिस्तान को चीन की विदेश नीति में प्राथमिकता के तौर पर देखा जाता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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