नौमिया : प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपसमूह न्यू कैलेडोनिया में रविवार को हुए जनमत संग्रह में फ्रांस का ही हिस्सा बने रहने का फैसला हुआ. जनमत संग्रह के प्राथमिक नतीजों में यह बात उभर की आयी है.
न्यू कैलेडोनिया में फ्रांस से आजादी के मुद्दे पर जनमत संग्रह हुआ था जिसपर लोगों की नजर थी. फ्रांसीसी मुख्यभूमि से करीब 18000 किलोमीटर दूर यह इलाका प्रशांत क्षेत्र के लिए देश का एक अहम ठिकाना है. इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभावों के कारण रणनीतिक महत्व रखता है. यहां से दुनिया को एक चौथाई ‘निकल’ की आपूर्ति होती है जो इलेक्ट्रानिक साजो-सामान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. स्थानीय निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि 70 प्रतिशत मतपत्रों की गणना की जा चुकी है और 59.5 फीसदी लोगों ने न्यू कैलेडोनिया के आजाद देश बनने के विचार का विरोध किया है. करीब 1,75,000 लोग इस द्वीप पर मतदान करने के योग्य थे. जनमत सर्वेक्षण में पहले से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि एक बड़ा बहुमत फ्रांस के साथ रहने के पक्ष में है.
बहरहाल, इस तरह के भी अंदेशे थे कि जनमत संग्रह कनक मूल निवासियों और श्वेत आबादी के बीच तनाव भड़का सकता है. कनक मूल निवासी आजादी के पक्ष में हैं. श्वेत लोग 1853 में यहां बसे थे जब फ्रांस ने इस द्वीपसमूह को अपने में मिला लिया था. इस मतभेद की वजह से 1980 के दशक में जातीय संघर्ष हुए थे जिनमें 70 से ज्यादा लोगों की जानें गयीं थी. इसके बाद 1998 में नौमिया संधि हुई थी. जिसमें अधिकारों के विकेंद्रीकरण और साथ ही रविवार के जनमत संग्रह का मार्ग प्रशस्त किया. अलगाववादियों ने कनक मतदाताओं से आत्मनिर्णय के अधिकार को चुनने एवं पेरिस के औपनिवेशिक प्रशासन को उखाड़ फेकने की अपील की थी. मूल निवासियों की आबादी 50 फीसदी से कम है और कनक समुदाय के कुछ लोग भी फ्रांस के साथ रहने के पक्षधर हैं.
वहीं, फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्रों ने प्रशांत महासागर में बढ़ते चीनी प्रभाव को लेकर चिंता जाहिर की है. बीजिंग ने वनाउतु में काफी निवेश किया है जो 1980 में फ्रांस और ब्रिटेन से अलग हुआ था. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र न्यू कैलेडोनिया प्रशांत महासागर में आधार बनाने के लिए बीजिंग का अगला लक्ष्य हो सकता है. न्यू कैलोडोनिया की आबादी करीब 2,69,000 है. यह 19वीं सदी के फ्रांसीसी साम्राज्य की बची हुई विरासत है जिसने अब रणनीतिक महत्व ग्रहण कर लिया है.